हाईकोर्ट की टिप्पणी : अलग रह रहे पति और पत्नी में एक पक्ष तलाक चाहता है तो टूट चुकी है शादी, साथ रहने की संभावना नहीं

चंडीगढ़। जब पति व पत्नी लंबे समय से अलग रह रहे हैं और एक पक्ष तलाक चाहता है, समझ लेना चाहिये विवाह टूट चुका है और उनके एक साथ रहने की संभावना नहीं है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी एक वैवाहिक विवाद में पति द्वारा दायर तलाक की मांग को स्वीकार करते हुए की। मामले के अनुसार, पति व पत्नी लगभग 23 साल से अलग रह रहे हैं और उनके रिश्ते को जोड़ने की सभी कोशिश नाकाम हो चुकी थी। लेकिन, पत्नी किसी हालत में पति से तलाक नहीं लेना चाहती थी। इसी के साथ जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस अशोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को भी रद कर दिया जिसमें पति की तलाक की अपील को खारिज कर दिया था।इस मामले में दंपति का विवाह नवंबर 1990 में नारनौल में हुआ था। याची पति के अनुसार प्रतिवादी-पत्नी असाध्य मानसिक बीमारी से पीड़ित थी वह हिंसक हो जाती थी और बच्चों को बेरहमी से पीटती थी और यहां तक कि वह अपने पति पर भी हमला कर देती थी।
पति के अनुसार उसकी पत्नी खाना भी नहीं बनाती थी और उसे कई बार को बिना खाए सोना पड़ता था। पति के अनुसार उसने पत्नी का मेडिकल इलाज कराने के लिए उसने भरसक प्रयास किए, जिनका कोई परिणाम नहीं निकला। पत्नी ने बिना वजह पति को छोड़ दिया तो पति ने फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट में पत्नी ने इन्कार किया कि वह मानसिक बीमारी से पीड़ित है और कभी भी बच्चों या पति पर शारीरिक हमला किया या कभी उन्हें भोजन से वंचित नहीं किया। पत्नी ने आरोप लगाया कि उसके पति ने तलाक लेने के लिए उसके खिलाफ झूठे आरोप लगाए और उसने ही उसे घर छोड़ने के लिए मजबूर किया। पत्नी की दलीलों को सुन कर निचली अदालत ने पति की तलाक की मांग को 2004 में खारिज कर दिया था। इसके बाद पति ने हाई कोर्ट का रुख किया।
हाई कोर्ट ने भी दोनों पक्षों को कोर्ट से बाहर मामला सुलझाने के दो मौके दिए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए देखा कि दोनों पक्षों के बीच विवाह लंबे समय से टूट गया है और उनके एक साथ आने या फिर से एक साथ रहने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही। कोर्ट ने कहा कि दोनो 23 से अधिक वर्षों से अलग-अलग रह रहे है और उनके साथ रहने की कोई गुंजाइश नहीं है लेकिन फिर भी पत्नी पति को आपसी तलाक देने के लिए तैयार नहीं है, तो यह कृत्य क्रूरता से कम नहीं। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि अगर यह तलाक नहीं दिया गया तो दोनों पक्षों के लिए विनाशकारी होगा। कोर्ट ने पति की तलाक की मांग को स्वीकार करते हुए पत्नी के नाम पर स्थायी गुजारा भत्ता के रूप में 10 लाख रुपये की एफडी करने का निर्देश भी दिया।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS