हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष सैलजा बोलीं- अब नमक में भी भ्रष्टाचार हो रहा

हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष सैलजा बोलीं- अब नमक में भी भ्रष्टाचार हो रहा
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हरियाणा कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए कहा कि, प्रत्येक राशन कार्ड पर एक किलोग्राम प्रति माह के हिसाब से इनके लिए 11 मीट्रिक टन नमक आता है, जिसे 5 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचे जाने का प्रावधान है। लेकिन, इस नमक में भी ऊपर तक सांठगांठ करते हुए भ्रष्टाचार किया जा रहा है।

हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष सैलजा ने कहा कि प्रदेश की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में भ्रष्टाचार चरम सीमा को पार कर चुका है। राशन के डिपो पर पहुंचने वाले नमक में भी भ्रष्टाचार हो रहा है। प्रदेश में गरीबों को हल्की क्वालिटी और पत्थर-कंकड़ वाला मिलावटी नमक दिया जा रहा है। सरकार नहीं चाहती कि गरीब व्यक्ति आराम से नमक-रोटी भी खा सकें।

सैलजा ने कहा कि राशन डिपो के गेहूं, चीनी और सरसों के तेल में भ्रष्टाचार के मामले पहले भी सामने आते रहे हैं। वहीं अब नमक में भी भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है। महंगाई की मार से लोगों की थाली से सब्जी व दाल गायब हो चुकी हैं। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले आज भी हजारों परिवार ऐसे हैं, जो नमक-मिर्च के साथ रोटी खाने को मजबूर हैं। यही लोग राशन डिपो से नमक लेते हैं, लेकिन सरकार को न इनका पेट भरने की परवाह है और न ही इनके स्वास्थ्य का कोई ध्यान है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के प्रदेश में करीब 11 लाख राशन कार्ड हैं। प्रत्येक राशन कार्ड पर एक किलोग्राम प्रति माह के हिसाब से इनके लिए 11 मीट्रिक टन नमक आता है, जिसे 5 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचे जाने का प्रावधान है। लेकिन, इस नमक में भी ऊपर तक सांठगांठ करते हुए भ्रष्टाचार किया जा रहा है। इसलिए ही हर महीने अलग-अलग ब्रांड का नमक राशन डिपो पर सप्लाई होता है।

सैलजा ने कहा कि इससे पहले खराब क्वालिटी का गेहूं, निम्न स्तरीय चीनी, एक्सपायर हो चुका सरसों का तेल भी राशन डिपो पर पहुंचता रहा है। इतने मामले सामने आने के बाद एक बार भी सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि नमक के बिना कोई भी सब्जी, दाल या चटनी भी नहीं बन सकती। नमक ही किरकिरा होगा तो फिर इसका प्रयोग भी नहीं किया जा सकता। राशन डिपो से नमक खराब मिलने के बाद लोगों को मजबूरी में बाजार से भी नमक खरीदना पड़ रहा है।

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