निजी स्कूलों को पछाड़ रहा हरियाणा का यह राजकीय विद्यालय, 21 किमी दूर से भी पढ़ने आती हैं छात्राएं, एडमिशन के लिए होती है टक्कर

निजी स्कूलों को पछाड़ रहा हरियाणा का यह राजकीय विद्यालय, 21 किमी दूर से भी पढ़ने आती हैं छात्राएं, एडमिशन के लिए होती है टक्कर
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  • यहां बच्चियों को पढ़ाने के लिए अभिभावकों में होड़ मची है। बीते छह साल में यहां छात्राओं की संख्या दोगुणी हो गई है।
  • यहां की खासियत बस इसकी सुंदर बनावट ही नहीं, यहां सुविधाएं भी ऐसी हैं, जो देखते ही बनती हैं।
  • दीवारों पर पेंटिग के माध्यम से बच्चों को ज्ञान दिया जाता है। साथ ही साफ-सफाई का पूरा ध्यान दिया जाता है।

रवींद्र राठी : बहादुरगढ़

बहादुरगढ़ के गांव नूना माजरा का राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय शहर के नामचीन निजी स्कूलों को भी मात दे रहा है। यहां बच्चियों को पढ़ाने के लिए अभिभावकों में होड़ मची है। बीते छह साल में यहां छात्राओं की संख्या दोगुणी हो गई है। करीब 21 किलोमीटर दूर लड़रावन गांव से भी लड़कियां शहर क्रॉस करके यहां पढ़ने आती हैं। दरअसल, यहां बच्चियों को पहली से 12वीं तक अंग्रेजी माध्यम से ज्ञान दिया जाता है। जो प्राइवेट स्कूलों को भी पीछे छोड़ने में अहम कारण बन रहा है। यह सब विद्यालय के प्रधानाचार्य की सोच और शिक्षकों की कड़ी मेहनत के बदौलत संभव हो पाया है।

मौजूदा समय में स्कूली शिक्षा में निजी और सरकारी स्कूलों के बीच एक बड़ा अंतर दिखता है, जबकि सभी में एक जैसा कोर्स पढ़ाया जाता है। हालांकि कुछ सरकारी स्कूल शिक्षा में नई ऊंचाई स्थापित कर रहे हैं। जी हां, नूना माजरा के सरकारी गर्ल्स स्कूल में तैनात शिक्षकों की मेहनत लगातार रंग ला रही है। यहां निजी विद्यालयों की तर्ज पर छात्राओं को शिक्षा दी जा रही है। यहां की खासियत बस इसकी सुंदर बनावट ही नहीं, यहां सुविधाएं भी ऐसी हैं, जो देखते ही बनती हैं। स्कूल के सभी शिक्षकों की कड़ी मेहनत और लगन की बदौलत स्कूलों की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल गई। स्कूल की दीवारों पर सुंदर पेंटिग की गई है। दीवारों पर पेंटिग के माध्यम से बच्चों को ज्ञान दिया जाता है। साथ ही साफ-सफाई का पूरा ध्यान दिया जाता है। बच्चों को स्कूल की ड्रेस सही से पहनने व पढ़ाई करने के लिए विशेष जोर दिया जाता है। समय-समय पर अभिभावकों को स्कूल बुलाकर उनसे फीड बैक भी लिया जाता है। यह विद्यालय अन्य सरकारी स्कूलों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है।

निजी स्कूलों में कई तरह की सुविधाओं के सहारे अभिभावकों को आकर्षित किया जाता है। ऐसे में वह मोटी फीस देकर भी प्रवेश कराते हैं। जबकि सरकारी स्कूलों में प्रशिक्षित शिक्षक होने के बाद भी चंद संसाधनों और दिखावा न होने से आकर्षण नही हो पाता है। प्रिंसिपल राजबीर सिंह ने नूना माजरा गर्ल्स स्कूल में ज्वाइन करने के बाद वर्ष 2015-16 में अपने स्तर पर ही पहली से दसवीं तक अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा देने का निर्णय लागू कर दिया। उन्होंने स्वयं स्कूल में व्यवस्था बनाए रखने के लिए 8 सीसीटीवी कैमरे लगवाए। स्वीपर की व्यवस्था भी स्टॉफ द्वारा पैसे एकत्र कर की गई है। यहां 29 अध्यापक समर्पित भाव से छात्राओं को शिक्षा दे रहे हैं। स्कूल में 11वीं व 12वीं की छात्राओं के लिए आर्ट्स के अलावा कॉमर्स व साइंस संकाय भी उपलब्ध है। यहां 9वीं कक्षा से दो वोकेशनल सब्जेक्ट (इंफॉर्मेशन टेक्नॉलोजी व रिटेल) भी उपलब्ध हैं। शुरूआत में ग्रामीणों ने यह भवन बनवाया था।


नूना माजरा स्कूल का स्टाफ

हर साल शानदार परीक्षा परिणाम

बीते साल यहां की 7 छात्राओं ने 500 में से 500 अंक प्राप्त कर इतिहास रचा था। जबकि 12वीं में 63 व 10वीं में 93 छात्राओं ने परीक्षाएं दी थी और सभी उत्तीर्ण रही थी। वर्ष 2019-20 में 12वीं में सभी 53 छात्राएं पास हुई थी, इनमें से 15 ने मेरिट प्राप्त की थी। दसवीं में सभी 75 छात्राएं पास हुई और इनमें से 35 ने मेरिट पाई थी। वर्ष 2018-19 में दसवीं और 12वीं में परीक्षा देने वाली सभी 68 छात्राएं उत्तीर्ण हुई, इनमें से क्रमश: 36 व 29 छात्राओं ने मेरिट हासिल की। वर्ष 2017-18 में दसवीं में 52 में से 49 हुई, जबकि 41 ने मेरिट पाई। वहीं 12वीं में 49 में से 40 छात्राएं उत्तीर्ण हुई और इनमें से 7 ने मेरिट प्राप्त की थी। वर्ष 2016-17 में दसवीं में 40 में से 37 छात्राएं उत्तीर्ण हुईं और 13 ने मेरिट पाई। जबकि 12वीं में 47 में से 42 उत्तीर्ण हुर्इं और 8 ने मेरिट हासिल की।

इन छात्राओं ने रचा इतिहास

2016-17 में दसवीं में काजल ने 94 व 12 में शिवानी ने 94. 80 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। 2017-18 में तनु ने 10वीं में 92.4 व कोमल ने 12वीं में 90.8 फीसद अंक हासिल किए। 2018-19 में निधि ने 10वीं में 96 व काजल ने 12वीं में 94.8 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। 2019-20 में आरती ने दसवीं में 96.4 व तनु ने 12वीं में 96.6 फीसद अंक हासिल किए। बीते साल अंकिता ने 12वीं में 97.2 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। जबकि निधि समेत 7 छात्राओं ने दसवीं में 100 प्रतिशत अंक लेकर इतिहास रचा था।

दूर-दराज से आ रही छात्राएं

वर्ष 2015-16 में यहां 267 छात्राएं शिक्षा ग्रहण करती थी, लेकिन हर साल 50-60 छात्राओं का इजाफा होता रहा और अब यहां करीब 600 छात्राएं शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। यहां डाबोदा, दुल्हेड़ा, गोयला कलां, बुपनिया, लोवा खुर्द, देसलपुर समेत 22 गांवों से लड़कियां पढ़ने आती हैं। लडरावन यहां से एकदम विपरीत दिशा में है, लेकिन वहां से तीन छात्राएं यहां पढ़ने आती हैं। बहादुरगढ़ शहर से भी छात्राएं निजी स्कूलों का मोह त्याग कर यहां शिक्षा ग्रहण करने के लिए आती हैं।

शिक्षा से स्पोर्ट्स में अव्वल

स्कूल की 3 छात्राओं ने सुपर हंडर्ड में क्वालीफाई किया। गत वर्ष भी 2 छात्राओं ने यह उपलब्धि हासिल की। स्पोर्ट्स में भी छात्राएं कमाल कर रही हैं। कराटे में यहां की छात्रा मानसी नेशनल लेवल तक पहुंची है। जबकि 200 व 400 मीटर दौड़ में नैंसी ने भी नेशनल तक पहुंच बनाई है। यहां की कबड्डी खिलाड़ी भी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुकी हैं। हालांकि प्रेक्टिस के लिए ग्राउंड की किल्लत छात्राओं को अखरती है। यहां स्कूल के साथ स्थित मैदान पर जलभराव के कारण हालात खराब रहते हैं।

प्रयासों से बदलाव

हालातों के सामने हथियार डालने की बजाय स्कूल प्रधानाचार्य व स्टॉफ ने अतिरिक्त प्रयास किए। बीते दो सालों में जब कोरोना संक्रमण को रोकने के उद्देश्य से स्कूल बंद किए गए और ऑनलाइन क्लॉसेज शुरू हुई तो गरीब छात्राओं ने मोबाइल नहीं होने पर क्लॉसेज नहीं लगाई। इस स्थिति को भांपते हुए उन्होंने एक एनजीओ से बात कर ऐसी 22 छात्राओं को कक्षा लगाने के लिए मोबाइल फोन दिलवाए।

मजबूत इच्छाशक्ति की जरूरत : प्रधानाचार्य

प्रधानाचार्य राजबीर सिंह लाकड़ा ने कहा कि निजी स्कूलों से मुकाबला करने के लिए सरकारी स्कूलों को मजबूत इच्छाशक्ति के साथ काम करने की जरूरत है। प्रतियोगिता के दौर को समझते हुए हमने अपने स्तर पर यहां अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा देनी शुरू की। सभी शिक्षकों ने समर्पित भाव से पढ़ाया। छात्राओं ने भी लगन से शिक्षा ग्रहण की। भी भरपूर सहयोग दिया। प्रयोगशालाओं को उन्नत करने के साथ ही स्मार्ट क्लॉसेज में पढ़ाई करवाई जा रही है। आज आसपास के 22 गांवों के अलावा बहादुरगढ़ शहर की कॉलोनियों की करीब छह सौ छात्राएं यहां शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। बीते साल भी स्कूल की 7 छात्राओं ने दसवीं में 500 में से 500 अंक लेकर इतिहास रचा था। यह क्रम आगे भी जारी रहेगा।

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