हरियाणा सेवा का अधिकार आयाेग ने तहसीलदार पर लगाया 20 हजार का जुर्मान, जानिए कारण

चंडीगढ। हरियाणा में सेवा का अधिकार अधिनियम को प्रभावी ढंग से लागू किया गया जा रहा है ताकि लोगों को आवश्यक सेवाएं समय पर उपलब्ध हों सके। लोगों को आवश्यक सेवाएं समय पर उपलब्ध न करवाने पर आयोग द्वारा किसी भी तरह की लापरवाही स्वीकार नहीं की जाती। एक मामले में आयोग ने तत्कालीन तहसीलदार कनब लाकड़ा पर सख्त कार्यवाही करते हुए दो रजिस्ट्रों के इंतकाल दर्ज किए जाने में हुई देरी पर 20-20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया और दोनों ही मामलों में 5-5 हजार का मुआवजा भी प्रार्थी को देने के आदेश दिए। इसके साथ ही यह भी आदेश दिए कि यदि तत्कालीन तहसीलदार यह जुर्माना निर्धारित समय में अदा नहीं करता तो यह जुर्माने की राशि उनके वेतन सेे काट ली जाए।
सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि हरियाणा के विभिन्न जिलों से आयोग के पास पत्र या ई - मेल के माध्यम से जब भी शिकायतें आती है उनका तत्परता से संज्ञान लिया जाता है। कभी मामला महेन्द्रगढ़ के कुलदीप सिंह का बिजली के बिल, तो कभी कुरूक्षेत्र की सीमा के घर के पास के नाले की सफाई का रहा हो। सभी पर कार्रवाई करते हुए उनका निवारण किया गया है। इसी क्रम में झज्जर जिले के चिन्मय शर्मा का भी ई-मेल आया। इसमें चिन्मय शर्मा की मां उषा शर्मा के नाम जो जमीन थी। उसे अपने बेटे चिन्मय के नाम की रजिस्ट्री करके इंतकाल करवाना था। शिकायतकर्ता ने तहसील कार्यालय बहादुरगढ़ में अंत्योदय सरल द्वारा मई 2021 में इंतकाल का आवेदन किया था। सेवा का अधिकार अधिनियम में निर्विरोध इंतकाल की कॉपी प्रदान करने की समय सीमा 30 दिनाें की अधिसूचित है। इसके बाद भी शिकायतकर्ता से तहसील कार्यालय बहादुरगढ़ के अनेक चक्कर कटवाए गए।
सितम्बर, 2021 में चिन्मय ने परेशान होकर आयोग को ई-मेल किया। उनकी शिकायत पर संज्ञान लेते हुए आयोग ने उपमंडल अधिकारी, बहादुरगढ़ से इस मामले में रिपोर्ट मांगी। अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन तहसीलदार द्वारा इंतकाल नं. 37036 दिनांक 12.8.2021 से इंतकाल नं. 37069 दिनांक 14.9.2021 तक मैनुएल दर्ज किए गए, परंतु ऑनलाइन इंतकाल दर्ज करने का क्रम 38001 से शुरू किया गया है। दोनों प्रक्रियाओं से इंतकाल दर्ज करते समय 937 नंबर का अंतर पाया गया। इंतकाल दर्ज करने का क्रम नियमानुसार लगातार चलना चाहिए था। इस प्रकार उपमण्डल अधिकारी ने चिन्मय शर्मा का इंतकाल दर्ज करने में जानबूझकर तत्कालीन तहसीलदार बहादुरगढ़ कनब लाकड़ा द्वारा देरी करना बताया।
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