Hisar : नस्ल सुधार के लिए सीआईआरबी से नेपाल भेजे 15 झोटे

- सहयोगात्मक विनियम कार्यक्रम के लिए नेपाल भेजे गए मुर्रा नस्ल के झोटे
- नेपाल भी अपने पशुपालकों के लिए खोल रहा समृद्धि के रास्ते
Hisar : भैंस की नस्लों की गुणवत्ता बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान (सीआईआरबी) ने नेपाल सरकार को सहयोगात्मक विनिमय कार्यक्रम के तहत मुर्रा नस्ल के झोटे भेजे हैं, ताकि भैंस उत्पादकता में भारत का अनुशरण करते हुए नेपाल भी अपने पशुपालकों के लिए समृद्धि के रास्ते खोल सके। भारत सरकार ने नेपाल सरकार से समझौते के लिए 15 झोटे, जिनकी माता का दूध 3 हजार किलोग्राम से अधिक था, उन्हें नेपाल सरकार को भेज दिया है। ये सभी झोटे 23 नवंबर को नेपालगंज पहुंच गए।
झोटों को अब नेपालगंज में स्थित क्वारेंटाइन यूनिट में रखा जाएगा जो एक औपचारिकता और आवश्यकता है। ये 40-45 दिन यहां रहेंगे और इसके बाद नेपाल के तीन सीमन स्टेशन जो एक नेपालगंज, दूसरा लाहन और तीसरा पोखरा में स्थित है। वहां झोटे जाएंगे और वहां इनके सीमन के टीकें बनाए जाएंगे। इस मौके पर क्वारेंटाइन यूनिट ऑफिसर डॉ. विनय कुमार, डॉ. शिवा नाथ, डॉ. भाजु राम, डॉ. मिलन कुमार, अन्य व्यक्ति उपस्थित रहें।
नेपालगंज में फूलमालाओं के साथ किया झोटों का स्वागत
डॉ. राजेश कुमार गंगवा एवं टीम ने मुर्रा नस्ल के झोटे नेपाल के आर्यल संयुक्त सचिव डॉ. माधव प्रसाद को सौंपे। सभी अधिकारियों की उपस्थिति में झोटों को देखकर उन्हें बहुत खुशी हुई और भारत सरकार व सीआईआरबी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने फूलों की माला पहनाकर झोटों को स्वागत किया। झोटों को सही सलामत पहुंचाने के लिए संस्थान के निदेशक ने केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान की टीम की प्रशंसा की। बता दें कि दीपावली से पहले नेपाल का एक प्रतिनिधिमंडल सीआईआरबी में आया था और मुर्रा नस्ल के झोटों को नेपाल ले जाने को लेकर सीआईआरबी के साथ करार किया था। उस करार के बाद ही केंद्र सरकार की तरफ से नेपाल सरकार को झोटे भेजे गए।
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