हरियाणा सरकार ने तैयार किया यमुना एक्शन प्लान, नदी में नहीं जाएगा गंदे नालों का पानी

हरियाणा सरकार ने तैयार किया यमुना एक्शन प्लान, नदी में नहीं जाएगा गंदे नालों का पानी
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मंत्री मूलचंद शर्मा ने बताया कि सरकार ने इस सम्बन्ध में एक समिति का गठन किया है। जिला गुरुग्राम, मेवात, फरीदाबाद और पलवल के विधायकों को इसका सदस्य और एम.एस., हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सदस्य संयोजक बनाया गया।

चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने यमुना एक्शन प्लान तैयार किया है, जिसमें हरियाणा के उन सभी 11 नालों में प्रदूषण के नियंत्रण की परिकल्पना की गई है, जिनसे यमुना नदी में उपचारित या अनुपचारित बहिःस्राव गिरता है। इन नालों में प्रदूषण के नियंत्रण से प्रदूषित जल यमुना नदी में नहीं जाएगा, जिससे आगरा व गुड़गांव नहर निकलती हैं। यह जानकारी हरियाणा के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ने आज यहां हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान आगरा और गुड़गांव नहर में प्रदूषित पानी के सम्बन्ध में लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में कही।

उन्होंने सदन को अवगत करवाया कि हरियाणा सरकार ने इस सम्बन्ध में एक समिति का गठन किया है। जिला गुरुग्राम, मेवात, फरीदाबाद और पलवल के विधायकों को इसका सदस्य और एम.एस., हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सदस्य संयोजक बनाया गया। इसके अलावा, अतिरिक्त मुख्य सचिव, पर्यावरण और प्रधान सचिव, सिंचाई को भी सदस्य नामित किया गया है। इस समिति की 5 बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल और मुख्य सचिव के स्तर पर नियमित रूप से इसकी समीक्षा की जा रही है। सीवरेज और औद्योगिक प्रवाह के उपचार में शामिल सभी हितधारक विभागों-जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, शहरी स्थानीय निकाय विभाग, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, एचएसआईआईडीसी और जीएमडीए कार्य योजना के कार्यान्वयन के संबंध में की गई कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए बैठक में भाग लेते हैं।

उन्होंने बताया कि कार्य योजना में मौजूदा एसटीपी तथा सीईटीपी का निर्माण व उन्नयन, गैर-अनुमोदित क्षेत्रों से सीवेज डालने पर रोक, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जल प्रदूषणकारी उद्योगों की नियमित निगरानी और ऐसे उद्योगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करना आदि शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इस कार्य योजना के क्रियान्वयन के फलस्वरूप पिछले कुछ वर्षों में आगरा नहर के पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। वर्ष 2017 में बायो-केमिकल ऑक्सीजन डिमांड ( बीओडी ) 40 था, जो वर्ष 2022 के दौरान 27 रहा। उन्होंने बताया कि कार्य योजना के क्रियान्वयन के परिणामस्वरूप निकट भविष्य में समस्या का समाधान होने जा रहा है। शीघ्र ही पड़ोसी राज्य के मुख्यमंत्री के साथ एक अंतर्राज्यीय बैठक भी आयोजित की जाएगी। मूलचंद शर्मा ने बताया कि गुड़गांव और आगरा नहरें दिल्ली क्षेत्र में ओखला बैराज पर यमुना नदी से निकलती हैं। आगरा नहर सीधी बहती हुई गांव करमन के पास हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा तक पहुँचती है। गुड़गांव नहर मेवात क्षेत्र में सिंचाई के पानी का प्रमुख स्रोत है और इसमें दिल्ली व उत्तर प्रदेश के प्रदूषण के कारण बड़ी आबादी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 के दौरान जिला फरीदाबाद में बदरपुर सीमा पर आगरा नहर में बीओडी के संदर्भ में प्रदूषकों की स्थिति 24 से 32 मिलीग्राम प्रति लीटर के बीच है। यह इंगित करता है कि नदी दिल्ली क्षेत्र में बुरी तरह से प्रदूषित हो रही है।

मूलचंद शर्मा ने बताया कि यमुना नदी हरियाणा से दिल्ली में पल्ला गांव में प्रवेश करती है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली में पल्ला से जैतपुर तक 52 किलोमीटर की दूरी तय करती है। नदी ओखला हैड के पास फरीदाबाद जिले में राज्य में फिर से प्रवेश करती है। दिल्ली क्षेत्र में 62 नालों के माध्यम से नदी में आंशिक रूप से उपचारित/अनुपचारित औद्योगिक/सीवरेज अपशिष्ट गिरता है। इसके परिणामस्वरूप, नदी का पानी बुरी तरह प्रदूषित हो जाता है। दिल्ली क्षेत्र के 3 नाले आगरा नहर में भी गिरते हैं। इसके अलावा, ओखला एस.टी.पी. का डिस्चार्ज आगरा कैनाल में और थर्मल पावर प्लांट बदरपुर का डिस्चार्ज गुड़गांव कैनाल में गिरते हैं। साथ ही, फरीदाबाद से 45 एम.एल.डी. का अनुपचारित बहिस्राव आगरा नहर में गिरता है।

उन्होंने बताया कि वजीराबाद, दिल्ली सीमा पर हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा यमुना नदी की गुणवत्ता की निगरानी की जा रही है। नदी में बायो-केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बी.ओ.डी.) वर्ष 2022 में दिल्ली में प्रवेश करने से पहले 3.0 मिलीग्राम प्रति लीटर की अनुमेय सीमा के मुकाबले 1.2 से 4.8 मिलीग्राम प्रति लीटर के बीच है। इससे संकेत मिलता है कि हरियाणा दिल्ली को यमुना का साफ पानी दे रहा है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली में 2874 एम.एल.डी. क्षमता के एस.टी.पी. स्थापित किए गए हैं, जबकि इसमें 3491 एम.एल.डी. का सीवेज पैदा हो रहा है। लेकिन एस.टी.पी. का क्षमता उपयोग 2714 एम.एल.डी. है, जो बिना सीवर वाले क्षेत्र को दर्शाता है। इस प्रकार, दिल्ली में एस.टी.पी. की उसकी स्थापित क्षमता से अधिक सीवेज पैदा हो रहा है। काफी हद तक यह अनुपचारित सीवेज इन नालों के नेटवर्क के माध्यम से यमुना नदी में छोड़ा जा रहा है।


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