हिसार रोडवेज डिपो : छह माह दुकान चलाकर चलता बना दुकानदार, अब पर्दा डालने का प्रयास...

हिसार रोडवेज डिपो : छह माह दुकान चलाकर चलता बना दुकानदार, अब पर्दा डालने का प्रयास...
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विभाग के अधिकारी इस बात से खुश है कि दुकानदार की सिक्योरिटी राशि जब्त कर ली लेकिन वे एग्रीमेंट न लेने वाली बात पर चुप्पी साध रहे हैं, जिससे मिलीभगत का अंदेशे से इंकार नहीं किया जा सकता।

राजेश्वर बेनीवाल/ हिसार। राज्य परिवहन के हिसार डिपो में दुकानदारों से मिलीभगत करके सरकार को लाखों का चूना लगाने का मामला सामने आया है। इसके तहत विभागीय नियमों के विपरीत जाकर एक दुकानदार को बिना एग्रीमेंट लिए दुकान दे दी गई, उसने छह माह तक दुकान चलाई और फिर दुकान को बंद करके चलता बना। विभाग के अधिकारी इस बात से खुश है कि दुकानदार की सिक्योरिटी राशि जब्त कर ली लेकिन वे एग्रीमेंट न लेने वाली बात पर चुप्पी साध रहे हैं, जिससे मिलीभगत का अंदेशे से इंकार नहीं किया जा सकता।

रोडवेज अधिकारियों की इस कारस्तानी का खुलासा हुआ आरटीआई में ली गई जानकारी से। शहर के राजेश कुमार ने आरटीआई लगाकर विभाग से जानकारी मांगी कि डिपो के अधीन छुड़वाई गई दुकानों के ठेकेदारों द्वारा दिए गए एग्रीमेंट की सत्यापित प्रतियां दी जाए। आरटीआई के तहत जानकारी मांगते ही शायद संबंधित कर्मचारियों को अपनी गलती का आभास हुआ और उन्होंने आनन-फानन में आरटीआई नियमों का हवाला देते हुए सूचना के 150 पेज बताते हुए 300 रुपये जमा करवाने का पत्र लिखा तााकि सूचना मांगने वाला पीछे हट जाए लेकिन जब आवेदनकर्ता ने 300 रुपये जमा करवा दिए तो संबंधित कर्मचारियों को आधी-अधूरी सूचना देनी पड़ी। दी गई सूचना में हिसार रोडवेज के मुख्य बस स्टेंड की दुकान नंबर 8 व 9 का एग्रीमेंट नहीं दिया गया।

आवेदनकर्ता ने पूरी सूचना न मिलने पर प्रथम अपील लगाई जिसकी सुनवाई करते हुए प्रथम अपीलीय अधिकारी एवं रोडवेज महाप्रबंधक ने पूरी सूचना देने के निर्देश दिए, तब कहीं जाकर संबंधित लिपिक ने माना कि दुकान नंबर 8 व 9 का एग्रीमेंट संबंधित ठेकेदार ने जमा ही नहीं करवाया है। मामला जीएम के सामने आया तो उन्होंने हैरानी जताते हुए इसे बड़़ी गलती माना और संबंधित कर्मचारी को निर्देश दिए कि उन्हें पूरे तथ्यों से अवगत करवाया जाए।

ठेकेदार से अनुनय-विनय करते रहे भवन लिपिक

बस अड्डे पर दुकान लेने वाले दुकानदार/ठेकेदार रोडवेज से किराए पर दुकान लेते हैं लेकिन संबंधित अधिकारियों के लचर व मिलीभगत वाले रवैये के कारण ये दुकानदार मालिकों जैसा व्यवहार करते हैं। यही कारण है कि जिस दुकानदार ने एग्रीमेंट न देकर विभागीय नियमों को ठेंगा दिखाया, उससे एग्रीमेंट लेने के लिए संबंधित लिपिक पत्र व स्मरण पत्र लिख-लिखकर एग्रीमेंट देने के लिए अनुनय विनय करते रहे लेकिन उक्त दुकानदार ने उनकी एक नहीं सुनी और वह मनमानी चलाते हुए दुकान छोड़कर चला गया।

क्या है दुकान लेने व एग्रीमेंट के नियम

विभागीय पॉलिसी के अनुसार रोडवेज बस अड्डे पर दुकान लेने वाले ठेकेदार/दुकानदार को दुकान आबंटन के साथ ही एग्रीमेंट देना होता है और एग्रीमेंट देने के बाद ही उसे दुकान की चाबी देनी होती है। अधिकारियों ने आरटीआई की जानकारी में भी यही कहा है। नियमों के मुताबिक यदि वह एग्रीमेंट नहीं देता तो विभागीय नियमानुसार उसका ठेका रद किया जा सकता है।

आखिर किसने चलाई बस अड्डे पर दुकान

बिना एग्रीमेंट दिए बस अड्डे पर दुकान चलाना छोटा मामला नहीं है। रोडवेज में आम चर्चा है कि इस मामले में बड़े पैमाने पर मिलीभगत हुई है और हो सकता है किसी अधिकारी या कर्मचारी ने ही मिलीभगत से यह दुकान चलाई हो। यदि किसी की मिलीभगत नहीं होती तो केवल एक दुकानदार को एग्रीमेंट की छूट देना संभव नहीं लगता। चर्चा है कि दुकान में भले ही वह दुकानदार बैठता हो लेकिन उसके पीछे कोई और ही था, जो उसे इतनी छूट मिली और विभागीय नियमों को भी ठेंगा दिखाने से गुरेज नहीं किया गया।

मामले की जांच करवाएंगे

यह एक गंभीर मामला है। वास्तव में संबंधित भवन लिपिक व डिपो लेवल कमेटी द्वारा एग्रीमेंट न लेना विभागीय नियमों के खिलाफ है। वे इस मामले की जांच करवाएंगे। भवन लिपिक को पूरी फाइल पढ़कर जानकारी देने को बोला है। - राहुल मित्तल, महाप्रबंधक, रोडवेज।

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