पारंपरिक फसलें छोड़ बागवानी से लाखों रुपये कमा रहे स्नातक पास किसान सुबेर सिंह, जानिए मुनाफे की कृषि का जबरदस्त आइडिया

पारंपरिक फसलें छोड़ बागवानी से लाखों रुपये कमा रहे स्नातक पास किसान सुबेर सिंह, जानिए मुनाफे की कृषि का जबरदस्त आइडिया
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स्नातक पास सुबेर सिंह पालवां ऐसे प्रगतिशील किसान हैं जिसने अपनी खेती के तौर-तरीकों में बदलाव करके आज एक सफल मुकाम हासिल कर लिया है। वो ऐसे फल उगाता है जो वजन में बहुत भारी तो होते ही हैं, साथ ही उनके खाने में भी स्वादिष्ट होते हैं।

हरिभूमि न्यूज. जींद

धीरे-धीरे पारंपरिक खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है, कुछ फल और सब्जियां तो ऐसी हैं जिन्हें काफी दिन तक मंडियों में रखने के बाद भी किसानों को उनके अच्छे दाम प्राप्त नहीं हो पाते लेकिन इन सब के बावजूद भी प्रदेश का किसान अपनी मेहनत और लगन से कुछ ऐसा काम कर दिखाते हैं जिनसे उनका नाम ही नहीं बल्कि देश का नाम भी रोशन होता है। ऐसा ही एक किसान जोकि अमरूद, आंवला तथा बेर की खेती करके बहुत मशहूर हो गए हैं। वो अपने खेत में अमरूद की खेती करके एक अमरूद 30 रुपये का बेचते हैं। यह किसान है गांव पालवा निवासी सुबेर सिंह।

17 एकड़ में अमरूद, आंवला तथा बेर का है बाग

स्नातक पास सुबेर सिंह पालवां ऐसे प्रगतिशील किसान हैं जिसने अपनी खेती के तौर-तरीकों में बदलाव करके आज एक सफल मुकाम हासिल कर लिया है। वो ऐसे फल उगाता है जो वजन में बहुत भारी तो होते ही हैं, साथ ही उनके खाने में भी स्वादिष्ट होते हैं। सुबेर सिंह ने बताया कि जिस बाग में वो बागवानी करते हैं वो विरासत में मिला है। 60 वर्ष पहले से उनके पिताजी ने बाग लगाया था। उन्ही से प्रेरणा लेकर इसको आगे बढ़ाने का मन में विचार आया। आज उनके पास 17 एकड़ में अमरूद, आंवला तथा बेर का बाग है। कृषि विश्वविद्यालय हिसार, बहादुरगढ़, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय व अन्य जगहाें से बाग के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए अधिकारी समय-समय पर आते रहे।

दोनों बेटे भी पढ़े लिखे, कर रहे बागवानी

उनके दो बेटे हैं जिनमें से बड़े बेटे ने वकालत का कोर्स किया हुआ है और छोटे बेटे ने स्नातक पास की हुई है। उनके दोनों बेटों ने नौकरी में रूची न लेकर, बाग की आमदनी से प्रभावित होकर मेरे साथ फलों का व्यापार कर रहे हैं।

सरकारी सहायता को लेकर बढ़ाया बागवानी कार्य

सुबेर सिंह ने बताया कि बाग को फायदे का सौदा देखकर इसको आगे बढ़ाने का मन बनाया। उन्होंने जिला उद्यान अधिकारी से संपर्क किया और खादी विभाग से संपर्क कर 10 लाख रुपये का ण प्राप्त किया जिस पर सरकार द्वारा दो लाख 50 हजार रूपये की सब्सिडी दी गई। राज्य सरकार के एमएसएमई विभाग द्वारा ग्रीडिंग, पंपिंग, लेवलिंग व अन्य मशीनों के लिए उसे लगभग 14 लाख रुपये का ऋण प्राप्त हुआ है जिस पर सरकार द्वारा 35 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की गई है। उन्हें वर्ष 2005 में एएएसपीईई कंपनी द्वारा राष्ट्रीय अवार्ड से तथा 26 जनवरी 2022 को प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला द्वारा बागवानी में उत्कृष्ठ कार्य करने के लिए सम्मानित भी किया गया।


खेत में उगाए गए फलों से आचार व मुरब्बे के लिए रखे फल।

अमरूद की खेती के लिए मिसाल बने सुबेर सिंह

पालवां ने बताया कि अमरूद की फसल के लिए खेत में लगे पौधों के फलों को ट्रिप्पल प्रोटेक्शन फ्रॉम से पूरा कवर किया हुआ है ताकि गर्मी, सर्दी, धूल और बीमारियों से उन्हें पूरी तरह बचाया जा सके। उनकी इसी तकनीक की वजह से आज के समय में उनके अमरूद का आकार काफी हद तक बढ़ गया है जिसे देखकर हर कोई आश्चर्यचकित रह जाते हैं।

नए बाग लगाने पर अनुदान राशि प्रदान की जाती है : असिम जांगड़ा

जिला उद्यान विभाग के डा. आसिम जांगडा ने बताया कि सरकार द्वारा किसानों की आय को दोगुणा करने व बागवानी खेती के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए बागवानी विभाग के माध्यम से अनेक योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है। इन योजनाओं के तहत किसानों को अनुदान राशि प्रदान की जा रही है। किसान पारंपरिक खेती के स्थान पर बागवानी खेती अपना कर अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं। सरकार द्वारा किसानों को नए बाग लगाने पर अनुदान राशि प्रदान की जाती है। अमरूद, आवंला व अनार के नए बाग लगाने पर प्रति हेक्टेयर पर 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। अमरूद के बाग लगाने पर 11, 502 रुपये अनुदान राशि दी जाती है, जबकि अनार के बाग लगाने पर 15,900 रुपये व आंवला के बाग पर 15 हजार राशि अनुदान के रूप में प्रदान की जाती है। अनुदान योजना के तहत एक किसान 10 एकड़ तक बाग लगा सकता है।

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