हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवर पाल बाेले, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में आगे आएं

चंडीगढ़। हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवर पाल Education Minister Kanwar Pal ने शिक्षाविदों के साथ-साथ बच्चों के अभिभावकों (parents) से भी आह्वान किया है कि वे नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (New national education policy) के क्रियान्वयन में आगे आएं क्योंकि वर्षों से चली आ रही शिक्षा व्यवस्था (Education system) में लोग जो बदलाव चाहते थे, वह इस नीति में देखने को मिला है। अब प्रत्येक विद्यार्थी, चाहे वह नर्सरी में हो या कॉलेज में हो, वैज्ञानिक तरीके से पढकऱ राष्ट्र निर्माण में रचनात्मक भूमिका निभा सकेगा।
एक व्यक्तव्य में शिक्षा मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर वैबिनार के माध्यम से कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ने भी आज एक वैबिनार को संबोधित किया है। उन्होंने कहा कि इससे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से शुरुआत की जा चुकी है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य स्वयं नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के प्रति गंभीर हैं और उनकी पहल पर ही चंडीगढ़ में शिक्षाविदों की चार दिवसीय डिजिटल कॉन्कलेव का आयोजन किया गया था। जिसमें 250 से अधिक विद्यालयों, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, प्रचार्यों, मुख्याध्यापकों व अन्य शिक्षाविदों ने अपने सुझाव दिए, जिनको नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने में समायोजित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा में उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा स्नातक प्रथम वर्ष के ऑनलाइन दाखिले की प्रक्रिया की शुरुआत की गई है, नई शिक्षा नीति में वर्ष 2030 तक उच्चतर शिक्षा में ग्रॉस इनरोलमेंट रेश्यो (जीईआर) 50 प्रतिशत तक करना है, जो वर्तमान में देश में 26 प्रतिशत है, हालांकि हरियाणा में उच्चतर शिक्षा में ग्रॉस इनरोलमेंट रेश्यो पहले ही यह 32 प्रतिशत तक है। उन्होंने कहा कि हरियाणा देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां 15 किलोमीटर की परिधि में कोई न कोई महाविद्यालय खोला गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में गत 5 वर्षों में 97 नए कॉलेज खोले गए, जबकि हरियाणा गठन के बाद 48 वर्षों में केवल 75 कॉलेज ही खोले गए थे। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में देश में पहली बार ऐसा हुआ है जब सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत हिस्सा शिक्षा क्षेत्र के लिए निर्धारित किया गया है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के नए भारत की नींव तैयार करने वाली है। यह नीति 34 वर्षों के बाद घोषित हुई है। इस नीति की विशेषता स्कूली शिक्षा में भी आमूल-चूल परिवर्तन लाना है, जिसमें तीन बिन्दुओं पर फोकस किया गया है जैसे, किसी कारणवश शिक्षा बीच में छूट जाती है तो उसमें निरंतरता बनाना, प्री-स्कूल अवधारणा से शिशु शिक्षा पर जोर तथा शिक्षा के स्तर को वैश्विक स्तर पर ले जाना।
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