हाईकोर्ट का फैसला : पहले दो सौतले बच्चे हैं तो तीसरे पर नहीं मिल सकता मातृत्व अवकाश

हरिभूमि ब्यूरो : चंडीगढ़
चंडीगढ़ पीजीआई के एक नर्स के मातृत्व के आवेदन को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने रद कर दिया। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि अगर किसी महिला के दो सौतले बच्चे हैं तो तीसरे पर वह मातृत्व अवकाश की हकदार नहीं है। पहले से दो बच्चे उसके जैविक बच्चे नहीं हैं तो भी उसका खुद का पैदा हुआ बच्चा तीसरा माना जाएगा। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने नर्स की याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने कहा कि नियम के मुताबिक, मैटरनिटी लीव सिर्फ दो ही बच्चों के लिए मिलती है।
चंडीगढ़ की नर्स ने लगाई थी याचिका
पीजीआई चंडीगढ़ की नर्स दीपिका सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर कहा था कि 18 फरवरी 2014 को उसकी शादी जिस व्यक्ति से हुई थी, उसकी पहली पत्नी की मौत हो चुकी थी। उसके पहल से दो बच्चे थे। दीपिका ने 6 जून 2019 को अपने पहले बच्चे को जन्म दिया। 4 जून 2019 से 30 नवंबर 2019 तक के लिए मैटरनिटी लीव अप्लाई की थी। हाईकोर्ट की जस्टिस जसवंत सिंह और सतप्रकाश की बेंच ने उसकी याचिका को इसलिए रद कर दिया गया कि उसके पहले से दो बच्चे हैं।
इसलिए लीव की हकदार नहीं
दीपिका ने इसके खिलाफ सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) में याचिका दायर की। जिसके बाद पीजीआई के आदेश को सही मानते हुए कैट ने याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट के जस्टिस जसंवत सिंह और संत प्रकाश की बेंच ने कहा कि दीपिका अपने पति के पहली पत्नी से हुए दो बच्चों की भी मां है। उन्हीं का ध्यान रखने के लिए उसने चाइल्ड केयर लीव भी ली है। इसलिए वह मैटरनिटी लीव की हकदार नहीं है।
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