हरियाणा में शिक्षा विभाग ने रोका कई अध्यापकों का वेतन, यह है कारण

सोनीपत। सरकारी महकमों में कर्मचारियों पर काम ना करने के आरोप लगते रहते हैं। जहां काम होते हैं तो अजीब तरीके से होते हैं। ताजा मामला हरियाणा शिक्षा विभाग का है। जहां अकेले सोनीपत जिले के 31 विशेष अध्यापकों का वेतन इसीलिए रोक दिया गया, क्योंकि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 755 दिव्यांग विद्यार्थियों के प्रमाण पत्र नहीं बन पाए। मजे की बात ये है कि प्रमाण पत्र स्वास्थ्य विभाग को बनाने हैं, लेकिन विशेष अध्यापकों का वेतन ये कह कर रोका गया है कि उन्होंने अपना कार्य निर्धारित समय में पूरा नहीं किया।
विशेष अध्यापकों की मानें तो उन्होंने अपना काम समय पर पूरा कर लिया था। अक्टूबर में ही शिविर लगाकर दिव्यांग बच्चों की जांच करवा दी गई थी। अब प्रमाण पत्र बनाने का कार्य स्वास्थ्य विभाग के पास है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक प्रमाण पत्र नहीं बनाए। जिसकी वजह से वे दिव्यांग बच्चों का डाटा अपलोड नहीं कर पाए। विभागीय अधिकारियों ने डाटा अपलोड ना होने के कारण ही वेतन रोका है। अध्यापकों का कहना है कि उनका वेतन रोकना न्याय संगत नहीं है। अब इस मामले में जिला परियोजना समन्यक ने विशेष अध्यापकों का रोका गया वेतन जारी करने के लिए मुख्यालय को पत्र लिखा है।
जिलास्तरीय दिव्यांग चिकित्सा मूल्यांकन शिविर लगाए थे
बता दें कि हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद के अंतर्गत जिले के दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए जिलास्तरीय दिव्यांग चिकित्सा मूल्यांकन शिविर लगाए गए थे। समग्र शिक्षा के तहत 10 से 17 अक्तूबर तक अलग-अलग खंडों में लगाए गए इन शिविरों में जिले भर से 755 दिव्यांग विद्यार्थियों की जांच की गई। शिविरों में दिव्यांग विद्यार्थियों की जांच करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ही टीमें पहुंची थी। जिन्हें दिव्यांग विद्यार्थियों को दिव्यांगता संबंधी प्रमाणपत्र देने थे, ताकि उन्हें प्रदेश सरकार की तरफ से चलाई जा रही योजनाओं का लाभ मिल सके। जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी दिव्यांग विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र जारी नहीं किए गए। इसी कारण विशेष अध्यापक पोर्टल पर डाटा अपलोड नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में शिक्षा विभाग ने विशेष अध्यापकों की लापरवाही मानते हुए विशेष अध्यापकों का वेतन रोक दिया। जिससे विशेष अध्यापकों में रोष बना हुआ है।
क्या कहते हैं विशेष अध्यापक
विशेष अध्यापक बलराम गोहाना, अनीता, अनिल, राजीव, विनती, अनुराधा, मीना, सुरेश सहित अन्य का कहना है कि शिक्षा विभाग की तरफ से दिए गए शेड्यूल के अनुसार ही उन्होंने स्कूलों में शिविर लगवाए और दिव्यांग विद्यार्थियों को ले जाकर उनकी जांच प्रक्रिया पूरी करवाई। अब दिव्यांगता प्रमाणपत्र बनाने का काम स्वास्थ्य विभाग का है। जब तक दिव्यांगता प्रमाणपत्र नहीं बनते, तब तक डाटा अपलोड नहीं किया जा सकता। विशेष अध्यापकों ने वेतन जारी करने की मांग की है।
पीपीपी के साथ अपलोड होना है दिव्यांगता प्रमाण पत्र
शिक्षा विभाग की तरफ से विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) का डाटा परिवार पहचान पत्र के साथ ही अपलोड करने के निर्देश दिए गए थे। जबकि ढाई माह पहले जांच प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद इन विद्यार्थियों के दिव्यांगता प्रमाणपत्र नहीं बनाए गए। जब तक प्रमाणपत्र नहीं बनते, तब तक पोर्टल पर डाटा अपलोड नहीं किया जा सकता। जबकि शिक्षा विभाग विशेष अध्यापकों पर जल्द से जल्द डाटा अपलोड करने का दबाव डाल रहा है। ऐसे में विशेष अध्यापक भी परेशान हैं कि बिना दिव्यांगता प्रमाणपत्र बने सीडब्ल्यूएसएन का डाटा अपलोड कैसे करें।
स्वास्थ्य अधिकारियों से बातचीत की जाएगी
राजकीय स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने वाले दिव्यांग विद्यार्थियों के प्रमाणपत्र बनवाने के लिए अक्तूबर माह में जिलास्तरीय दिव्यांग चिकित्सा मूल्यांकन शिविर लगाए गए थे। विभिन्न खंडों में लगाए गए शिविरों में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 755 विद्यार्थियों की जांच की थी। जिनके आज तक प्रमाणपत्र नहीं बनाए गए। कार्य में देरी के चलते मुख्यालय की तरफ से विशेष अध्यापकों का वेतन रोक लिया गया है। जबकि उनकी तरफ से सभी कार्य पूर्ण है। विशेष अध्यापकों का वेतन जारी करने के लिए मुख्यालय को लिखा गया है। दिव्यांग विद्यार्थियों के प्रमाणपत्र बनवाने के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों से बातचीत की जाएगी। - नवीन गुलिया, जिला परियोजना समन्वयक, सोनीपत
प्रत्येक खंड में कितने विद्यार्थियों की हुई थी जांच
खंड- विद्यार्थी
सोनीपत 131
गोहाना 164
गन्नौर 128
कथूरा 93
खरखौदा 91
मुडलाना 74
राई 74
कुल 755
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