हरियाणा सरकार बोली- राम रहीम हार्डकोर क्रिमिनल नहीं, फरलो के खिलाफ याचिका पर हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

डेरा मुखी गुरमीत राम रहीम को हरियाणा सरकार ने 20 दिनों की जो फरलो दी गई थी, उसके खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मामले के सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
शुक्रवार को जस्टिस राजमोहन सिंह के समक्ष हरियाणा सरकार ने अपना पक्ष रखा कि डेरा मुखी को हार्ड-कोर क्रिमिनल नहीं माना जा सकता है, डेरा मुखी पर हत्या की साजिश रचने के आरोप में दोषी करार देकर सजा सुनाई गई है, इन मामलों में उसे सहअभियुक्तों के साथ साजिस रचने का आरोप था, ऐसे में उसे हार्ड-कोर क्रिमिनल नहीं कहा जा सकता। जेल में डेरा मुखी के व्यवहार को देखते हुए और इस पर क़ानूनी राय लेने के बाद ही फरलो दी गई थी। वहीं याचिकाकर्ता का आरोप था कि डेरा मुखी हत्या और बलात्कार जैसे संगीन अपराधों में दोषी करार दिया गया है ऐसे में वह एक हार्ड-कोर क्रिमिनल है जिसे फरलो नहीं दी जानी चाहिए।
बता दें कि डेरा मुखी को दी गई फरलो के खिलाफ पटियाला के भादसों निवासी परमजीत सिंह सहोली ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि डेरा मुखी पहले ही कई संगीन अपराधों का दोषी करार दिया जा चुका है और सुनारिया जेल में सजा काट रहा है। इसके अलावा उसके खिलाफ कुछ अन्य आपराधिक मामले अभी अदालतों में चल रहे हैं। बावजूद इसके हरियाणा सरकार ने डेरा मुखी को 7 फरवरी से 27 फरवरी तक 20 दिनों की फरलो दिए जाने के आदेश दे दिए जोकि पूरी तरह से गलत है। आरोप लगाया है कि पंजाब विधान सभा के 20 फरवरी को चुनाव होने जा रहे हैं, ऐसे में ठीक इन चुनावों से पहले डेरा मुखी को फरलो राजनैतिक लाभ उठाने के लिए ही दी गई है। ऐसे में डेरा मुखी की फरलो के आदेश रद्द करने की हाईकोर्ट से मांग की गई है।
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