हरियाणा डीजीपी मनोज यादव की विदाई लगभग तय, एक्सटेंशन पर विज असहमत

योगेंद्र शर्मा. चंडीगढ़
हरियाणा के डीजीपी मनोज यादव की विदाई अब लगभग तय मानी जा रही है। सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन को ध्यान में रखते हुए गृहमंत्री अनिल विज एसीएस होम को नए नामों का पैनल भेजने का आदेश जारी कर चुके हैं। वर्तमान डीजीपी मनोज यादव का दो साल का कार्यकाल बीती 21 फरवरी को पूरा हो गया था, लेकिन उनको सरकार की ओऱ से अगले आदेश तक एक्सटेंशन दी गई थी। कुल मिलाकर गृह मंत्री पूरे मामले में खफा हैं, साथ ही नए चेहरे को जिम्मेदारी सौंपने के पक्ष में हैं। जिसके कारण आने वाले दिनों में डीजीपी की विदाई तय मानी जा रही है।
हरियाणा डीजीपी मनोज यादव का कार्यकाल दो साल के लिए तय था,इसके ठीक पहले ही नए डीजीपी की ताजपोशी को लेकर भी चर्चाओं का दौर शुरु हो गया था। लेकिन पैनल में नए नाम नहीं जाने और इसमें देरी को लेकर गृहमंत्री विज खफा नजर आ रहे हैं। 21 फरवरी को उनका कार्यकाल पूरा होने के साथ ही अगले आदेशों तक उन्हें एक्सटेंशन मिली थी, जिसके पीछे कोविड की चुनौती और किसान आंदोलन सहित कई बातें वर्तमान माहौल को ध्यान में रखते हुए अहम कारण बता जा रहे थे। सरकार की एक्सटेंशन कुछ समय के लिए थी गृह मंत्री अनिल विज चाहते थे कि जल्द ही नामों का पैनल भेज दिया जाए।
अनिल विज सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन को आधार मानते हुए गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा से नए नामों का पैनल भेजने का आदेश जारी किया था। इस बाबत गृह मंत्री ने मंगलवार को अतिरिक्त मुख्य सचिव को इस संबंध में अब लिखित भेजकर पैनल भेजने के लिए 10 दिनों की समयावधि तय कर दी है। विज के इस तरह के आदेशों के बाद में हलचल तेज हो गई है। यह भी बताया जा रहा है कि बतौर जिम्मेदारी संभाल रहे डीजीपी मनोज यादव खुद भी केंद्र में वापस जाने के इच्छुक हैं। जिसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री से कुछ महीनों का समय ले लिया था।
नए नामों का पैनल भेजने की तैयारी
अब विज के आदेशों के बाद में नए नामों का पैनल भेजने की तैयारी है। वर्तमान में नए नामों का पैनल संघ लोक सेवा आयोग में भेजने क तैयारी के संकेत भी मिल रहे हैं। जिन अफसरों के नाम इसमें जाने की उम्मीद है, उन सात अधिकारियों में पीके अग्रवाल, अकिल मुहम्मद और डाक्टर आरसी मिश्रा में डीजीपी बनना भी तय है। गृह मंत्री के आदेशों पर नामों का नया पैनल भेजा जाएगा, उसमें सात वरिष्ठ आईपीएस अफसरों के नाम शामिल होंगे। इनमें तीन डीजी रैंक के अफसर और चार एडीजी रैंक के अफसर नियम और सेवा शर्तों, अनुभव आदि में शामिल हो रहे हैं। डीजीपी के लिए तीस साल की सेवा अनिवार्य की गई है। दूसरी तरफ छह माह से ज्यादा का सेवा कार्यकाल बचा होना चाहिए। लिहाजा 1984 बैच एसएस. देसवाल और 1986 बैच के केके सिंधु दौड़ से बाहर हो गए हैं, क्योंकि इनकी रिटायरमेंट इसी वर्ष 31 अगस्त को है। अब मुख्य तौर से पैनल में 1988 बैच के पीके अग्रवाल, 1989 बैच से मोहम्मद अकिल और डाक्टर आरसी मिश्रा के नामों पर ही विचार होगा। तीन दशक की नौकरी पूरी कर चुके अफसरों में 1990 बैच के एडीजीपी शत्रुजीत कपूर, देशराज सिंह और आलोक राय, एसके जैन का नाम पैनल में शामिल होगा। लेकिन संघ लोक सेवा आयोग की ओर से पैनल के नामों में से छंटनी की बात करें, तो सिर्फ तीन अफसरों का नाम ही सरकार को भेजा जाएगा जिसमें पीके अग्रवाल, मोहम्मद अकील और डा. आरसी. मिश्रा में से ही किसी की लाटरी निकल सकती है।
एक्सटेंशन का प्रावधान नहीं: विज
इस बार विज ने कहा कि एक्सटेंशन का प्रावधान नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का पूरी तरह से साफ आदेश है, जिसके अनुसार दो साल तक डीजीपी काम कर सकता है, इसलिए हमने पैनल बनाने के लिए लिख दिया है। पैनल में नामो को लेकर यूपीएससी को फैसला करना है। यूपीएससी के जो भी अपाचे के जो भी एलिजिबल लोग होंगे तीन लोगों का पैनल हरियाणा सरकार को भेजेगा और हरियाणा सरकार तय करेगी कि अगले 2 साल के लिए उनमें से डीजीपी कौन होगा।
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