फिर जिंदा होगी गुरुकुल परंपरा, दूसरे प्रदेशों की छात्राएं कलायत में लेंगी तालीम

हरिभूमि न्यूज : कलायत (कैथल)
देश का विकास और उन्नति तभी संभव है जब शिक्षा व्यवस्था बेहतर हो। प्राचीन काल से देश में शिक्षा को एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। भारत की प्राचीन गुरुकुल परंपरा को जीवित करने के लिए हरियाणा को पंजाब से जोड़ने वाले कलायत-दातासिंहवाला मार्ग पर लांबा खेड़ी गांव के पास दी गर्ल गुरुकुल की स्थापना की गई है। इस सत्र में 4 अप्रैल से गरिमा पूर्ण ढंग से आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित गर्ल गुरुकुल की शुरूआत होने जा रही है।
दी गर्ल गुरुकुल एसोसिएशन समिति पदाधिकारी एडवोकेट राजेंद्र कुमार और नीरज शर्मा ने इस संदर्भ में पत्रकार वार्ता आयोजित कर शिक्षा नीति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से कलायत क्षेत्र बेटियाें की शिक्षा के मामले में पिछड़ा रहा है। बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शहर प्रदूषण रहित वातावरण में 7 एकड़ में कन्या गुरुकुल के नए भवन का निर्माण किया गया है। शिक्षा और खेल के साथ-साथ बालिकाओं के सर्वांगीण विकास के लिए उच्च तालीम हासिल किए शिक्षकों की व्यवस्था की गई है। आदर्श संस्कारों का बारीकी से बोध करवाना संस्थान का मुख्य ध्येय है। गुरुकुल में कक्षा 4 से लेकर कक्षा बारहवीं तक की शिक्षा दी जाएगी।
छात्राओं को भारी भरकम बैग से छुटकारा दिलाने केे लिए बैग रहित शिक्षा मिलेगी। छात्राओं को किताबें, वर्दी, स्टेशनरी व अन्य मूलभूत सुविधाएं गुरुकुल की ओर से सब निशुल्क मुहैया करवाई जाएंगी। शिक्षा के साथ-साथ बालिकाओं को खेलों में भी निपुण बनाया जाएगा। कन्या गुरुकुल में खेल मैदानों के साथ खिलाड़ी के रूप में उनको तराशने के लिए बेहतर प्रशिक्षकों की व्यवस्था की गई है। गुरुकुल में प्रवेश के लिए उनके पास देश की देश राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़ व अन्य राज्यों से आवेदन मिल रहे हैं। छात्राओं को रहने के लिए वातानुकूलित होस्टल का निर्माण किया गया है। बालिकाओं को सुरक्षित माहौल प्रदान करने के लिए महिला शिक्षकों का विशेष रूप से चयन किया गया।
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