Haryana शिक्षा विभाग की लचर व्यवस्था, पोर्टल पर बच्चे, स्कूल व शिक्षकों की रिपोर्ट में ही कर दिया अंतर

हरिभूमि न्यूज.भिवानी
शिक्षा विभाग (Education Department) की लचर व्यवस्था का नमूना देखने को मिला। विगत में डीईईओ से प्राइमरी स्कूलाें, बच्चों व वहां पर नियुक्त जेबीटी शिक्षकों की मांगी गई रिपोर्ट पहले से एमआईएस पोर्टल(Portal) पर दर्ज रिपोर्ट बेमेल हो गई। प्रदेश के डीईईओ द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में 8693 स्कूल दर्शाए गए है,जबकि एमआईएस पोर्टल पर 8636 स्कूलों (Schools) की संख्या दर्ज है।
यहीं नहीं कि डीईईओ ने प्रदेश के इन स्कूलों में पढने वाले बच्चों की संख्या 911606 बताई,जबकि पोर्टल पर पंजीकृत बच्चों की संख्या 891903 दर्ज है। रिपोर्ट में हुई गड़बड़ी के चलते इन स्कूलों में तैनात जेबीटी शिक्षकों का डीईईओ ने आंकड़ा 36874 बताया ,जबकि पोर्टल पर यह आंकड़ा 37523 दर्ज है। रिपोर्ट का आपस में मिलान न होने की वजह से शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी डीईईओ को पत्र भेजकर इस मामले की जांच करने व रिपोर्ट को दुरस्त करने के निर्देश दिए है। साथ ही इस मामले में किसी तरह की कोई ढिलाई बर्दास्त नहीं होगी।
प्रदेश के सभी स्कूलों का रिकार्ड खंगाला
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग ने जब डीईईओ से भेजी गई रिपोर्ट व पहले से एमआईएस पोर्टल पर दर्ज रिपोर्ट का मेल नहीं हो पाया। उसके विभाग ने प्रदेश के सभी स्कूलों का रिकार्ड खंगाला तो पूरी रिपोर्ट बेमेल मिली। सबसे ज्यादा अंतर नूह में मिला। वहां पर डीईईओ ने अपनी रिपोर्ट में 500 व एमआईएस पोर्टल पर 480 प्राथमिक पाठशाला दिखाई है। यही स्थित पूर्व शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा के गृह जिले की बनी है। यहां पर अधिकारी ने 469 तथा एमआईएस पोर्टल पर 456 स्कूलों के नाम दर्ज है।यही स्थिति सोनीपत व यमुनानगर की है। यहां पर पोर्टल व अधिकारी की रिपोर्ट में 8-8 स्कूलों का फर्क है। फरीदाबाद व गुरुग्राम में तीन-तीन तथा हिसार में दो प्राथमिक पाठशालाएं फालतू दिखाई गई है। चरखी दादरी में डीईईओ ने 209 तो पोर्टल पर 207 स्कूल संचालित हो रहे है।
हिसार में 15688 बच्चों की संख्या का फर्क
डीईईओ व पोर्टल पर पंजीकृत बच्चों की संख्या में सबसे ज्यादा फर्क हिसार जिले में निकल कर आया है। उक्त जिले में 15688 बच्चे ज्यादा दिखाए गए है। डीईईओ ने 67240 तो पोर्टल पर 51552 बच्चे पंजीकृत है। शुरुआती जांच में तो इतने बच्चों के दाखिले फर्जी साबित हो रहे है,लेकिन हो सकता हो कि रजिस्टर में रिकार्ड सही हो और पोर्टल में अभी पंजीकृत नहीं हो पाए हो। यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। अंबाला में 772 व फरीदाबाद में 585 बच्चों की संख्या का फर्क है। गुरुग्राम में 510,करनाल में 501 तथा पलवल में 457 बच्चों की संख्या पोर्टल पर पंजीकृत संख्या से ज्यादा बैठ रही है।
नूंह में 93 शिक्षक दर्शाए कम
बच्चों व स्कूलों की संख्या भेजने में शिक्षा अधिकारियों ने खुले हाथ से रिपोर्ट बनाकर भेजी हो,लेकिन शिक्षकों की संख्या के मामले में कंजूसी बरत गए। नूंह के अधिकारी ने शिक्षकों की संख्या 3025 भेजी है,जबकि पोर्टल पर 3118 शिक्षकों के नाम व पते दर्शाए जा रहे है। यही स्थिति पलवल में बनी है। यहां पर अधिकारी ने 2278 की बजाए 2228 शिक्षक दिखाए है। पंचकूला से भेज गए आंकड़े में भी फर्क है। पोर्टल पर 1106 शिक्षकों के नाम दर्ज है,जबकि डीईईओ ने 1084 दिखाया है। गड़बडी कहां हुई है। फिलहाल इस विषय जांच जरूरी है।
यह है एमआईएस पोर्टल
शिक्षा विभाग ने पूरे प्रदेश के शिक्षकों,स्कूलों व बच्चों की संख्या पंजीकृत करने के लिए एक पोर्टल बनाई थी। जिस पर पूरे प्रदेश के प्राइमरी शिक्षकों का रिकार्ड होता है। इस पोर्टल पर हर माह शिक्षा अधिकारियों की रिपोर्ट पर अपेडेट किया जाता है। साथ ही जितने भी बच्चों का दाखिला होता है उन सभी का इसी पोर्टल पर पंजीकरण किया जाता है। जब तक बच्चे का दाखिला इस पोर्टल पर पंजीकृत नहीं होता। तब तक दाखिला नहीं माना जाता। साथ ही यह स्पष्ट करना जरूरी है कि एसएलसी भी इसी साइट या पोर्टल पर पंजीकृत बच्चे की ही जारी हो सकती है। अगर किसी बच्चे का नाम इस पोर्टल पर नहीं है तो उस बच्चे की एसएलसी जारी नहीं हो सकती।
तीन दिन के भीतर मांगी रिपोर्ट
शिक्षा विभाग के मुख्यालय से रिपोर्ट बेमेल होने के जिले के प्राथमिक शिक्षा अधिकारियों से तीन दिन के भीतर उक्त रिपोर्ट दुरुस्त करने के आदेश दिए है। भेजे गए आदेशों में कहा गया है कि इस मामले में कतई ढिलाई नहीं होनी चाहिए। शिक्षा विभाग पंचकूला से भेजे गए पत्र क्रमांक 3/20-2024ईई(1) भेजकर तुरंत रिपोर्ट दुरुस्त करके दोबारा भेजे जाने के निर्देश दिए है।
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