अपशिष्ट प्रबंधन के लिए हरियाणा सरकार ने लागू की ये योजना

अपशिष्ट प्रबंधन के लिए हरियाणा सरकार ने लागू की ये योजना
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उद्योगों को अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधियां करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से औद्योगिक क्षेत्र के लिए ‘अपशिष्ट प्रबंधन के लिए सहायता’ योजना अधिसूचित की है, जिसके तहत राज्य में उद्योगों को कचरा संग्रहण, परिवहन, उपचार और निपटान जैसी अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधियों के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।

हरियाणा सरकार ने उद्योगों को अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधियां करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से औद्योगिक क्षेत्र के लिए 'अपशिष्ट प्रबंधन के लिए सहायता' योजना अधिसूचित की है, जिसके तहत राज्य में उद्योगों को कचरा संग्रहण, परिवहन, उपचार और निपटान जैसी अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधियों के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा। ये गतिविधियां न केवल पर्यावरणिक और सामाजिक रूप से सतत है बल्कि आर्थिक रूप से व्यवहार्य भी है।

उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के एक प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि यह योजना पहली जनवरी, 2021 से शुरू मानी जाएगी और पांच वर्ष की अवधि तक लागू रहेगी। इस योजना के तहत पहली जनवरी, 2021 को या उसके बाद और 31 दिसंबर, 2025 से पहले भूमि, मशीनरी और उपकरण की खरीद पर सहायता प्रदान की जाएगी।

उन्होंने कहा कि अपशिष्ट प्रबंधन योजना के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (ईएसडीएम) क्षेत्र में संचालित उद्योगों के लिए इलेक्ट्रॉनिक कचरा प्रबंधन और ई-कचरा वसूली परियोजनाएं स्थापित करने के लिए 50 करोड़ रुपये तक की मशीनरी और उपकरण सहित परियोजना लागत के 50 प्रतिशत तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य में कहीं भी इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (ईएसडीएम) क्षेत्र में संचालित नई अल्ट्रा-मेगा परियोजनाओं, मेगा परियोजनाओं, बड़े उद्योगों, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को केवल किए गए व्यय की प्रतिपूर्ति के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।

अधिसूचित उद्योगों की प्रतिबंधात्मक सूची इस सहायता के लिए लागू नहीं होगी

उन्होंने कहा कि एचईईपी-2020 के तहत अधिसूचित उद्योगों की प्रतिबंधात्मक सूची इस सहायता के लिए लागू नहीं होगी। पात्र इकाइयों को सांख्यिकीय उद्देश्य के लिए पोर्टल पर आईईएम/उद्यम पंजीकरण प्रमाणपत्र (यूआरसी) और हरियाणा उद्यम ज्ञापन (एचयूएम) दाखिल करना होगा। उन्होंने कहा कि इकाई को सक्षम प्राधिकारी से एनओसी/सीएलयू, यदि लागू हो तो, भी प्राप्त करना होगा। इकाई वाणिज्यिक उत्पादन में होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वितरण के समय इकाई नियमित उत्पादन में होनी चाहिए और बंद इकाई को सब्सिडी जारी नहीं की जाएगी।

वित्तीय सहायता का संवितरण तीन चरणों में किया जाएगा

संवितरण की पद्धति के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि वित्तीय सहायता का संवितरण तीन चरणों में किया जाएगा। पहले चरण में पात्र सहायता की 25 प्रतिशत की पहली किश्त भूमि का शत-प्रतिशत कब्जा लेने के बाद जारी की जाएगी और आवेदक द्वारा पात्र परियोजना लागत का 50 प्रतिशत व्यय किया होना चाहिए। पात्र सहायता की 25 प्रतिशत की दूसरी किश्त आवेदक द्वारा पात्र परियोजना लागत का 75 प्रतिशत खर्च करने के बाद वितरित की जाएगी। उन्होंने कहा कि पात्र सहायता की 50 प्रतिशत की तीसरी और अंतिम किश्त का भुगतान तब किया जाएगा जब आवेदक ने पात्र परियोजना लागत का शतप्रतिशत खर्च किया हो। इन सभी मामलों में आवेदक को प्रगति रिपोर्ट भी प्रस्तुत करनी होगी।

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