कागजों में सिमटी ग्राम संरक्षण योजना : कहीं गोद में ही न रह जाएं अधिकारियों के गोद लिए गांव

नरेश पंवार. कैथल
केंद्र व प्रदेश सरकार की सभी कल्याणकारी योजनाओं हर गांव में क्रियान्वित करने व विकास कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए राज्य सरकार द्वार लांच की गई ग्राम संरक्षण योजना 5 माह बाद भी जिले में सिरे नहीं चढ़ पाई। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि यह योजना केवल कागजों में ही सिमटी है। योजना के अंतर्गत प्रदेश के हर गांव को एक-एक प्रथम श्रेणी अधिकारी संरक्षक के रूप में गोद लेकर सभी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ गांव-ग्रामीणों को दिलाना था। लेकिन कैथल जिले के हालात यह हैं कि अधिकारियों को ही अभी तक यह नहीं पता कि आखिर उन्होंने किस गांव को गोद लिया है।
बता दें कि प्रदेश में प्रथम श्रेणी के करीब 7000 अधिकारी हैं, जबकि गांव की संख्या 6311 के करीब है। हरिभूमि ने प्रशासनिक अधिकारियों से बात की तो उन्होंने योजना के बारे तो बताया लेकिन किस अधिकारी ने कौन का गांव गोद लिया इस बारे अनज्ञिता जताई।
मुख्यमंत्री ने की थी वीसी के माध्यम से अधिकारियों से बातचीत
सरकार द्वारा एचआरएमएस पोर्टल के माध्यम से सभी प्रथम श्रेणी अधिकारियों को एक-एक गांव गोद दिया है जिसका विवरण अधिकारी के एचआरएमएस पोर्टल पर भी है। मार्च माह में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस संबंध में सभी अधिकारियों ने वीसी के माध्यम से रविवार को बात भी की थी तथा गांव का पारदर्शिता से विकास करवाने व सरकार की योजनाओं को अमलीजामा पहनाने की बात कही थी।
आज तक नहीं सार्वजनिक हुई सूची
जिले में 278 गांवों की करीब 280 ग्राम पंचायतें हैं इन ग्राम पंचायतों के अधीन आने वाले किस गांव को कौन से अधिकारी ने गोद लिया इसकी सूची ही आज तक जिला प्रशासन सार्वजनिक नहीं कर पाया। यही कारण है कि किसी भी ग्रामीण को यही नहीं पता कि उनका गांव किस अधिकारी ने गोद लिया है।
किसी भी अधिकारी ने गांव का नहीं किया दौरा
अभी तक न तो गोद लिए गांव की सूची जारी की गई न ही अभी तक जिले के किसी भी ए श्रेणी अधिकारी ने गोद लिए किसी गांव का दौरा किया। ऐसे में अभी किस तरह इन गांव में सरकार की योजनाएं पहुंचेंगी इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
कहीं गोद में न रह जाएं गांव
ग्रामीणों का कहना है कि पिछले सालों की तरह इस बार भी गांव गोद से उतरते दिखाई नहीं देते बल्कि अधिकारियों की गोद में ही रहते दिखाई दे रहे हैं। करीब चार से पांच माह बाद तक भी अधिकारियो का गांव का दौरा न करना इस बात की ओर संकेत कर रहा है कि अधिकारियों को गोद लिए गांवों से शायद ही कोई सरोकार हो। हालाकि करीब सात साल पहले भी इसी तर्ज पर अधिकारियों ने गांव गोद लिए थे लेकिन अधिकारियों द्वारा गांवों की ओर ध्यान न दिए जाने के चलते वे गांव केवल गोद में ही रह गए तथा नीचे नहीं उतर पाए हैं।
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