प्रेमी जोड़ों की सुरक्षा को लेकर हाईकाेर्ट चिंतित, हरियाणा और पंजाब पुलिस को दिए ये आदेश

घर से भागकर विवाह करने वाले प्रेमी जोड़ों की सुरक्षा पर हाईकोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ प्रशासन को कहा कि वो प्रेमी जोड़ों को आश्रय घर और कानूनी सहायता उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करे। हाई कोर्ट के जस्टिस अवनीश झिंगन ने यह भी स्पष्ट किया कि दोनों राज्य और केन्द्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ कानूनी सेवा प्राधिकरण स्थानीय स्तर पर टेलीफोन सेवा और इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले 24x7 हेल्पडेस्क स्थापित करें।
हाईकोर्ट ने कहा कि प्रतिदिन दायर किए जा रहे इस तरह के काफी सारे मामलों के बीच खतरे के वास्तविक मामलों की अक्सर अनदेखी हो जाती है व हाईकोर्ट पर अनावश्यक केस का बोझ बढ़ रहा है। इसलिए कोर्ट ने सुझाव दिया जो ऐसे जोड़ों के जीवन को सुरक्षा प्रदान करने का काम प्रशासन करे ताकि कोर्ट पर बोझ कम हो सके। हाईकोर्ट ने सुझाव दिए हैं कि केंद्र शासित प्रदेश,चंडीगढ़ के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा के प्रत्येक जिले में सेफ हाउस उपलब्ध कराए जाने चाहिए। एक वेबसाइट या एक ऑन-लाइन मॉड्यूल को ऐसे जोड़ों के लिए बनाया जाना चाहिए ताकि वह फिजिकल तौर पर पेश हुए बिना ही अपनी शिकायतों को दायर कर सकें। पीड़ित व्यक्तियों द्वारा या किसी के माध्यम से शिकायत दाखिल करने के लिए तहसील स्तर पर 24x7 हेल्प डेस्क उपलब्ध होना चाहिये। इसलिए पुलिस विभाग में एक मौजूदा सेल को प्रतिनियुक्त किया जा सकता है या एक नया सेल बनाया जा सकता है जो किसी भी स्थिति में एक समय-सीमा के तहत ऐसे प्रतिनिधित्व पर कार्रवाई कर सके,किसी भी मामले में 48 घंटे से ज्यादा समय न लिया जाए।
हाई कोर्ट ने दोनों राज्यों के एडवोकेट जनरलों, केंद्र शासित प्रदेश, चंडीगढ़ के लिए वरिष्ठ स्थायी वकील और कानूनी सेवा प्राधिकरणों के सदस्य सचिवों को इस मुद्दे से निपटने के लिए संयुक्त प्रयास करने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट इस पर भी नाराजगी व्यक्त की है कि हाई कोर्ट ने दोनों राज्यों के सभी जिला जज को 31 मार्च 2010 के आदेश के तहत निर्देश जारी किए थे कि इस तरह के प्रेमी जोड़ो को अंतरिम सुरक्षा प्रदान दे ,परंतु उनका अनुपालन नहीं किया जा रहा। हाई कोर्ट ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप,जिन प्रेमी जोड़ो को पहले ही खतरा होता है उनको रिट याचिका दायर करने की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए हाईकोर्ट में आना पड़ता है, जो उन्हें और खतरे में डालता है।
सुनवाई के दौरान पंजाब राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के अतिरिक्त सचिव डॉ मनदीप मित्तल ने हाई कोर्ट को को सूचित किया कि पंजाब में प्रत्येक जिले में एक-एक स्टॉप सेंटर (सखी सेंटर) हैं, जो स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, पंजाब द्वारा उपायुक्त की निगरानी में चलाया जा रहा है। हाई कोर्ट ने सुझाव दिया कि यह उचित होगा कि इन केंद्रों के काम का दायरा बढ़ाया जाए और ऐसे प्रेमी जोड़ों के मुद्दों से निपटने के लिए इनकी सेवाओं का उपयोग किया जाए। हाई कोर्ट ने सभी पक्ष को आदेश दिया कि वो 22 मार्च को अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट में दायर करे।
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