हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने खनन अधिकारी पर लगाया 30 हजार का जुर्माना, जानिए कारण

हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने खनन अधिकारी पर लगाया 30 हजार का जुर्माना, जानिए कारण
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आयोग ने खनन एवं भूविज्ञान विभाग की सितंबर से दिसंबर, 2021 तक की रिपोर्टों का अवलोकन किया और इसमें तीन आवेदनों की सेवा देने में खामियां पाई गई।

चंडीगढ़। हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने एक खनन अधिकारी ओमदत्त शर्मा के कार्य में ढि़लाई पाने पर उस पर कुल 30 हजार रूपए का जुर्माना लगाया है। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा राज्य के अंतिम व्यक्ति के विकास हेतु कई कदम उठाए जा रहे हैं। इसी के तहत 43 विभागों/संस्थाओं की 584 सेवाएं हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग अधिनियम के अंर्तगत अधिसूचित हैं। उन्होंने बताया कि इन अधिसूचित सेवाओं का समयबद्ध वितरण सुनिश्चित करने के लिए आयोग द्वारा नियमित मानिटरिंग की जाती है। जो सेवाएं सरल पोर्टल पर उपलब्ध नहीं हैं, आयोग उन सेवाओं के संबंधित विभागों से मासिक रिपोर्ट मंगवा लेता है। इन रिपोर्टों में उल्लिखित हर आवेदन का अवलोकन किया जाता है।

प्रवक्ता ने बताया कि आयोग ने खान एवं भूविज्ञान विभाग की सितंबर से दिसंबर, 2021 तक की रिपोर्टों का अवलोकन किया और इसमें तीन आवेदनों की सेवा देने में खामियां पाई गई। इन तीनों आवेदनों के संबंध में पंचकूला के खनन अधिकारी ओमदत्त शर्मा को नोटिस दिया गया। सुनवाई के दौरान ओमदत्त शर्मा ने बताया कि तीनों आवेदनों के दस्तावेज पूरे न होने के कारण इनको खारिज कर दिया गया। बाद में उसने काम का बोझ और स्टाफ की कमी जैसे गोल-मोल जवाब दिए। आयोग ने जांच के दौरान पाया कि ओमदत्त बिना किसी कारण फाईल को विभाग में घुमाता रहा, जिसके कारण इन फाइलों को निपटाने में लगभग 400 दिनों की देरी हुई।

हालांकि खनिज डीलर लाईसेंस देने का अधिसूचित समय 45 दिन है परंतु ओमदत्त शर्मा ने निर्धारित समय से 10 गुना ज्यादा समय लेते हुए तीन पात्र व्यक्तियों को उनके आवेदनों पर अपना निर्णय सुनाने में देरी की। आयोग ने इस कार्य में ढिलाई और लापरवाही के लिए ओमदत शर्मा पर प्रति केस 10,000 रूपए के हिसाब से कुल 30 हजार रूपये का जुर्माना लगाया है। प्रवक्ता के अनुसार हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग को आम आदमी से संबंधित अधिसूचित सेवाओं में देरी करना बिल्कुल स्वीकार्य नही है।

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