गुरुजनाें को राहत : नेट/पीएचडी की योग्यता न रखने वाले शिक्षकों को हटाने के आदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, हरियाणा सरकार को नोटिस

नेट/पीएचडी की योग्यता न रखने के चलते अयोग्य करार दिए गए शिक्षकों को हटाने के आदेश पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की खंडपीठ ने रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को सेवा में वापिस लेने का अंतरिम आदेश जारी करते हुए हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब कर लिया है।
करनाल निवासी अमृतकौर ने एडवोकेट सुरेश कुमार कौशिक के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती दी है। सिंगल बैंच ने नेट/पीएचडी की योग्यता न रखने वाले आवेदकों को सेवा से बाहर करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। अब खंडपीठ में दाखिल अपील में याची की ओर से दलील दी गई कि हरियाणा सरकार ने शिक्षकों की कमी के चलते गेस्ट लेक्चरार रखने का 2010 में निर्णय लिया था। इसी के तहत सरकारी कॉलेजों में गेस्ट लेक्चरार रखे गए। इसके बाद 4 मार्च 2020 को इन्हें अयोग्य करार दे दिया गया और निकालने का निर्णय लिया गया। याची ने कहा कि यह केवल निर्देश हैं कोई नीति नहीं। वैसे भी किसी निर्देश को पुरानी तारीख से लागू नहीं किया जा सकता।
याची ने बताया कि नीति के तहत किसी कर्मी को तभी निकाला जा सकता है जब उसका काम संतोषजनक न हो या फिर उनके स्थान पर नियमित नियुक्त व्यक्ति आ जाए। याची के मामले में दोनों ही परिस्थितियां नहीं है। याची ने हरियाणा सरकार के निर्देश पर सवाल उठाते हुए कहा कि निर्देश में ही नेट/पीएचडी धारकों केलिए अलग वेतन मान का प्रावधान है और बिना योग्यता रखने वालों के लिए अलग। अब सरकार इन्हें हटाते हुए अपने ही निर्देशों के खिलाफ जा रही है। जस्टिस एमएस रामचंद्र राव व जस्टिस जेएस बेदी पर आधारित खंडपीठ ने याची पक्ष को राहत देते हुए उन्हें अंतरिम तौर पर सेवा में वापिस लेने का आदेश दिया है। साथ ही सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाते हुए हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
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