निजी नौकरियाें में 75 प्रतिशत आरक्षण मामले में हाईकोर्ट का आदेश, याचिका में उठाए हर बिंदू पर जवाब दे केंद्र

निजी नौकरियाें में 75 प्रतिशत आरक्षण मामले में हाईकोर्ट का आदेश, याचिका में उठाए हर बिंदू पर जवाब दे केंद्र
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शुक्रवार को बहस के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि इस मामले में उसे जवाब देने की जरूरत नहीं, क्योंकि यह एक्ट राज्य का है, केंद्र से इसका कोई संबंध नहीं है। हाई कोर्ट ने केंद्र के जवाब पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस विषय पर केंद्र अपने को कैसे अलग कर सकता है।

हरियाणा के निवासियों को प्राइवेट सेक्टर की जॉब में 75 प्रतिशत आरक्षण तय करने के हरियाणा सरकार के कानून को चुनौती देने वाली लगभग दर्जनभर याचिकाओं पर हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। बहस के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि इस मामले में उसे जवाब देने की जरूरत नहीं, क्योंकि यह एक्ट राज्य का है, केंद्र से इसका कोई संबंध नहीं है। हाई कोर्ट ने केंद्र के जवाब पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस विषय पर केंद्र अपने को कैसे अलग कर सकता है। कोर्ट ने केंद्र को याचिका में उठाए गए हर बिंदू पर जवाब देने का आदेश देते हुए सुनवाई 9 मार्च तक स्थगित की।

इस याचिका पर पिछले महीने हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 75 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगा दी थी। हरियाणा सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण ना देने पर कंपनियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई पर भी रोक लगाते हुए हाई कोर्ट के आरक्षण के रोक के आदेश को रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने अंतरिम रोक के फैसले में कारण नहीं बताया और सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को इस मामले में दोबारा सुनवाई करने का आदेश दिया था।

इस मामले में फरीदाबाद व गुरुग्राम के औद्योगिक संगठनों ने याचिका दायर कर हरियाणा में 15 जनवरी से लागू रोजगार गारंटी कानून पर रोक की मांग की है। रोजगार गारंटी कानून के तहत प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों, खासकर उद्योगों में हरियाणा के युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रविधान है।

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