कभी फायदे की बात, अब नुकसान का डर : एनसीआर में शामिल जिलों को बाहर कराने के लिए हरियाणा सरकार के प्रयास शुरू

चंडीगढ़ : एक वक्त में ज्यादा से ज्यादा जिले एनसीआर में शामिल कराना फायदे का सौदा था, वही अब राज्य के लिए घाटे की बात हो गई है। जिसके कारण अब जिलों को इससे बाहर कराने के लिए सरकार और प्रतिनिधियों की ओर से प्रयासों की शुरुआत कर दी गई है।
एनसीआर एरिया में ज्यादा जिले आने के कारण अब जिलों में इसका सबसे पहले असर एक दशक पुराने डीजल वाहनों और पंद्रह साल पुराने वाहनों को बाहर करने का फैसला लोगों में चिंता बढ़ा रहा है। इसी तरह से कई तरह की तकनीक और एनजीटी के कई निर्देशों , शर्तों का पालन कर चुके ईंट भट्ठा संचालक भी दुखी हैं, क्योंकि प्रतिबंधों के कारण कामकाज पर भारी प्रतिकूल प्रभाव हो रहा है। इसी तरह से दिल्ली में फैलने वाले वायु प्रदूषण को लेकर भी एनसीआर के जिलों को कईं तरह के आरोप व प्रभाव झेलने पड़ते हैं। इसका प्रभाव सीधे सीधे प्रदेश में खनन और स्टोन क्रेशर आदि पर हो रहा है। इनके बंद होने के बाद में निर्माण कार्य पर प्रतिकूल प्रभाव होते हैं और कामकाज बंद हो जाते हैं। इसी तरह से पेट्रोल और डीजल के पुराने वाहनों को भी हर साल प्रतिबंधों व निर्देशों को मानते हुए स्क्रैप बनाना होगा।
एक दौर में जहां एनसीआर प्लानिंग बोर्ड से ज्यादा से ज्यादा राशि लेने के लिए जिलों को दल्लिी से लगते राज्यों का प्रयास उसमें लाने का रहता था वहीं अब प्रतिबंधों ने नया सिरदर्द पैदा कर दिया है।
हरियाणा विधानसभा की प्रिविलेज कमेटी चेयरमैन सुधीर सिंगला और इंडस्ट्री से जुड़े काफी लोगों ने चिंतन मंथन के बाद कई अहम सुझाव दिए हैं। जिसमें गुरुग्राम, बहादुरगढ़, सोनीपत और फरीदाबाद तक को एनसीआर में शामिल करने की बात कही गई है। जिसके अलावा बचे हुए जिलों को एनसीआर का हिस्सा बनाने का कोई फायदा नहीं।
करनाल और चरखी दादरी, जींद, महेंद्रगढ़, पानीपत, भिवानी सहित कई इलाके इस तरह के हैं, जिनको एनसीआर में शामिल करने का कोई लाभ नहीं हैं। पश्चिमी यूपी के दो जिलों मुजफ्फरनगर की जानसठ और बुलंदशहर की शिकारपुर तहसील भी एनसीआर दायरे से बाहर है। राजस्थान का अलवर जिला एनसीआर करीब है।
अहम बात यहां पर यह है कि एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रब्यिूनल) और सुप्रीम कोर्ट की ओर से लगाए जाने वाले प्रतिबंधों के कारण हरियाणा के 13 जिले उसमें आते हैं। राज्य के 13 जिलों में गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, झज्जर, सोनीपत, पानीपत, रोहतक और नूंह, रेवाड़ी, भिवानी, नारनौल-महेंद्रगढ़, करनाल, जींद एनसीआर रीजन में आते हैं। इस तरह से प्रदेश का 63 प्रतिशत हिस्सा एनसीआर रीजन में शामिल हो चुका है। एनसीआर की कुल सीमा 55 हजार किलोमीटर के दायरे में फैली है और इसको कम कर 35 हजार किलोमीटर पर लाने के सुझाव कई बार दिए जा चुके हैं। बताया जा रहा है कि सरकार और एनसीआर प्लानिंग बोर्ड इससे सहमत भी है। पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए कई बार दिल्ली दौरे के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला केंद्र सरकार के सामने रख चुके हैं। विधायक सिंगला ने एनसीआर प्लानिंग बोर्ड के सचिव को पत्र लिखकर ऐसे तमाम जिलों को एनसीआर रीजन से बाहर करने की मांग की है, जो दिल्ली से 100 किलोमीटर की दूरी पर हैं।
नई स्क्रैप पालिसी बनी सिरदर्द
एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश तथा केंद्र सरकार की नई स्क्रैप पॉलिसी हरियाणा सरकार के लिए बड़ी सिरदर्दी कारण बन गई है। हरियाणा के 13 जिले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आते हैं। सरकार चाहती है कि दिल्ली में राजघाट को केंद्र बिंदु मानकर उसके सौ किलोमीटर के दायरे में आने वाले क्षेत्रों को ही एनसीआर प्लानिंग बोर्ड का हिस्सा माना जाए।
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