धान की फसल में गर्दन तोड़ बीमारी की आहट से किसानों की हार्ट बीट बढ़ी

धान की फसल में गर्दन तोड़ बीमारी की आहट से किसानों की हार्ट बीट बढ़ी
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बवानीखेड़ा व भिवानी खंड के आसपास के इलाकों में खड़ी धान की फसल में उक्त बीमारी नजर आने लगी है। उक्त बीमारी के तहत सबसे पहले धान के खेत में कुछ पौधों में यह बीमारी नजर आती है। उसके बाद धीरे.धीरे दूसरे पौधों को भी अपने आगोश में ले रही है।

हरिभूमि न्यूज : भिवानी

मौमस में ज्यादा नमी व रात को पारा नीचे जाने की वजह से धान की फसल में गर्दन तोड़ (नाड़ तोड़) बीमारी आने की आशंका बन गई है। हालांकि अभी ज्यादा इलाके में इस बीमारी का प्रकोप नजर नहीं आया है,लेकिन जिन इलाकों में धान की फसल की ज्यादा बिजाई की गई है। उन इलाकों में जीरी के खेतों में उक्त बीमारी से ग्रस्त पौधे नजर आने लगे है। पौधों में आई बालियां भी दम तोड़ती नजर आ रही है। बीमारी के आने की आहट के बाद किसानों की हार्ट बीट बढने लगी है। चूंकि किसानों की धान की फसल पर ही सारा दारोमदार है।

वैसे तो इस बार बेमौसम की बारिश ने किसानों की खरीफ की सारी फसलों को चौपट कर दिया,लेकिन पहले कपास के बाद अब धान की फसल में गर्दन तोड़ बीमारी की आहट ने किसानों को हार्ट बीट बढा दी है। हालांकि अभी बीमारी ज्यादा इलाके में नहीं फैली है,लेकिन जिस गति से बीमारी जीरी की फसलों में फैलने लगी है। उससे लगता है कि जल्द ही अनेक इलाकों की जीरी की फसल को अपनी जद में ले सकती है।

फिलहाल बवानीखेड़ा व भिवानी खंड के आसपास के इलाकों में खड़ी धान की फसल में उक्त बीमारी नजर आने लगी है। उक्त बीमारी के तहत सबसे पहले धान के खेत में कुछ पौधों में यह बीमारी नजर आती है। उसके बाद धीरे.धीरे दूसरे पौधों को भी अपने आगोश में ले रही है। एक बार जिस खेत में यह बीमारी नजर आने लगी तो उसके बाद पूरे खेत को अपनी चपेट में ले लेती है। हालांकि दवाओं के छिड़काव के बाद इस बीमारी से अपनी जीरी की फसल को बचाया जा सकता है,लेकिन अगर दवाओं का छिड़काव नहीं किया जाता तो फसल का खतम होना लाजिमी है।

अधिक नमी से बढ़ता है रोग

कृषि वैज्ञानिकों की बात पर यकीन किया जाए तो मौसम की अनुकूल परिस्थितियों में जब तापमान 20.25 डिग्री सेल्सियस तथा एक सप्ताह तक आद्रता या नमी 90 प्रतिशत से अधिक हो तो यह रोग भयंकर रूप ले सकता है। बालियां निकलते समय इस रोग से गांठे कमजोर हो जाती हैं तथा पौधे की बालियां सफेद हो जाती है और इनमें दाने पूरी तरह नहीं बनते। यदि बनते हैं तो कुटाई के समय अधिक टूटते हैं। अगर धान की फसल की बालियों में दाने नहीं बनेंगे या फिर आधे अधूरे दाने बनेंगे तो इससे उसकी औसतन पैदावार घटना लाजिमी है। चूंकि बालिया सफेद हो जाएंगी और उसका दाना पूरी तरह से सूख जाएगा तो पैदावार में असर पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि पहले कपास की फसल में ज्यादा व बेमौसम की बारिश ने मोटा नुकसान किया था। ज्यादा बारिश से कपास की फसल के टिंडे गल गए थे। अब कपास की फसल में गुलाबी सुंडी का कहर है। वहीं अब धान की फसल को ज्यादा नमी ने तबाह कर दिया।

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