हिसार के वैज्ञानिक डाॅ. सुधीर ने खोजी कोरोना की दवाई, पढ़ें क्या कहना है उनके परिवार का

हिसार : कोरोना महामारी की दवाई देश के वैज्ञानिकों द्वारा खोजे जाने की जिस खबर ने पूरे देश को खुशी की भावनाओं से भर दिया है, उस खबर ने हिसार वासियों के दिलों को गर्व से भर दिया है। गर्व से इसलिए भर दिया है क्योंकि इस नयी दवा 2-डीजी की खोज डीआरडीओ के जिस वैज्ञानिक डा. सुधीर चांदना ने की है वो मूल रूप से हिसार के रहने वाले हैं।
डीआरडीओ में इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लीयर मेडिसन साइंस एंड एलाइड साइंस के अपर निदेशक और वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. सुधीर का जन्म हिसार में ही हुआ है और उन्होंने यहां की हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन की है। उनके पिता स्वर्गीय डा. जेडी चांदना हिसार के सेशन जज रह चुके हैं। उनके बड़े भाई विनीत चांदना अभी अपनी पत्नी अंजू चांदना के साथ हिसार के सेक्टर- 13 में ही रह रहे हैं और वो स्टेट बैंक ऑफ पटियाला से मैनेजर पद से रिटायर्ड हैं। अपने छोटे भाई के द्वारा कोरोना महामारी के इलाज के लिए दवाई खोजने की खबर सुनने के बाद से ही उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है और उन्हें फोन पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।
जब उनसे इस संबंध में बात की तो विनीत चांदना ने बताया कि उन्हें इसके बारे में शनिवार को पता लगा था। खुद उनके छोटे भाई डा. सुधीर ने उन्हें फोन करके ये जानकारी दी। उन्हें शुरू में तो इस खबर की गहराई का अंदाजा नहीं हुआ लेकिन जब समझ में आया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दिल गर्व से भर उठा। एक ऐसे महामारी की दवाई की खोज उनके भाई ने की, जिससे पूरा विश्व परेशान है। ये खुशी और गर्व के ऐसे लम्हें हैं, जिन्हें शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। ये एक ऐसी उपलब्धि है, जिसे हर कोई याद रखेगा। हर कोई इस महामारी के समय में किसी उम्मीद की किरण को ढूंढ रहा था और इस खबर ने तो उम्मीद की एक बड़ी रोशनी दी है। अब वो यही उम्मीद करते हैं कि तेजी से बढ़ती इस बीमारी के इलाज में ये दवाई काफी कारगर साबित होगी और जल्द से जल्द इस महामारी से निजात मिलेगी।
उन्होंने बताया कि हर आदमी अपने कार्यक्षेत्र में सबसे अच्छा करना चाहता है। उनके छोटे भाई भी यही करना चाहते थे। उन्होंने कोरोना की दवाई की खोज से पहले कैंसर के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण कार्य किये हैं। अब कोरोना की दवाई तैयार करने के बाद ये खोज पूरी दुनिया के लिए बहुत बड़ी बात है। अगर जितनी उम्मीद इस दवाई से की जा रही है ये दवाई उतनी कारगर साबित होती है तो ये बहुत बड़ी राहत की बात होगी।
वैज्ञानिक डा. सुधीर चांदना की भाभी व डीपीएस स्कूल की पूर्व टीचर अंजू चांदना ने कहा कि उनके परिवार की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। ये मानव इतिहास के पन्नों में दर्ज की जाने वाली खोज है। अब तो वह बस ये चाहती हैं कि जल्द से जल्द कोरोना की ये दवाई मरीजों के प्रयोग के लिए बाजार में आ जाये और मरीजों का इससे सफल इलाज हो पाये।
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