गोशालाओं व डेयरियों में संस्थागत बायोगैस प्लान्ट लगाने के लिए मिलेगा अनुदान

गोशालाओं व डेयरियों में संस्थागत बायोगैस प्लान्ट लगाने के लिए मिलेगा अनुदान
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जिस गऊशाला व डेयरी का संचालक संस्थागत बायोगैस प्लान्ट लगवाना चाहता है वह अपने जिला के अतिरिक्त उपायुक्त कार्यालय में आवेदन कर सकता है।

हरियाणा के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग एवं हरेडा ने गऊशालाओं व डेयरियों में संस्थागत बायोगैस प्लान्ट लगाने के लिए एक विस्तृत कार्य-योजना तैयार की है, जिसके तहत 25 क्यूबिक मीटर, 35 क्यूबिक मीटर, 45 क्यूबिक मीटर, 60 क्यूबिक मीटर व 85 क्यूसिक मीटर क्षमता तक के संस्थागत बायोगैस प्लान्ट स्थापित करने पर सरकार द्वारा 40 प्रतिशत का अनुदान उपलब्ध करवाया जा रहा है। यह अनुदान 'पहले आओ, पहले पाओ' के आधार पर दिया जाएगा।

एक सरकारी प्रवक्ता ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जिस गऊशाला व डेयरी का संचालक संस्थागत बायोगैस प्लान्ट लगवाना चाहता है वह अपने जिला के अतिरिक्त उपायुक्त कार्यालय में आवेदन कर सकता है।

उन्होंने बताया कि बायोगैस एक साफ, पर्यावरण हितैषी, धुंआ रहित गैस होती है और यह बॉयो-खेती के लिए आर्गेनिक खाद तैयार करने में सहायक है। उन्होंने बताया कि बायोगैस में 55 प्रतिशत से 70 प्रतिशत तक मिथेन गैस होती है, जो कि ज्वलनशील है। बायोगैस पशुओं के गोबर से तैयार होती है। बायोगैस प्लान्ट को सामान्य रूप से गोबर गैस प्लान्ट के रूप में जाना जाता है। हरियाणा में लगभग 7.6 लाख पशु हैं, जिनसे हम 3.8 लाख क्यूबिक मीटर बायोगैस उत्पन्न कर सकते है। इस 3.8 लाख क्यूबिक मीटर बायोगैस से 300 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकती है। हमें 100 पशुओं से लगभग 10 क्विंटल गोबर प्राप्त होता है, जिससे लगभग 50 क्यूबिक मीटर गैस प्राप्त हो सकती है।

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