वाटर लोगिंग और सेम की समस्या से निपटान के लिए हरियाणा सरकार ने बनाई योजना, किसानों को करना होगा रजिस्ट्रेशन

वाटर लोगिंग और सेम की समस्या से निपटान के लिए हरियाणा सरकार ने बनाई योजना, किसानों को करना होगा रजिस्ट्रेशन
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मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विधानसभा में बताया कि प्रदेश में करीब 4 से 5 लाख एकड़ जमीन में सेम व वाटर लोगिंग की समस्या है। जनवरी महीने में पोर्टल के माध्यम से किसान आवेदन मांगे जाएंगे, जो किसान सबसे पहले रजिस्ट्रेशन करेगा, वहां इस समस्या के समाधान के लिए काम शुरू किया जाएगा।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ( Cm Manohar lal ) ने कहा कि प्रदेश में वाटर लोगिंग और जमीन में सेम की समस्या से निपटने के लिए विस्तृत योजना बना ली गई है। इससे जुड़ा पोर्टल जनवरी महीने में लॉन्च किया जाएगा। दिसंबर महीने में इस योजना का स्वरूप सामने आ जाएगा। हरियाणा सरकार ने बड़े स्तर पर इस समस्या से निपटने की योजना बनाई है। मुख्यमंत्री शुक्रवार को हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सवाल का जवाब दे रहे थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सेम या वाटर लोगिंग की समस्या प्रदेश के लिए नई नहीं है, इससे काफी जमीन प्रभावित है। करीब 4 से 5 लाख एकड़ जमीन में सेम व वाटर लोगिंग की समस्या है। प्रदेश सरकार ने सबसे पहले 1 लाख एकड़ जमीन से वाटर लोगिंग व सेम की समस्या से निपटने की योजना बना ली है। जनवरी महीने में पोर्टल के माध्यम से किसान आवेदन मांगे जाएंगे, जो किसान सबसे पहले रजिस्ट्रेशन करेगा, वहां इस समस्या के समाधान के लिए काम शुरू किया जाएगा। पानी की निकासी पाईप, ड्रेन या वहां की मौजूदा परिस्थितियों के मुताबिक की जाएगी।

खेतों की सिंचाई के लिए नालों का पुननिर्माण

विधानसभा में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेेपी दलाल ने कहा कि सरकार ने खेतों की सिंचाई के लिए पानी की खालों के सम्बन्ध में ''नवनिर्माण / पुनर्वास / पुननिर्माण एवं खालों का विस्तार 2021'' नामक नीति जारी की है। उन्होंने कहा कि खालों के पुनर्वास के लिए न्यूनतम आयु मानदंड बीस ( 20 ) वर्ष है ( लागत का 1 प्रतिशत किसानों द्वारा वहन करने की शर्त के साथ ) विशेष परिस्थितियों में 15 वर्ष से अधिक उम्र तथा 75 प्रतिशत से ज्यादा क्षतिग्रस्त हों गए हो ऐसे खालों के पुननिर्माण बारे भी ( लागत का 25 प्रतिशत किसानों द्वारा वहन करने की शर्त के साथ ) विचार किया जा सकता है । इसके अतिरिक्त दोनों ही मामलों में किसानों को आउटलेट के सीसीए के न्यूनतम 30 प्रतिशत क्षेत्र को सूक्ष्म सिंचाई के अंतर्गत कवर करने के लिए सहमति देनी होगी।

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