चौटाला राज में चयनित HCS अधिकारियों को मिली राहत, हाईकोर्ट ने खट्टर सरकार से पूछा ये सवाल

हरियाणा सरकार के सेवा समाप्त करने के नोटिस को 2004 बैच के एचसीएस ( HCS ) ( हरियाणा सिविल सर्विस ) अधिकारियों ने हाईकोर्ट ( High Court ) में चुनौती दी है। हाईकोर्ट के जस्टिस अरुण मोंगा ने अधिकारियों को राहत देते हुए सरकार को नोटिस जारी कर मामले में यथास्थिति के आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि क्यों न वह इस नोटिस पर रोक लगा दे।याचिकाकर्ता अधिकारियों ने सरकार के इस कदम को आपत्तिजनक, नियमों के खिलाफ तथा अपमानजनक करार देते हुए सेवाएं समाप्त करने के नोटिस को रद्द करने की मांग की है।
एचसीएस ( कार्यकारी शाखा ) के अधिकारियों को उनकी छह साल की नियमित सेवा के बावजूद हटाने के लिए 27 नवंबर को नोटिस जारी किया गया है। जिन एचसीएस अधिकारियों ने याचिका दायर की है, उनके अनुसार वह भर्ती में बेदाग उम्मीदवार रहे हैं और पूरी भर्ती को रद करना उनके साथ अन्याय होगा। याचिका में कहा गया कि उनको हटाना हाई कोर्ट के 27 फरवरी 2016 के आदेश का उल्लंघन है। तब राज्य सरकार के निर्णय के मद्देनजर बेदाग उम्मीदवारों को अलग किया गया था और नियुक्ति की पेशकश की गई थी।
फरवरी 2016 में खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति के लिए आदेश जारी किए थे। याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया है कि कारण बताओ नोटिस न केवल अवैध है, बल्कि हाई कोर्ट के आदेश के विपरीत है। जब हाई कोर्ट उनके मामले पर फैसला दे चुका है और उसी फैसले के तहत उनकी नियुक्ति हुई है तो अब राज्य सरकार उनकी सेवा किस आधार पर समाप्त कर सकती है।
हाल ही में, एक मामले में मुख्य सचिव ने हाई कोर्ट को जानकारी दी थी कि 2004 में एचसीएस (कार्यकारी शाखा) और संबद्ध सेवाओं का चयन करने वाली पूरी प्रक्रिया खराब और अनियमितताओं से ग्रस्त थी। इस प्रक्रिया के जरिए नियुक्त इन सभी अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है। इन हरियाणा सिविल सेवा (कार्यकारी शाखा) और संबद्ध सेवाओं का चयन 2004 में ओम प्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली इनेलो की सरकार के दौरान हुआ था। हालांकि, मनोहर सरकार ने 2016 में इनमें से कुछ को ही दागी और बेदाग लोगों को अलग कर नियुक्ति दी थी।
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