Hisar : पर्यावरण की वकालत पर वकील का कमाल

नाम- विरेंद्र सिंह मलिक, उम्र- 55 वर्ष, पेशा - वकील। जब इनकी उम्र महज 15 साल थी तब पिता धर्मपाल सिंह मलिक (Dharampal Malik) से उन्हें विरासत में पौधें सींचने की कला मिली। हालांकि पिता भी वकालत करते थे लेकिन उनका प्रकृति प्रेम भी जग-जाहिर था। समय गुजरने के साथ पिता से उनका दामन तो छूट गया लेकिन उनसे मिली विरासत को वे खुद से अलग नहीं कर पाएं।
आखिरकार समय ने भी एक बार अधिवक्ता विरेंद्र सिंह मलिक की परीक्षा लेनी चाही, जिसमें घर से चंद कदम दूर एक ऐसे गड्ढे की सूरत को बदलना था, जिसके अंदर हर समय कूड़ा-कर्कट व सुअरों का जमावड़ा लगा रहने पर हर कोई इस जगह को दुत्कार भरी नजरों से देखते थे। लेकिन विरेंद्र सिंह मलिक ने इस गड्ढें के बदलते सूरत को वर्तमान में ही देख लिया और सोसाइटी बना कुछ मोहल्लोवासियों की मदद से उसमें रंग भरने लग गए।
हुआं भी यूं प्रेम नगर निवासी विरेंद्र सिंह मलिक दिनभर कोर्ट में अपने रोजमर्रा के कार्यों को निपटाते और शाम को उसी गंदगी के ढेर में लगे गड़्ढे की सूरत बदलने के लिए जोर-अजमाईश करते। आखिरकार इस अधिवक्ता विरेंद्र सिंह मलिक (Virendra Singh Malik) की कला ने इस गंदगी से भरे गड्ढे की सूरत ऐसी बदलकर रख दी कि जिसे देख हर कोई दंग भी था और हैरान भी।
बदली सूरत के साथ इस गड्ढे को एकता पार्क का नाम मिला। इस कला की खनक जब जिला प्रशासन के कानों में गई तो वे भी इस गड्ढे के बदले स्वरूप को देखने आ गए। गड्ढे की पूरानी सूरत और आंखों के सामने बने पार्क को जब उन्होंने अपनी आंखों से देखा तो अधिवक्ता विरेंद्र सिंह मलिक की कला के प्रशंसा के पुल तो बांधे ही साथ ही एकता पार्क पर तीन लाख रुपये की धनवर्षा भी कर दी।
एकाएक जिला प्रशासन की तरफ से धनवर्षा होने पर अधिवक्ता के जी में जान ऐसी आई कि उन्होंने एकता पार्क की तस्वीर को ऐसे रंगों में भरना शुरू कर दिया, जो देखने में तो आकर्षक तो लगे ही साथ ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों की जुबां पर भी एकता पार्क की आवाज सुनने को मिलने लगी।
कारण था कि अधिवक्ता विरेंद्र सिंह मलिक ने अपने हाथों से 200 हर्बल पौधे भी एकता पार्क में लगाकर उन्हें सींचने लग गए। तुलसी, गुलमोहर, एलोवीरा, आंवला सहित कई फलदार पौधे आज भी एकता पार्क के सौंदर्य में चार चांद लगा रहे हैं।
हर किसी की जुबां पर गूंज रहा एकता पार्क का नाम
अधिवक्ता विरेंद्र सिंह मलिक ने हरिभूमि से हुई विशेष बातचीत में बताया कि एक समय वे नगर निगम में पैनल के रूप में अधिवक्ता की कमान भी मिली, जिसमें उनकी कला का कायल हर अधिकारी भी हुआ,अधिवक्ता विरेंद्र सिंह मलिक अपनी खुद की जेब टटोल भी मिलता सभी एकता पार्क पर खर्च कर देते हैं।
इस अधिवक्ता के कायल हुए नगर निगम आयुक्त
बीते मंगलवार को नगर निगम आयुक्त अशोक गर्ग भी अधिवक्ता विरेंद्र सिंह मलिक की कला को अपनी आंखों से देखने के लिए आए तो जरूर लेकिन वापिस एकता पार्क से जाने का नाम तक नहीं ले सकें। कारण था जब किसी दौर में गंदगी से भरे गड्ढे को जब हर कोई दुत्कार की नजरों से देखता था तो उसी जमीं पर आज वे खुद उसके बदले स्वरूप को देखने पहुंचे थे, जिसके बाद नगर निगम आयुक्त कुछ बोल न सकें और अधिवक्ता विरेंद्र सिंह मलिक को सम्मानित कर उनका हौंसला बढ़ाया।
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