मंडे स्पेशल : बचपन पर बढ़ रहा खतरा, रिश्तेदार और जानकार ही अपराध करने से नहीं चूक रहे

ओ.पी. पाल :रोहतक
बचपन पर खतरा मंडरा रहा है, अपने ही बच्चों के खिलाफ अपराध करने में गुरेज नहीं कर रहे। प्रदेश के पिछले तीन साल के आंकड़े बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराधों की गवाही दे रहे है। आठ हजार बच्चों का अपहरण हुआ, जिसमें में ज्यादातर नाबालिग लड़कियां हैं। चौंकाने वाली बात ये है कि बच्चों पर जुल्म और सितम करने वाले वाले करीब 98 फीसदी परिवार, रिश्तेदार, दोस्त और देखभाल करने वाले या जानकार लोग ही शामिल पाए गए हैं। बच्चों की सुरक्षा के लिए सख्त कानूनों के बाद भी अपराध के मामले कम नहीं हो रहे। पिछले तीन साल में प्रदेश में बच्चों के खिलाफ अपराध के 14,326 मामले दर्ज किए गए। इनमें सबसे ज्यादा 8244 नाबालिग बच्चों के अपहरण या गायब करने के मामले शामिल हैं।
बच्चों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए वर्ष 2018 में केंद्र सरकार दंड विधि अधिनियम में संशोधन करके 12 साल से कम आयु बालिका के साथ बलात्कार करने के आरोपी को मृत्यु दंड और कड़े जुर्माने का प्रावाधन किया था। इस अधिनियम में के संशोधन के अनुसार यौन संबन्धी मामलों में जांच की निगरानी और उसे ट्रैक करने के लिए यौन अपराध जांच ट्रैकिंग प्रणाली नामक एक ऑनलाइन विश्लेषणात्मक टूल शुरू किया जा। वहीं राज्यों कमो एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल की स्थापना करने के भी निर्देश हैं, लेकिन प्रदेश में अभी तक इस सेल की स्थापना न होने की पुष्टि खुद गृहमंत्री अनिल विज कर चुके हैं। वहीं सरकार बच्चों के खिलाफ अपराध रोकने के लिए जागरूकता अभियान चला रही है।
2482 नाबािलग लड़कियों का अपहरण
प्रदेश में पिछले तीन साल में अपहरण के शिकार बच्चों में सबसे ज्यादा 2482 नाबालिगों बालिकाओं को बेचने के लिए अपराध का शिकार बनाया गया। इनमें साल 2020 में उठाई गई 787 लड़कियों के अपहरण के मामले दर्ज हैं, जबकि इससे पहले दो सालों में यहं संख्या 800 से ज्यादा रही। वर्ष 2020 में सबसे ज्यादा कि पिछले दो सालों की अपेक्षा ऐसी बच्चियों की संख्या में मामूली कमी रही है। प्रदेश के फरीदाबाद जिले में सबसे ज्याद ज्यादा 425 बच्चों के अपहरण की घटनाओं में 118 बालिकाएं बेचने के इरादे से गायब की गई। इसके बाद पानीपत से साल 2020 के दौरान 365 बच्चों का अपरहण हुए। इसके अलावा यौन अपराध के लिए भी बच्चों को अपरण का शिकार बनाया गया। प्रदेश में साल 2020 में 545 बच्चों का अपरहण केवल यौन अपराध के मकसद से किया गया, जिनमें 11 बालक भी शामिल हैं। प्रदेश में बच्चों के साथ अपराध के बढ़ते मामलों में 50 फिसदी से ज्यादा अपहरण के मामले सामने आ रहे हैं। बच्चों का अपहरण ज्यादातर गलत काम के लिए किया जा रह है, जिनमें सर्वाधिक नाबालिग लड़कियां शामिल हैं।
नाबालिगों में अपराध की प्रवृत्ति भी बढ़ रही
प्रदेश में नाबालिग भी अपराध करने में पीछे नहीं हैं। पिछले तीन साल बलात्कार और कुकर्म के पोक्सो एक्ट के तहत 3349 मामले दर्ज किये गये। इनमें 3170 बालिकाओं और 175 बालकों को शिकार बनाया गया। तीन सालों में 499 बालिकाओं को यौन शोषण का शिकार बनाया गया, इनमें 8 बालक भी शामिल रहे। साल 2020 के दौरान 1032 बालिकाओं को दुष्कर्म और 69 बालकों को कुकर्म का शिकार बनाया गया। सबसे ज्यादा 12 से 18 साल तक के 943 नाबालिगों को दुष्कर्म और कुकर्म का शिकार बनाया गया, 12 साल से कम आयु के 160 बच्चे पीड़ित रहे।
रक्षक ही भक्षक
प्रदेश में तीन साल के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि बच्चों के साथ अपराध को अंजाम देने वालों में करीब 98 फीसदी से ज्यादा अपने जानकार ही होते हैं। 6578 में से 6470 आरोपी पीड़ित परिवार के सदस्य, या नजदीकी शामिल रहे। बाकी साल 2020 की बात की जाए तो 2174 आरोपियों में 2146 आरोपी ऐसे ही जानकार रहे, जिनके खिलाफ मुकदमे विचाराधीन हैं।
आयोग भी सतर्क
हरियाणा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग भी बच्चों के मामलों को गंभीरता से ले रहा है। पिछले पांच साल में पहुंची 1663 शिकायतों में आधे से ज्यादा 833 शिकायतों का निपटारा किया गया है। इनमें सबसे ज्यादा 762 शिकायतें वर्ष 2019-21 के दौरान आयोग को मिली, जिनमें से इन दो सालों में 412 का निस्तारण किया गया।
रंजिश में निशाना बन रहे
प्रदेश में बच्चों को अपराध का शिकार बनाने के लिए उनका अपहरण करने के पीछे आरोपियों का रंजिशन मामले भी सामने आए हैं। प्रदेश में इसी साल की घटनाओं को देखें तो कैथल में बाप ने ही बेटे का अपहरण करा दिया। पानीपत में निर्माण ठेकेदार ने 600 रुपये न चुकाने पर मजदूर के चार साल के बच्चे का का अपहरण किया। वहीं अंबाला में एक 14 वर्षीय बच्चे ने इसी साल जुलाई में एक्टर बनने की चाह में खुद ही अपहरण की कहानी गढ़ी, तो वहीं हिसार जिले में फिरौती के लिए बच्चे के अपहरण में पुलिस की तत्परता सामने आई। ऐसी कई घटनाएं हैं, जहां रंजिशन भी बच्चों के अपहरण का कारण बन रही हैं। एक विश्लेषण के आधार पर यह भी कहा जा सकता है कि बच्चों के खिलाफ अपराध में शामिल ज्यादातर अपने जानकार ही होते हैं, जिन्हें बच्चा पहले से पहचानता है। हालांकि बच्चों को गायब करके उन्हें गलत काम में धकेलकर पैसा कमाने का मकसद पूरा करने वाले गिरोह के सक्रीय होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता। सबसे चिंताजनक पहलू ये है कि प्रदेश में अपहरण की शिकार बालिकाएं हो रही है और वह भी बचने के मकसद से। इसके अलावा आंकड़े बताते हैं कि बच्चों का अपहरण हत्या, फिरौती वसूलने, मानव तस्करी, वैश्यावृत्ति, यौन अपराध, भीख मंगवाने, जबरन नाबालिग लड़कियों से शादी करने जैसे गैर कानूनी कामों के लिए किये जा रहे हैं।
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