हाईकोर्ट ने एडीसी, डीईईओ हिसार सहित सभी नौ बीईओ को नोटिस जारी किया, जानें क्यों

हिसार : परिवार पहचान पत्र के आर्थिक सर्वे की ड्यूटियों को लेकर शिक्षा विभाग के बीईओ व स्कूल डीडीओ के बढ़ते नाजायज दबाव को लेकर आखिरकार जिले के विभिन्न ब्लॉकों से 12 जेबीटी शिक्षकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। पीड़ित शिक्षक अनिल कुमार, जयभगवान, विकास नैन, विनोद कुमार, जितेंद्र कुमार, मनोज कुमार, रामबीर, गुरदेव, धर्मसिंह, रामलाल, हरिराम व मनोज कुमार ने अपने अधिवक्ता संदीप गोयल के माध्यम से सात दिन का समय देते हुए लीगल नोटिस जारी करवा दिया है।
उल्लेखनीय है कि एडीसी हिसार द्वारा जिले के शिक्षक जो पहले ही बीएलओ ड्यूटियां जैसे गैर शैक्षणिक कार्यों में लगा रखे थे, उन्हें ही टीम लीडर बनाकर इस एक ओर गैर शैक्षणिक कार्य में जबरदस्ती झोंका जा रहा है, जबकि शिक्षक स्पष्ट रूप से इन ड्यूटियों का बहिष्कार कर चुके हैं। खुद मुख्यमंत्री हरियाणा के सहमति लेने के बाद भी सर्वे करवाने के निर्देशों के बावजूद उन्हें उनके बीईओ व डीडीओ द्वारा बार बार जबरदस्ती ऑर्डर निकालकर नाजायज दबाव बना रहे हैं।
लीगल नोटिस में इन बातों को बनाया गया है आधार
एडीसी के पत्र क्रमां 885 के तहत उन्हें स्कूलों से ही रिलीव करने के आदेश दिए गए, इन्हें रिलीव की बजाए आवश्यकता करने पर एडीसी हिसार कार्यालय द्वारा वर्किंग समय में छूट देने के आदेश जारी किए गए। लेकिन बीईओ ने खंडों के डीडीओ पर इतना मौखिक दबाव बनाया कि अध्यापकों का बाद की तारीखों में भी रिलीव ही कर दिया गया।
-नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम के चैप्टर चार के सेक्शन 27 में स्पष्ट रूप से अंकित है कि शिक्षकों से कोई भी गैर शैक्षणिक कार्य नहीं करवाया जा सकता। इसकी अवहेलना की जा रही है।
-आरटीई एक्ट के चैप्टर चार के सेक्शन 27 को आधार बनाते हुए एमएचआरडी स्कूली शिक्षा विभाग ने सभी राज्यों के शिक्षा सचिवों व मुख्य सचिवों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि शिक्षकों से कोई गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लिया जा सकता। इसकी अवहेलना की जा रही है।
-महानिदेशक मौलिक शिक्षा हरियाणा के 16 सितंबर 2013 को जारी पत्र जिसमें शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी व अन्य गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्ति के आदेशों की अवहेलना की जा रही है, जो सभी डीईओ डीईईओ को जारी हुआ है।
-सुप्रीम कोर्ट के 2017 के सैंट मैरी स्कूल के कोर्ट फैसले व इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2015 के जनहित याचिका में आए 2015 के फैसलों के आधार पर
-विभाग के सबसे आला अधिकारी एसीएस महाबीर सिंह व निदेशक एनके यादव के पहले अनुमति लेने के नर्दिेशों के बादभी उन्हें न मानने पर
-फरीदाबाद जिले में एडीसी द्वारा ही पांच अपैल को सहमति लेने के आदेश जारी हुए हैं, वहीं जींद में एडीसी ने केवल विभिन्न विभागों के क्लर्कों की लिस्ट मांग है। इस सर्वे के लिए तो हिसार में क्यों यह प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।
विशेष बात यह है कि आरटीई एक्ट, एमएचआरडी, एसीएस, शक्षिा महानिदेशक हरियाणा के स्पष्ट आदेशों के बाद भी न केवल प्रशासनिक अधिकारी, बल्कि शिक्षा विभाग के अधिकारी तक खुद शिक्षकों से ही ये सर्वे करवाने पर क्यों तुले हुए हैं, जबकि न केवल जिले के अनेकों विभागों में, बल्कि खुद शिक्षा विभाग में नॉन टीचिंग पदों पर सैकड़ों कर्मचारी कार्यरत हैं।
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