हकेंवि के जीव रसायन विभाग को ICMR से एंडोमेट्रियोसिस बीमारी पर शोध के लिए 48 लाख रुपये स्वीकृत

हरिभूमि न्यूज. महेंद्रगढ़ : गांव जाट पाली स्थित हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के जीव रसायन विभाग को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की ओर से महिलाओं में होने वाली एंडोमेट्रियोसिस नामक बीमारी पर शोध के लिए 48 लाख रुपये की राशि स्वीकृति प्रदान की गई। यह शोध जीव रसायन विज्ञान के विभाग अध्यक्ष प्रो. पवन मौर्य के नेतृत्व में किया जाएगा।
जानकारी देते हुए प्रो. पवन मौर्य ने बताया कि एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं में होने वाली गर्भाशय से संबंधित समस्या है। इसमें गर्भाशय के अंदर के टिशू (ऊतक) बढ़कर गर्भाशय के बाहर निकलने और वहीं फैलने लगते हैं। यह फैलोपियन ट्यूब व अंडाशय के बाहरी और अंदरूनी हिस्सों में भी फैलने लगते हैं। इससे महिलाओं को तेज दर्द होता है। विशेषकर जब उनका मासिक चक्र आता है, तब दर्द और बढ़ जाता है। यह ऊतक गर्भाशय के अंदर वाले ऊतक की तरह ही होता है, लेकिन मासिक चक्र के समय यह बाहर नहीं निकल पाता है, जिसके कारण दर्द होने लगता है। इस समस्या के कारण महिलाओं में प्रजनन क्षमता भी कम हो सकती है। अगर समस्या ज्यादा समय तक रहती है, तो धीरे-धीरे ये कैंसर का रूप धारण कर लेती है। यह बीमारी 30 से 40 प्रतिशत महिलाओं में पाई जा रही है।
शोध के लिए तीन साल का समय मिला
यह बीमारी काफी दिनों बाद पता चल पाती है। फिर सर्जरी के द्वारा अपशिष्ट पदार्थाें को हटाया जाता है। उसके बाद हार्माेन थेरेपी व दवाइयां दी जाती हैं, ताकि ये ऊतक फिर से जमा ना हों। प्रो. पवन मौर्य ने बताया की वो अपनी टीम के मिलकर इस शोध को अंजाम देंगे। शोध के लिए तीन साल का समय उनको मिला है। इस शोध में उस विधि का पता लगाया जाएगा, जिससे कि इस बीमारी के बारे में हमें शुरू में ही पता लग सकें। अगर शुरूआत में ही इस बीमारी के बारे में पता लग जाए, तो कम खर्च में इलाज हो सकता है। महिलाओं में यह बीमारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही। उन्होंने कहा कि इस शोध में उन्हें जल्दी सफलता मिलने की उम्मीद है।
पहले भी कई देशों में कर चुके हैं विभिन्न शोध कार्य
बता दें कि प्रो. पवन मौर्य पहले भी कई देशों में विभिन्न शोध के कार्य कर चुके हैं। अब भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की ओर से महिलाओं में पाए जाने वाले बीमारी एंडोमेट्रियोसिस पर शोध हेतु उन्हें चुना गया है व राशि को स्वीकृति दी गई है। यह उनके व विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है।
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