हरियाणा में हरी मिर्च हुई लाल, रेट 200 रुपये के पार

हरियाणा में हरी मिर्च हुई लाल, रेट 200 रुपये के पार
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हरियाणा की सबसे बडी पानीपत (Panipat) स्थित सब्जी एवं फल मंडी में हरी मिर्च (Green chilli) का थोक भाव 130 से 160 रूपये प्रति किलोग्राम तक यानि जैसा माल वैसे दाम की तर्ज पर बिक्र रही है।

विकास चौधरी : पानीपत

हरियाणा में फूल गोभी व मटर के बाद हरी मिर्च का रेट भी लगातार तीखा होता जा रहा है, सूबे में हरी मिर्च (Green chilli) का भाव 200 रूपये प्रति किलोग्राम के पार चला गया है। वहीं शहरी क्षेत्र के पॉश एरियों में हरी मिर्च 250 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिक रही है। जबकि हरियाणा की सबसे बडी पानीपत स्थित सब्जी एवं फल मंडी में हरी मिर्च का थोक भाव 130 से 160 रुपये प्रति किलोग्राम तक यानि जैसा माल वैसे दाम की तर्ज पर बिक्र रही है।

मिर्च के रेट में हरियाणा की लोकल फसल चालू होने तक कमी होने के आसार नहीं है। स्मरणीय है कि कोरोना महामारी का दुष्प्रभाव मानव शरीर व व्यापार ही नहीं बल्कि सब्जी फसलों पर बहुत ही भीषण तरीके से पड रहा है। मौसम अनुकूल नहीं होने, वातावरण में नमी अधिक होने के चलते हरियाणा में मटर व फूल गोभी की फसल नहीं हुई, बेलदार सब्जी व फल की फसल भी मौसम की बेरूखी के कारण नहीं पनपी। वहीं प्रदेश में हिमाचल प्रदेश से फूल गोभी व मटर की फसल की आवक हो रही है। जबकि हरी मिर्च की आवक मध्य प्रदेश से हो रही है।

हरी मिर्च की दो फसलें कोडियों के भाव बिकी

पानीपत के अग्रणी किसान बिंद्र मलिक उग्राखेडी ने बताया कि हरी मिर्चका गुणवत्ता वाला बीच 75 हजार रुपये प्रति किलोग्राम तक है, वहीं गत वर्ष 2019 में हरी मिर्च का भाव 10-12 रुपये प्रति किलोग्राम से उपर नहीं पहुंचा, इस रेट में फसल की लागत व मजदूरी भी नहीं निकली, किसानों को भारी नुकसान हुआ। वहीं गत वर्ष नवंबर माह में मिर्च की पौध बोई गई, पर कम रकबे में, रोपई गई मिर्च की पौध फरवरी माह में पनपनी शुरू होती है, मार्च में इसकी खेत में बिजाई होती हैऔर अप्रैल में हरी मिर्च का उत्पादन शुरू होता है जो धीरे धीरे बढते हुए मई जून, जुलाई, अगस्त, सितंबर में अंत पर रहता है, लेकिन गत वर्ष रोपी गई हरी मिर्च की पौध सर्दी में पाला मार गया, जो थोडी बहुत पौध बची वह किसानों ने खेतों में रोपी, वहीं मौसम में वातावरण में नमी के चलते मिर्च के पौधे का पत्ता मरोडी ले गया, इसके चलते हरी मिर्च का उत्पादन नाम मात्र का हुआ। उत्पादन कम होने के चलते फसल के रेट बढते चले गए। वहीं किसानों ने मिर्च की बाजार में डिमांड देख हाईब्रीड बीज की बिजाई की है। वहीं नवंबर माह में हरियाणा की हरी मिर्च के बाजार में आनेके आसार है, इसके बाद ही मिर्च के दामों में कमी आने की संभावना है।

हर घर में प्रयोग होती है मिर्च

वहीं मिर्च के बिना भोजन बेस्वाद हो जाता है, वहीं हरियाणा में बड़े पैमाने पर लोग भोजन में चटनी का प्रयोग करते है और बिना मिर्च से चटनी नहीं बन सकती, आमतौर पर हरियाणा के हर घर में प्रति दिन औसतन 50 ग्राम हरी मिर्च का प्रयोग हो जाता है, लेकिन रेट बढ़ने के चलते नागरिक मन मार कर हरी मिर्च इस लिए खरीद रहे है कि भोजन बेस्वाद न हो।

पानीपत नई सब्जी एवं फल मंडी आढ़ती एसोसिएशन के चेयरमैन चौ. नरेश मलिक ने बताया कि हरी मिर्च के लिए हरियाणा वर्तमान में पूरी तरह से मध्य प्रदेश पर निर्भर हो गया है। नवंबर माह के अंत तक हरियाणा की लोक हरी मिर्च के बाजार में आने तक रेट में कोई कमी आने के आसार फिलहाल नहीं दिखाई देते। एमपी का किसान व व्यापारी, पानीपत की मंडी में हरी मिर्च को 120 से 160 तक के थोक भाव में बेच रहा है, इसके बाद आढ़ती और फिर मांसाखोर व्यापारी भी अपना मुनाफा लेता है, रेहडी, ठेके व दुकानों तक जाने तक मिर्च का रेट 180 तक पहुंचा जाता है, फिर जैसा क्षेत्र वैसे रेट की तर्ज पर रेहडी, ठेलेवाले व दुकानदार मिर्च की बिक्री करते है। हालांकि एमपी से हरी मिर्च की आवक अधिक होने पर रेट 10/20 प्रतिशत तक टूट जाते है, लेकिन अगले दिन फिर रेट बढ़ जाते है।

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