गुरनाम सिंह चढूनी बोले - चंडीगढ़ घेराव का अभी कोई कार्यक्रम नहीं

हरिभूमि न्यूज : फतेहाबाद
भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने साफ किया कि अभी उनका चण्डीगढ़ घेराव का कोई कार्यक्रम नहीं है। 23 जनवरी को केवल गवर्नर हाउस पर विरोध जताया जाएगा और यह कार्यक्रम सभी राज्यों में प्रस्तावित है। इसके बाद 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों द्वारा ट्रैक्टर परेड की जाएगी। वे आज सिरसा जिले के दोनों टोल और हिसार जिले के दो टोल सहित कुल पांच टोल पर जाकर किसानों से मिलने और रानियां में हो रही ट्रैक्टर यात्रा में भाग लेने जा रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने भट्टू के पूर्व तहसीलदार छोटूराम भाकर को लीगल एडवाइजर और राणा जोहल को युवा जिलाध्यक्ष भी घोषित किया।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि चढूनी ने कहा कि किसान आंदोलन एक जन आंदोलन बन चुका है, जो प्रकृति स्वरूप है और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी प्रकृति के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार से 8 बार बात हो गई है लेकिन सरकार हर मीटिंग में टरकाने का रवैया अपनाए हुए है। सरकार किसानों के हौसले को तोड़ना चाहती है, किसानों में फूट या निराशा आने का इंतजार कर रही हैंं, लेकिन उन्हें समझ जाना चाहिए कि अब यह बदलाव का संकेत प्रकृति दे रही है। उन्होंने कहा कि आज बरसात के कारण दिल्ली के बाहरी रोड केएमपी हाईवे पर ट्रैक्टर मार्च नहीं हो सका लेकिन कल किया जाएगा। इस आंदोलन में बच्चों से लेकर बुजुर्ग, महिलाएं, मजदूर से लेकर व्यापारी, अनपढ़ से लेकर सुप्रीम कोर्ट के बड़े-बड़े वकीलों, अधिकारियों तक अपना समर्थन देकर भाग लेंगे। जब तक जीत नहीं होती, तब तक आंदोलन चलेगा, भले ही कोई कुर्बानी देने पड़े।
चण्डीगढ़ घेराव के कार्यक्रम बारे पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि किसानों का चण्डीगढ़ घेराव का कोई कार्यक्रम प्रस्तावित नहीं है। अगर किसी किसान नेता ने इस तरह का बयान दिया है तो वह उसकी मर्जी है लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा का चण्डीगढ़ घेराव का कोई कार्यक्रम प्रस्तावित नहीं है। 23 जनवरी को केवल गवर्नर हाउस पर विरोध जताने का कार्यक्रम है और यह कार्यक्रम सभी राज्यों में प्रस्तावित है। इसके बाद 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों द्वारा ट्रैक्टर परेड की जाएगी। उन्होंने जनता से अपील की कि आने वाले दिनों में पंचायत चुनाव हों, नगर निकाय चुनाव हो, इन चुनावों में किसान आंदोलन को समर्थन नहीं करने वाले लोगों को ना चुना जाए। ऐसे लोगों को वोट ना दिया जाए जो किसान आंदोलन का समर्थन नहीं कर रहे हैं।
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