Hansi : शहीद निशांत मलिक की याद में बन रहे शहीद द्वार पर वन विभाग ने जताई आपत्ति

Hansi : शहीद निशांत मलिक की याद में बन रहे शहीद द्वार पर वन विभाग ने जताई आपत्ति
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  • देश के नाम प्राण न्यौछावर करने वाले शहीद के नाम पर निर्माणाधीन द्वार पर वन विभाग का नोटिस
  • द्वार का निर्माण करवाने वाले समाजसेवी व उसके पिता को दिया शो कॉज नोटिस

Hansi : देश की रक्षा करते हुए प्राणों की आहुति देने वाले तीन बहनों के इकलौते भाई शहीद निशांत मलिक की याद में हिसार चुंगी स्थित उमरा रोड़ पर बन रहे शहीद दरवाजे के निर्माण पर वन विभाग ने सवाल खड़े कर दिए हैं। वन विभाग ने गेट का निर्माण करवाने वाले समाजसेवियों व उसके पिता को शो-कॉज नोटिस थमाते हुए सात दिनों में जवाब देने के लिए कहा है।

बता दें कि पिछले वर्ष रक्षाबंधन के दिन राजौरी में देश के दुश्मन आतंकियों से लोहा लेते हुए गांव ढंढेरी निवासी जाबांज सैनिक निशांत मलिक शहीद हो गया था। पूरे देश में निशांत मलिक की बहादुरी के चर्चे हुए थे। जिसके बाद सात बास खाप व समाजसेवी नरेश यादव व उसकी टीम ने शहीद की याद में सात बास के गांवों की तरफ जाने वाले हिसार चुंगी उमरा रोड़ पर भव्य दरवाजे का निर्माण करवाने का ऐलान किया था। शहीद के नाम से बनवाया जा रहा दरवाजा अभी निर्माणाधीन है और दरवाजे के बगल में ही एक कमरा पुलिस नाके के लिए भी निर्मित करवाया जा रहा है। लेकिन इसी बीच वन विभाग ने निर्माण पर आपत्ति जताते हुए निर्माण करवाने वाले समाजसेवी नरेश यादव व शहीद निशांत मलिक के पिता जयबीर सिंह को नोटिस जारी कर दिया है।

वन विभाग का कहना है कि यह निर्माण वन विभाग की जमीन पर करवाया जा रहा है और इसके लिए किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई है। वन विभाग का तर्क है कि नियमानुसार वन विभाग की जमीन का किसी अन्य प्रायोजन के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। वहीं, निर्माण करवाने वाले समाजसेवी नरेश यादव का कहना है कि इस गेट के निर्माण में उनका कोई निजी हित नहीं है और शहीद के सम्मान व उसकी याद में ही इसका निर्माण कार्य करवाया जा रहा है।

अब आगे क्या होगी कार्रवाई

एक तरफ वन विभाग ने शहीद के नाम पर करवाए जा रहे निर्माण कार्य पर नोटिस जारी कर दिया है। वहीं, दूसरी तरफ सातबास खाप भी गुस्से में है। सातबास खाप से जुड़े प्रतिनिधियों का कहना है कि शहीद के नाम पर करवाए जा रहे निर्माण पर राजनीति की जा रही है और वन विभाग की इस हरकत से सातबास के ग्रामीण गुस्से में हैं। सातबास खाप का स्पष्ट कहना है कि यह कार्रवाई एक तरह से शहीद का अपमान है। जिस शहीद ने देश के नाम पर अपने प्राण न्यौछावर कर दिए, उसके नाम से निर्मित गेट से किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। वहीं, वन विभाग के अधिकारी रमेश यादव ने बताया कि जहां पर गेट का निर्माण किया जा रहा है, वहां पर एक कमरे का भी निर्माण किया गया है। उन्हें गेट से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन यह फोरेस्ट एक्ट की धारा 33 का उल्लघंन है।

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