सालाना 7000 करोड़ की होगी कमाई : डिस्टिलरी की फ्लाई ऐश व स्पेंट वाश से खाद बनाएगा हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय

सालाना 7000 करोड़ की होगी कमाई : डिस्टिलरी की फ्लाई ऐश व स्पेंट वाश से खाद बनाएगा हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
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विश्वविद्यालय ने यूएसए स्थित विश्व के एकमात्र उर्वरक शोध संस्थान इंटरनेशनल फर्टिलाइजर डेवलपमेंट सेंटर (आईएफडीसी) के साथ एमओयू साइन किया है।

हिसार। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय जल्द ही डिस्टिलरी से निकलने वाली फ्लाई ऐश व स्पेंट वाश से फास्फॉटिक फर्टिलाइजर तैयार करने पर काम करेगा। इसके लिए विश्वविद्यालय ने यूएसए स्थित विश्व के एकमात्र उर्वरक शोध संस्थान इंटरनेशनल फर्टिलाइजर डेवलपमेंट सेंटर (आईएफडीसी) के साथ एमओयू साइन किया है। इस प्रोजेक्ट को स्थापित करने के लिए शुगरफेड हरियाणा प्रथम वर्ष एचएयू, आईएफडीसी व कृषि एवं किसान कल्याण विभाग को साढ़े सात करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करेगा।

फ्लाई ऐश व स्पेंट वाश का निस्तारण है बड़ी समस्या : कुलपति

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने बताया कि डिस्टिलरी से निकलने वाली फ्लाई ऐश व स्पेंट वाश का निस्तारण मौजूदा समय में एक बड़ी समस्या है, इनका फास्फॉटिक फर्टिलाइजर बनाना वेस्ट टू वेल्थ की सोच को सार्थक करने की दिशा में एक अहम कदम है। अंतरराष्ट्रीय संस्थान के साथ एमओयू के तहत विश्वविद्यालय संयुक्त रूप से वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों और किसानों के लिए अनुसंधान, शिक्षा व प्रशिक्षण जैसे विभिन्न सहयोगात्मक कार्यक्रमों का संयोजन व आदान-प्रदान करेगा।

सालाना 7000 करोड़ रुपये के उर्वरक का होगा उत्पादन

यूएसए स्थित इंटरनेशनल फर्टीलाइजर डेवेलपमेंट सेंटर के कंट्री हेड डॉ. यशपाल सहरावत के अनुसार वर्तमान समय में पोटेशियम फर्टिलाइजर का एक 50 किलोग्राम का बैग जिसकी कीमत करीब 750 रुपये तक आंकी गई है जबकि उसी बैग का विकल्प फास्फॉटिक फर्टीलाइजर मात्र 180 रुपये में उपलब्ध हो सकेगा। राज्य में सालाना लगभग 14000 टन पोटाश और 7000 टन फास्फोरस यानी लगभग 15 प्रतिशत पोटाश उर्वरक और 2 प्रतिशत फास्फोरस उर्वरक का उत्पादन राज्य कर सकता है। मौद्रिक दृष्टि से राज्य सालाना लगभग 55 करोड़ रुपये और 27 करोड़ रुपये मूल्य के पोटाश और फास्फोरस उर्वरक का उत्पादन करेगा जिससे केंद्र सरकार के सब्सिडी बोझ को सालाना 30 करोड़ रुपये से अधिक कम कर सकता है। इस नवीन तकनीक से भारत सालाना 7000 करोड़ रुपये के उर्वरक का उत्पादन कर सकता है।

अकार्बनिक उपयोग में हुई 68 फीसद बढ़ोतरी

एक अनुमान के मुताबिक हरियाणा राज्य ने पिछले छह दशकों में अपने अकार्बनिक उर्वरक उपयोग में 68 गुना वृद्धि की है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर वृद्धि केवल 12 गुना है। मृदा स्वास्थ्य को लेकर तैयार रिपोर्ट कार्ड पोर्टल के अनुसार राज्य में 90 प्रतिशत से अधिक मिट्टी में नाइट्रोजन, 56 प्रतिशत फॉस्फोरस और 50 प्रतिशत से अधिक पोटाश की कमी है। 2012 से राज्य में पोटेशियम की कमी 2.5 प्रतिशत बढ़ गई है।

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