किसान आंदोलन : दुनिया के सामने उभरकर आया पंजाब और हरियाणा का भाईचारा

हरिभूमि न्यूज. सोनीपत
तीन कृषि कानूनों को लेकर कुंडली बॉर्डर पर 97 दिनों से चल रहे आंदोलन के बीच हरियाणा-पंजाब का एक जैसा कल्चर लोगों के लिए नजीर बना हुआ है। किसान आंदोलन की यह सबसे बड़ी उपलब्धि है कि हरियाणा-पंजाब का नायाब भाईचारा पूरी दुनिया के सामने उभरकर आया। किसान नेताओं ने मंच से कहा कि हरियाणा व पंजाब के बीच विवाद करवाने की खूब कोशिशें की गई, लेकिन दोनों ओर के लोगों ने अपनेपन से पूरे देश को भाईचारे का संदेश दिया। किसानों ने चेतावनी देते हुए कहा कि सभी जानते हैं कि हरियाणा-पंजाब वाले जब कोई बात ठान लेते हैं तो उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। यहां पर भी अपनी परंपरा को बरकरार रखेंगे और मांगे पूरी होने तक कदम पीछे नहीं हटाएंगे।
किसान नेताओं ने कहा कि आंदोलन को कमजोर करने के लिए सरकार ने कई कोशिशें की। लाल किले की घटना के बाद आंदोलन कमजोर पड़ने लगा तो पंजाब की बांह यूपी ने पकड़ी और आंदोलन को फिर मजबूत किया। किसान नेताओं ने आंदोलन को फिर से पटरी पर लाने का श्रेय यूपी को दिया है। उन्होंने कहा कि पंजाब से हरियाणा के अलग होने के बाद आज तक कुछ मतभेद थे, जिन्हें अब किसान आंदोलन ने दूर कर दिया है। अब हरियाणा-पंजाब व यूपी का किसान एकजूट होकर किसान आंदोलन को मजबूती के साथ आगे बढ़ा रहा है। किसान नेताओं ने कहा कि जब तक सरकार किसानों की मांगें नहीं मान लेती, तब तक उनका यह आंदोलन जारी रहेगा।
किसान आंदोलन पर विशेषज्ञ भी करने लगे हैं शोध, लिखी जाने लगी किताबें
किसान नेताओं ने कहा कि 97 दिनों से शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा किसान आंदोलन अब एक नया इतिहास रचने जा रहा है। कई बड़े विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञ अब आंदोलनस्थल पर पहुंच कर शोध करने लगे हैं। यही नहीं कुछ लेखकों ने इस पर किताबें लिखनी भी शुरू कर दी है, जबकि कुछ इस पर अपनी लेखनी पूरी कर चुके हैं। किसानों का यह आंदोलन इतिहास के स्वर्ण अक्षरों मेंअंकित रहेगा और आने वाली पीढ़ी किसानों को याद करेगी।
मोदी का हिंदुत्व का एजेंडा कर दिया फेल
किसान नेताओं ने कहा कि भाजपा अरबों रुपये खर्च कर रही है और हिंदुओं का एजेंडा चलाकर प्रोपगेंडा रच रही है, लेकिन अब इनकी पोल खुल चुकी है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, मध्य प्रदेश और देश के दूसरे राज्यों से किसानों का आना लगातार जारी है। एक बार फिर धरनास्थल पर किसानों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई है। किसान नेताओं ने कहा कि किसानों ने मोदी का हिंदुत्व का एजेंडा बिल्कुल फेल कर दिया है और वे किसान-मजदूर विरोधी नीतियों में सरकार की मंशा को किसी सूरत में पूरा नहीं होने देंगे।
शहीद किसानों के परिजनों को दिए 1-1 लाख रुपये
बाबा गुरमीत सिंह डेरा कार सेवा शाहबाद और सरदार रणधीर सिंह संगत ट्रस्ट के सहयोग से आंदोलन में शहीद हुए 20 परिवारों को एक-एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी गई। किसान नेता गुरनाम चढूनी ने बताया कि कुर्बान हुए किसानों के परिजनों की सहायता के लिए बहुत से समाजसेवी आगे आ रहे हैं। किसानों की कुबार्नी व्यर्थ नहीं जाएगी। लखीमपुर खीरी में किसानों ने भाजपा नेताओ का बॉयकॉट किया। किसान सरकार को चेतावनी देते हैं कि अगर सरकार इन कानूनों को वापस नहीं लेती और एमएसपी पर कानून नहीं बनाएगी तो भाजपा और उसके सहयोगियों के समस्त नेताओं का देशभर में बायकॉट किया जाएगा।
व्यवस्था बनाने में लग जाएंगे दो महीने
किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने किसानों को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए, लेकिन सफल नहीं हो पाए। जब किसान यहां से आंदोलन जीतकर जाएंगे तो यहां व्यवस्था बनाने भर में सरकार को लगभग दो माह का समय लग जाएगा। क्योंकि सरकार ने किसानों को रोकने के लिए न केवल खाई खोदी हैं, बल्कि पक्की दीवारें बनाई हैं। यही नहीं रास्तों में मोटे निर्माण भी कर दिए हैं। सरकार द्वारा उठाए गए इस प्रकार के कदम यह दर्शाते हैं कि सरकार किसानों से किस हद तक घबराई हुई है।
रक्तदान शिविर में उमड़ी भीड़
धरनास्थल पर सोमवार को किसानों की आवाज बुलंद करने के साथ ही किसान समाजसेवा करने से पीछे नहीं हट रहे। सोमवार को धरनास्थल पर रक्तदान शिविर लगाया गया। जिसमें युवा किसानों ने बढ़ चढ़कर रक्तदान किया। किसान नेताओं ने कहा कि रक्तदान महादान है। रक्त की दो बूंदे किसी का जीवन बचा सकती है। यही नहीं रक्तदान करने से व्यक्ति का शरीर भी स्वस्थ रहता है। किसान नेताओं ने सभी को रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया।
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