हरियाणा नगर निकाय चुनाव पर अब हाईकोर्ट में अगले सप्ताह होगी सुनवाई

हरियाणा में नगर परिषद और पालिकाओं के चुनाव में आरक्षण को चुनौती देने की याचिका पर हाई कोर्ट ने सुनवाई अगले सप्ताह तक स्थगित कर दी है। मंगलवार को एडवोकेट जनरल के सुनवाई के दौरान पेश न होने के चलते कोर्ट ने यह फैसला लिया।
इस मामले में हाई कोर्ट में एक अर्जी दायर कर कोर्ट को बताया गया कि नगर परिषद व पालिकाओं में पिछड़ा वर्ग (बीसी) श्रेणी के लिए प्रधान पद को आरक्षित करने के सरकार के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी हुई है। हाई कोर्ट इस मामले में सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब कर चुका है और मामला कोर्ट में विचाराधीन है, ऐसे में सरकार ने चुनाव की घोषणा भी कर दी है, ऐसे में पिछड़ा वर्ग (बीसी) श्रेणी के लिए प्रधान पद को आरक्षित करने के निर्णय पर तुरंत रोक लगनी चाहिये। इस पर कोर्ट ने जब सरकार से जवाब मांगा तो एडीशनल एडवोकेट जनरल ने आश्वासन दिया था कि अभी चुनाव का कोई कार्यक्रम तय नहीं है।
हरियाणा सरकार द्वारा हरियाणा नगरपालिका चुनावों में पिछड़ा वर्ग (बीसी) श्रेणी के लिए प्रधान पद को आरक्षित करने की नीति को बावल निवासी राम किशन द्वारा हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। कोर्ट को बताया गया कि सरकार नियमों के विपरीत मनमाने ढंग से पिछड़ा वर्ग (बीसी) श्रेणी के लिए प्रधान पद को आरक्षित कर रही है। यह सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण मामले में दिए गए फैसले के खिलाफ है।
कोर्ट को बताया गया कि सरकार ने बिना आधार बीसी श्रेणी के लिए प्रधान पद आरक्षित करने का निर्णय लिया है। आज से पहले कभी भी बीसी के लिए स्थानीय निकाय का प्रधान का पद आरक्षित नहीं किया गया था। कोर्ट को बताया गया कि सरकार के पास बीसी श्रेणी की जनसंख्या का आंकड़ा नहीं है। कोर्ट को बताया गया कि पहले स्थानीय निकाय में निर्वाचित सदस्यों में से प्रधान व उपप्रधान का चुनाव किया जाता था।लेकिन सरकार ने अब संशोधन कर प्रधान का सीधा चुनाव करवाने का निर्णय लिया और इसी के तहत बीसी के लिए प्रधान पद की सीट आरक्षित कर दी
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