सुषमा स्वराज की बेटी समेत 85 कानून अधिकारियों का हरियाणा सरकार ने अनुबंध बढ़ाया

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज समेत 85 कानून अधिकारियों का हरियाणा सरकार ने एक साल के लिए अनुबंध बढ़ा दिया है। हरियाणा के पूर्व डीजीपी केपी सिंह की पत्नी दीपा सिंह का नाम अनुबंध की नई सूची में शामिल नहीं है। बांसुरी स्वराज सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता के तौर पर पैरवी करती हैं, जबकि दीपा सिंह हरियाणा से पहले पंजाब में भी अतिरिक्त महाधिवक्ता के पद पर काम कर चुकी हैं। हाईकोर्ट में कई महत्वपूर्ण मामलों पर हरियाणा सरकार की ओर से उन्होंने पैरवी की।
इन सभी का अनुबंध 10 मार्च को खत्म हो गया था। 11 मार्च 2020 को एक साल के अवधि के लिए इनकी नियुक्ति की गई थी, लेकिन कोरोना और कुछ कानून अधिकारियों की छुट्टी करने के विवाद के चलते 79 दिन बाद बाद अनुबंध के आदेश जारी किए गए। एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (न्याय प्रशासन विभाग) हरियाणा द्वारा जारी आदेश के अनुसार अनुबंध सूची में दिल्ली में 10 कानून अधिकारी व चंडीगढ़ महाधिवक्ता आफिस में 75 कानून अधिकारियों को रखा गया है।
30 कानून अधिकारियों को हटाने की थी योजना, अपने कनैक्शन से पद बचाने में रहे कामयाब
कानून अधिकारियों में अतिरिक्त महाधिवक्ता को लगभग दो लाख रुपये वेतन मिलता है व उप महाधिवक्ता को एक लाख 30 हजार के अलावा अन्य भत्ते भी दिए जाते हैं। वहीं सहायक महाधिवक्ता को भी सभी भत्तों समेत एक लाख के करीब वेतन मिलता है। दीपा सिंह के अलावा दो और कानून अधिकारियों राजीव गोयल और गौरव गुलजार का नाम नई अनुबंध सूची में नहीं है। इन तीन अधिकारियों को चंडीगढ़ से हटाने के बावजूद लगभग 156 कानून अधिकारी अभी भी चंडीगढ़ में राज्य के एजी कार्यालय में कार्यरत हैं। राज्य सरकार ने दो और कानून अधिकारियों विनीत ढांडा और राघव सभरवाल को भी अपने दिल्ली कार्यालय से हटा दिया है। इसके साथ ही दिल्ली में कानून अधिकारियों की संख्या 51 हो गई है।
अब भी 207 कानून अधिकारियों के साथ हरियाणा का एजी कार्यालय आकार में सबसे बड़ा है। सूत्रों ने अनुसार मौजूदा महामारी की स्थिति को देखते हुए जहां प्रतिबंधात्मक सुनवाई के कारण अदालतों में काम कम कर दिया गया है, वहीं राज्य सरकार ने शुरू में 30 कानून अधिकारियों को हटाकर आकार को कम करने का फैसला किया था। हालांकि, इनमें से ज्यादातर जो वकील निशाने पर थे, वह अपने कनैक्शन और सत्तारूढ़ दल से जुड़े लोगों पर दबाव के माध्यम से अपने पदों को बचाने में कामयाब रहे। केंद्रीय मंत्रियों, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और राज्य के वरिष्ठ नौकरशाहों से जुड़े कुछ लोग भी एजी कार्यालय में अपनी जगह बचाने में कामयाब रहे। इसके बाद, सरकार को 85 कानून अधिकारियों का कार्यकाल बढ़ाना पड़ा, जिनका अनुबंध मार्च माह ही में समाप्त हो गया था ।
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