Farmers protest : गुरनाम सिंह चढ़ूनी बोले, नहीं जाएंगे दिल्ली, यहीं बैठेंगे, अमित शाह की अपील भी मंजूर नहीं

Farmers protest : गुरनाम सिंह चढ़ूनी बोले, नहीं जाएंगे दिल्ली, यहीं बैठेंगे, अमित शाह की अपील भी मंजूर नहीं
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हजारों किसान सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं। हरियाणा व दिल्ली पुलिस ने भारी बैरिकेडिंग कर किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोक रखा है। बॉर्डर के एक तरफ दिल्ली पुलिस और सुरक्षाबल तैनात है दूसरी तरफ प्रदर्शनकारी डटे हुए हैं। बीच-बीच में प्रदर्शनकारी उग्र भी हो रहे है।

सोनीपत : कुंडली बार्डर पर किसानों का ठहराव चौथे दिन में प्रवेश कर चुका है। किसान नेताओं को अब डर सताने लगा है कि कहीं उनके काफिले में असामाजिक तत्व न घुस जाए। गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा बुराड़ी जाने का कोई इरादा नही। चढूनी ने कहा कि आरक्षण आंदोलन के दौरान बहुत से शरारती तत्वों ने न केवल आगजनी की थी बल्कि हिंसक घटनाओं को भी अंजाम दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने उस समय भी ऐसा किया था और अब भी ऐसा कर सकती है।

गुरनाम चढूनी ने कुंडली बार्डर मौजूद किसानों के साथ बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि अब वे हाइवे पर अड़े रहने का निर्णय ले चुके हैं। हरियाणा के किसानों का लगातार समर्थन मिल रहा है और यू.पी. सहित अन्य प्रदेशों से भी किसान आने शुरू हो गए हैं। इस बीच बड़ा डर यह है कि कहीं कुछ असामाजिक तत्व उनके आंदोलन में न घुस जाएं और अनहोनी न हो जाए। जाट आरक्षण आंदोलन में ऐसा ही हुआ था। उस समय असामाजिक तत्वों ने आगजनी की थी और हिंसक घटनाओं को भी अंजाम दिया था। चढूनी ने कहा कि सरकार ने अंबाला से बार्डर तक उनके साथ ज्यादती की है। उन्हें डंडे मारे गए, पानी की फुहारें छोड़ी गई और आंसू गैस के गोले भी दागे गए, लेकिन किसान हार मानने वाले नहीं है। किसानों में सरकार के खिलाफ गुस्सा है और अब यह गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है।

30-32 केस दर्ज कर चुकी है किसानों पर हरियाणा सरकार

चढूनी ने कहा कि हरियाणा सरकार ने किसानों को रास्ता देने की बजाय उनके खिलाफ मामले दर्ज किए हैं। लगातार मामले दर्ज किए गए। बैरिकेट्स तोड़ने पर हत्या के प्रयास के मामले दर्ज हुए। अब तक अंबाला से यहां तक सरकार किसानों पर 30-32 मामले दर्ज कर चुकी है, जिनमें हत्या के प्रयास के मामले ही 20 से ज्यादा हैं और एक मामला हत्या का भी दर्ज किया गया है। ऐसे में सरकार से क्या उम्मीद की जा सकती है। सरकार सोच रही थी कि किसानों की संख्या कम हो जाएगी, लेकिन उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। पंजाब व यू.पी. से लगातार किसान आ रहे हैं और हरियाणा के किसान तो पहले से ही उनके साथ खड़े हैं।

उन्होंने कहा कि अमित शाह अगर बुराड़ी आकर बात करना चाहते हैं तो हम नहीं मानेंगे। सरकार ने अब देर कर दी। संयुक्त मोर्चा के बैनर तले आंदोलन चल रहा है। तीनों कानून रद्द हों, बिजली बिल, एमएसपी गारंटी कानून लाया जाए, ये हमारी मांग हैं।

मंत्री अमित शाह ने यह की थी अपील

वहीं बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को धरना-प्रदर्शन शांतिपूर्ण ढ़ंग से करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था सरकार तुरंत वार्ता के लिए भी तैयार है। उन्होंने कहा केंद्रीय कृषि मंत्री ने 3 दिसंबर को बातचीत के लिए किसानों को बुलाया गया है। यदि किसान चाहें तो इससे पहले भी किसानों से बातचीत हो सकती है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे सड़कों पर जमने के बजाय दिल्ली पुलिस की ओर से तय की गई जगह पर शांतिपूर्ण आंदोलन करें और बातचीत के लिए आगे आएं।

जीटी रोड पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया

तीन कृषि कानून के विरोध में दिल्ली जाने की जिद्द पर अड़े किसानों ने जीटी रोड पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है। हजारों किसान सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं। हरियाणा व दिल्ली पुलिस ने भारी बैरिकेडिंग कर किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोक रखा है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के बुराड़ी स्थित निरंकारी मैदान में प्रदर्शन की इजाजत दे दी गई थी, लेकिन किसानो को यह मंजूर नहीं हुआ और किसान सिंघु बॉर्डर पर ही जम गए।

रविवार को भी किसान लगातार धरनास्थल पर पहुंच रहे

किसानों के धरने के कारण एनएच-44 पर से लेकर राई बीसवां मील चौंक से बॉर्डर तक लगभग 7-8 किलोमीटर लंबा भीषण जाम लगा है। दिल्ली की सीमा पर किसानो का गतिरोध जारी है। रविवार को भी किसान लगातार धरनास्थल पर पहुंच रहे हैं। किसानों में काफी गुस्सा है, वह कभी नारे लगा रहे हैं तो कभी मोदी का पुतला जला रहें है। बॉर्डर के एक तरफ दिल्ली पुलिस और सुरक्षाबल तैनात है दूसरी तरफ प्रदर्शनकारी डटे हुए हैं। बीच-बीच में प्रदर्शनकारी उग्र भी हो रहे है। नए कृषि सुधार बिल को वापस लेने की मांग केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाकर कर रहे हैं।

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