एचएयू वैज्ञानिकों ने एक साथ जई की दो किस्में ओएस 405 व ओएस 424 विकसित की

हिसार। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने जई की एक साथ दो नई व उन्नत किस्मों को विकसित कर विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया है। ये किस्में ओएस 405 व ओएस 424 हैं, जिन्हें विश्वविद्यालय के अनुवांशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग के चारा अनुभाग द्वारा विकसित किया गया है।
विश्वविद्यालय द्वारा विकसित इस किस्म को भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि एवं सहकारिता विभाग की 'फसल मानक, अधिसूचना एवं अनुमोदन केंद्रीय उप-समिति' द्वारा नई दिल्ली में आयोजित बैठक में अधिसूचित व जारी कर दिया गया है।
बैठक की अध्यक्षता भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के फसल विज्ञान के उप-महानिदेशक डॉ. टी.आर. शर्मा ने की। जई की इन किस्मों में ओएस 405 को भारत के मध्य क्षेत्र मुख्यत: महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मध्य यू.पी. और ओएस 424 को पहाड़ी क्षेत्र जिसमें हिमाचल,जम्मू-कश्मीर व उत्तराखंड के लिए सिफारिश किया गया है। हालांकि इस किस्म को विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एचएयू में ही विकसित किया है।
हरे चारे की उत्पादकता अन्य किस्मों से 10 प्रतिशत तक अधिक
विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत ने बताया कि इन किस्मों में अन्य किस्मों की तुलना में प्रोटीन अधिक है, जो पशु के दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी करती है। ये किस्में उत्पादन व पोषण की दृष्टि से बहुत ही बेहतर हैं। ओएस 405 किस्म में हरे चारे के लिए प्रसिद्ध किस्म कैंट व ओएस 6 की तुलना में 10 प्रतिशत तक अधिक हरा चारा मिलता है। इसी प्रकार उक्त किस्मों की तुलना में सुखे चारे की पैदावार भी 11 प्रतिशत तक अधिक है।
उन्होंने बताया कि इस किस्म में हरे चारे की उपज 513.94 क्विंटल प्रति हेक्टेयर व सुखे चारे की उपज 114.73 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिलती है। इससे लगभग 15.39 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक बीज प्राप्त किया जा सकता है। ये किस्में पत्ता झुलसा रोग के प्रति प्रतिरोधी हैं। इसी प्रकार ओएस 424 किस्म में हरे चारे की पैदावार 296.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर व सुखे चारे की पैदावार 65.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक आंकी गई है। ओएस 424 किस्म से लगभग 13.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक बीज प्राप्त किया जा सकता है।
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