Air pollution : वायु प्रदूषण रोकने के लिए ठोस प्रयास करे सरकार

Haribhoomi Editorial : दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण को लेकर सरकारी हीलाहवाली बंद हेनी चाहिए। हस साल दिवाली के बाद यहां वायु प्रदूषण (Air pollution) का स्तर खतरनाक हो जाता है। सरकार आरोप प्रत्यारोप में जुट जाती हैं, अदालत सख्त आदेश-निर्देश देती हैं, दो चार दिन प्रदूषण की खबरें मीडिया में सुर्खियां बनती हैं, और बाद में सब सामान्य हो जाता है, सब चुप हो जाते हैं। दिवाली के बाद प्रदूषण के बढ़ने की स्थिति से निपटने के लिए न ही केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकार कोई कांक्रीट प्लान बनाती है। आज जब वायु प्रदूषण का खतरनाक स्तर दिल्ली-एनसीआर में लोगों के स्वास्थ्य पर संकट के सबब बन रहे हैं तो भी सरकार गंभीर नहीं है।
अब तक सरकारों की प्रवृति रही है कि दिल्ली वायु प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों हरियाणा, पंजाब व राजस्थान को जिम्मेदार ठहराती रही है, खुद कभी फुलप्रूफ प्लान लेकर नहीं आई है। पिछले वर्ष तक पराली जलाने को दिल्ली के वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है। इस बार सुप्रीम कोर्ट सरकारों की ढिलाई को समझते हुए सरकारों को साफ हिदायत दी है कि दिल्ली और उत्तरी राज्यों में वर्तमान में पराली जलाना प्रदूषण का प्रमुख कारण नहीं है क्योंकि यह प्रदूषण में केवल 10 फीसदी योगदान देता है। सुप्रीम कोर्ट ने दूसरी बार कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए पराली जलाना केवल जिम्मेदार नहीं है। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है कि बार बार किसानों को पराली जलाने के लिए कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है, जबकि प्रदूषण बढ़ाने में पराली का योगदान काफी कम है।, कंस्ट्रक्शन वर्क, कारखाने, पेट्रोल-डीजल वाहन, ताप बिजली संयंत्र, पटाखे जलाना आदि वायु प्रदूषण के लिए अधिक जिम्मेदार हैं। उच्च्तम न्यायालय ने भी माना है कि वायु प्रदूषण के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार ट्रांसपोर्ट, इंडस्ट्रीज और यातायात के साधन हैं। हालांकि कुछ इलाकों में पराली का जलना भी वायु प्रदूषण में हिस्सेदार है। देश की सर्वोच्च अदालत ने प्रदूषण की समस्या पर केंद्र और दिल्ली सरकार को चेता कर सही किया है।
शीर्ष कोर्ट ने प्रदूषण के मसले पर सुनवाई के दौरान दोनों सरकारों को कहा है कि वे जल्द से जल्द प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएं। कोर्ट ने केंद्र व दिल्ली सरकार से 16 नवंबर तक जवाब मांगा है, वहीं केंद्र सरकार से कहा है कि आपात बैठक बुलाएं और दिल्ली, पंजाब और हरियाणा सरकारों को एक साथ बैठाकर प्रदूषण की समस्या का हल निकालें। सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा है कि किन उद्योगों को रोका जा सकता है, किन वाहनों को चलने से रोका जा सकता है और किन बिजली संयंत्रों को रोका जा सकता है और आप तब तक वैकल्पिक बिजली कैसे उपलब्ध करा सकते हैं। कोर्ट ने सरकारों से वर्क फ्रॉम होम लागू करने पर भी विचार करने को कहा है, हालांकि वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव घरों में भी पहुंचता है।
यूं तो दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल करके बताया है कि प्रदूषण को रोकने के लिए वे संपूर्ण लॉकडाउन जैसे कदम उठाने को पूरी तरह तैयार हैं। साथ में यह भी कहा है कि ऐसे कदमों से सिर्फ कुछ समय का असर पड़ेगा। केजरीवाल सरकार ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह दिल्ली को एनसीआर का हिस्सा मान ले और पूरे एनसीआर में लॉकडाउन लगा दे। दिल्ली-एनसीआर में बिगड़ रहे प्रदूषण के हालात के कारण मनोहर सरकार ने एनसीआर में आने वाले हरियाणा के चार जिलों-गुरुग्राम, सोनीपत, फरीदाबाद और झज्जर में स्कूल बंद कर दिए हैं। साथ ही सभी सरकारी और निजी कार्यालयों को भी कर्मचारियों से वर्क फ्रॉम होम कराने के लिए कहा गया है। लेकिन ये उपाय नाकाफी हैं। केंद्र व राज्य सरकारों को वायु प्रदूषण रोकने के लिए ठोस योजना बनानी चाहिए।
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