हरियाणा कैबिनेट के फैसले : निगम, बोर्डों व पंचायती राज संस्थाओं की जमीनों के रेट को लेकर बनेगी ठोस पॉलिसी

हरियाणा कैबिनेट के फैसले : निगम, बोर्डों व पंचायती राज संस्थाओं की जमीनों के रेट को लेकर बनेगी ठोस पॉलिसी
X
राज्य में निगम बोर्डों, पंचायती राज के तहत आने वाली जमीनों के दामों को लेकर बना असमंजस खत्म कर दिय़ा गया है। अब इसके लिए एक नीति और सैट फार्मूला तैयार कर लिया गया है।

चंडीगढ़। हरियाणा मंत्री सूमह की ( Haryana Cabinet Meeting ) अहम बैठक में धनतेरस के दिन मंत्रीमंडल ने कईं अहम फैसले लिए हैं। इसमें फैसला लिया गया है कि आने वाले वक्त में विवाह पंजीकरण का काम सीआरआईडी ( नागरिक संसाधन विभाग) करेगा, इसके अलावा मंत्री समूह ने ज्यादा काम के बोझ वाले विभागों को मैनपावर देने का फैसला लिया है, जिन विभागों में अतिरिक्त मैनपावर होगी, उनको काम वाले विभागों में भेजने का काम होगा। साथ ही राज्य के अंदर विभिन्न बोर्डों, निगमों, पंचायत राज संस्थाओं की जमीनों के रेट को लेकर एक ठोस पॉलिसी के तहत काम होगा। राज्यभर में खनन से संबंधित कानूनी पचड़ों के लिए सैटलमेंट स्कीम भी तैयार कर ली गई है। जिसमें पुराने विवादों का समाधान करने की पहल राज्य सरकार द्वारा की गई है।

राज्य में निगम बोर्डों, पंचायती राज के तहत आने वाली जमीनों के दामों को लेकर बना असमंजस खत्म कर दिय़ा गया है। अब इसके लिए एक नीति और सैट फार्मूला तैयार कर लिया गया है। इसी तरह से विवाह पंजीकरण का काम नागरिक संसाधान विभाग करेगा, पहले यह पंजीकरण का काम नगर निकायों में हुआ करते थे। इसके अलावा केबिनेट की बैठक में दी एविएशन टर्बाइन फ्यूल पर वैट को तर्कसंगत बनाने की स्वीकृति दी गई है।

निगम बोर्ड की जमीनों पर अहम फैसला

मंत्रिमंडल की अहम बैठक में सभी सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों, पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों के लिए राज्य में भूमि के बाजार मूल्य निर्धारण की नीति को स्वीकृति प्रदान की गई। साफ-साफ निर्देशों के अभाव में सरकार के कई विभागों एवं उनकी संस्थाओं को निजी निकायों की भूमि के बीच में स्थित अपने परित्यक्त रास्तों सहित छोटे आकार की अनुपयोगी भूमि को निजी निकायों को हस्तांतरित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। इसी प्रकार उनकी परियोजनाओं के त्वरित विकास में बाधा के अलावा राज्य का राजस्व भी काफी हद तक प्रभावित हो रहा था। इसके अतिरिक्त, ऐसी भूमि/अचल संपत्तियों पर अतिक्त्रमण या अधिकृत/अनधिकृत कब्जा होने के परिणाम स्वरूप विभिन्न प्रासंगिक कानूनों के तहत मुकदमेबाजी निष्फल हो जाती है। इसके अलावा, इनमें बिना किसी ठोस परिणाम के मानव संसाधनों की संलिप्तता है। अतः नोडल विभाग होने के कारण राजस्व विभाग के अधीन इस मामले में नीति बनाना आवश्यक हो गया था।

नीति राज्य में सभी सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों, पंचायती राज संस्थानों और शहरी स्थानीय निकायों की भूमि की बाजार दर निर्धारित करने में मदद करेगी। इसके तहत एक स्थायी समिति गठित की जाएगी, जिसमें संबंधित मंडलायुक्त; संबंधित जिला का जिला राजस्व अधिकारी; एक विभागीय अधिकारी; आयकर विभाग, भारतीय स्टेट बैंक और सरकार के स्वामित्व वाली बीमा कंपनियों में से पंजीकृत और राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा सूचीबद्ध तीन मूल्यांकनकर्ता शामिल होंगे। अंत में, स्थायी समिति तीन मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा किए गए मूल्यांकन का औसत इस शर्त के साथ निकालेगी कि क्षेत्र, जहाँ भूमि स्थित है, के लिए निर्धारित अंतिम बाजार मूल्य भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 के तहत बिक्री डीड्स के पंजीकरण के लिए निर्धारित कलेक्टर दरों से कम नहीं होगा। यदि संबंधित बिल्डर/निजी संस्था संदर्भाधीन भूमि के विक्रय डीड्स के पंजीकरण के लिए उसी प्रकार की भूमि/अचल संपत्ति से संबंधित राजस्व संपदा में भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 के तहत निर्धारित नवीनतम कलेक्टर दर की दुगुनी राशि या पिछले वर्ष के उच्चतम राशि के दो विलेखों का औसत भुगतान, जो भी अधिक हो, करने के लिए तैयार है तो संबंधित विभाग द्वारा उच्चाधिकार प्राप्त भूमि खरीद कमेटी के अनुमोदन से उचित निर्णय लिया जा सकता है और नीति में निर्धारित अन्य प्रक्रिया लागू नहीं होगी। यह केवल सरकार या स्थानीय प्राधिकरण द्वारा की जाने वाली बिक्री पर लागू होगा।

यदि बिल्डर/निजी संस्था ने पंजाब अनुसूचित सड़क और नियंत्रित, अनियमित विकास क्षेत्र प्रतिबंध अधिनियम,1963(1963 का पंजाब अधिनियम संख्या 41) के तहत 'भूमि उपयोग परिवर्तन' (सीएलयू) प्राप्त किया है और बोर्ड, निगम, पंचायती राज संस्थाएं एवं शहरी स्थानीय निकाय सहित सरकारी विभागों के परित्यक्त रास्तों सहित छोटे आकार की अनुपयोगी भूमि लेने के इच्छुक हैं तो भारतीय स्टाम्प अधिनियम,1899 के अंतर्गत वाणिज्यिक अथवा आवासीय अथवा संस्थागत अथवा औद्योगिक भूमि के लिए निर्धारित कलेक्टर दरें लागू होंगी। इसके अलावा, यह बात अनुरोध करने वाली उन संस्थाओं पर भी लागू होगी।

Tags

Next Story