एचएयू ने डब्ल्यूएच 1270 किस्म की गेहूं विकसित की, किसानों को मिलेगा लाभ

एचएयू ने डब्ल्यूएच 1270 किस्म की गेहूं विकसित की, किसानों को मिलेगा लाभ
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यह वैज्ञानिकों की मेहनत का ही परिणाम है कि हरियाणा (Haryana) प्रदेश क्षेत्रफल की दृष्टि से अन्य प्रदेशों की तुलना में बहुत ही छोटा है जबकि देश के केंद्रीय खाद्यान भंडारण में प्रदेश का कुल भंडारण का 16 प्रतिशत हिस्सा है और फसल उत्पादन में अग्रणी प्रदेशों में है, जो अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है।

हरिभूिम न्यूज :हिसार। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की मेहनत (hard work) की बदौलत एक ओर उपलब्धि विश्वविद्यालय ने अपने नाम कर ली है। अब वैज्ञानिकों ने गेहूं की डब्ल्यूएच 1270 उन्नत किस्म विकसित की है।

यह वैज्ञानिकों की मेहनत का ही परिणाम है कि हरियाणा प्रदेश क्षेत्रफल की दृष्टि से अन्य प्रदेशों की तुलना में बहुत ही छोटा है जबकि देश के केंद्रीय खाद्यान भंडारण में प्रदेश का कुल भंडारण का 16 प्रतिशत हिस्सा है और फसल उत्पादन में अग्रणी प्रदेशों में है, जो अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि (Availability) है।

आज हरियाणा प्रदेश गेहूं के प्रति हेक्टेयर उत्पादन क्षमता में देशभर में प्रथम स्थान पर है। इस किस्म को विश्वविद्यालय के अनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग के गेहूं अनुभाग द्वारा विकसित किया गया है।

सिफारिश अनुसार बिजाई करने पर होती अधिक पैदावार : डॉ. सहरावत

विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके. सहरावत ने बताया कि इस किस्म को अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में बिजाई के लिए अनुमोदित किया गया है। अगेती बिजाई करने पर इसकी पैदावार प्रति एकड़ 4 से 8 क्विंटल तक अधिक ली जा सकती है।

उन्होंने बताया कि इस किस्म में विश्वविद्यालय द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसार बिजाई करके उचित खाद, उर्वरक व पानी दिया जाए तो इसकी औसतन पैदावार 75.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो सकती है और अधिकतम पैदावार 91.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक ली जा सकती है।

इस किस्म की खास बात यह है कि यह गेहूं की मुख्य बिमारियां पीला रत्तवा व भूरा रत्तवा के प्रति रोगरोधी है। इसके अलावा गेहूं के प्रमुख क्षेत्रों में प्रचलित मुख्य बिमारियां जैसे पत्ता अंगमारी, सफेद चुर्णी व पत्तियों की कांग्यिारी के प्रति भी रोगरोधी है।

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