हरियाणा सरकार की आबकारी नीति को हाईकोर्ट में चुनौती

कोरोना (Corona) की मार झेल रहे शराब ठेकेदारों ने हरियाणा सरकार की आबकारी नीति में भेदभाव का आरोप लगाते हुए इसे पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) में चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को दो सप्ताह में जवाब दायर करने का निर्देश दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी।
याचिका दाखिल करते हुए अंबाला की मैसर्स गर्ग वाइन द्वारा उच्च हाई कोर्ट को बताया गया कि मार्च माह में शराब के ठेकों के लिए हरियाणा सरकार ने आवेदन मांगे थे। याचिकाकर्ता ने भी आवेदन किया था और तीन करोड़ अर्नेस्ट मनी तथा 14 लाख रुपये ऑक्शन में शामिल होने के लिए फीस के तौर पर दिए थे। अप्रैल माह से नए ठेकों को आरंभ करना था लेकिन इसी बीच लॉक डाउन की घोषणा कर दी गई। याचिकाकर्ता ने बताया कि वह 62 वर्ष का है और इस दौर में दौड़ भाग नहीं कर सकता था। इसलिए उसने उसे अलॉट सात शराब के ठेके सरेंडर करने की पेशकश की।
याचिकाकर्ता ने कहा कि वह अकेला ऐसा नहीं है जो अपने ठेके सरेंडर करना चाहता है बहुत सारे आवेदन विभाग को मिल चुके हैं। याची ने बताया उसे तब हैरानी हुई जब शराब पर कोरोना कर लगाने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार ने बताया कि कई ठेके मालिकों को बिना किसी फीस के ठेके छोडऩे की अनुमति दे दी गई है।
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