अरावली वन क्षेत्र में हो रहे निर्माण पर हाईकोर्ट में सुनवाई, हरियाणा सरकार ने दिया जवाब

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को आदेश दिया था कि वो यह सुनिश्चित करे कि अरावली क्षेत्र में किसी भी तरह का निर्माण या उससे जुड़ी गतिविधि न हो। इस पर हरियाणा सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि इस क्षेत्र में किसी भी तरह के निर्माण की इजाजत नहीं दी जा रही। याचिकाकर्ता हरेंद्र ढींगरा की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि कोर्ट के आदेश के बाद भी अरावली क्षेत्र में बड़े लोगों को फायदा देने के लिए निर्माण जारी है व सड़क बनाई जा रही है। प्रशासन कोर्ट के आदेश के बाद भी आंख बंद किए बैठा है।
इस पर हरियाणा सरकार व नगर निगम गुरुग्राम ने याची के आरोप पर स्टेटस रिपोर्ट देने के लिए कुछ समय देने की मांग की। कोर्ट ने कहा कि अगर अगली सुनवाई तक स्टेटस रिपोर्ट दायर नहीं की गई तो कोर्ट इस मामले को सीबीआइ या सेवानिवृत्ति हाईकोर्ट जज को दे सकता है। इस मामले में हाईकोर्ट का रुख शुरू से ही सख्त रहा है। इस मामले में गुरुग्राम के हरेंद्र ढींगरा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अरावली क्षेत्र को बचाने की मांग की है। याचिका में मांग की गई है कि अरावली क्षेत्र को पूर्णतया वन क्षेत्र घोषित किया जाए। इसके पक्ष में याची ने केंद्र सरकार द्वारा 7 मई 1992 को जारी एक अधिसूचना को आधार बनाया है जिसके तहत यह क्षेत्र फारेस्ट एरिया के रूप में जाना जाएगा। मगर वर्तमान में अरावली क्षेत्र में कई तरह के बिल्डिंग रोड निकाले जा रहे हैं जो पर्यावरण के खिलाफ हैं।
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