Hisar : आलू की दो नई किस्मों को मिली स्वीकृति, भंडारण क्षमता अधिक व पैदावार बढ़ाने में सहायक

Hisar : आलू की दो नई किस्मों को मिली स्वीकृति, भंडारण क्षमता अधिक व पैदावार बढ़ाने में सहायक
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  • 41वीं अखिल भारतीय समन्वित आलू अनुसंधान परियोजना की 3 दिवसीय कार्यशाला में मिली स्वीकृति
  • स्वीकृत किस्म एमएसपी/16-307 व कुफरी सुखयाति

Hisar : हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित 41वीं अखिल भारतीय समन्वित आलू अनुसंधान परियोजना की तीन दिवसीय कार्यशाला के तीसरे व अंतिम दिन बुधवार को आलू की दो नई किस्मों को देश के विभिन्न क्षेत्रों में खेती के लिए जारी करने की अनुशंसा की गई। उपरोक्त परियोजना के अंतर्गत एमएसपी/16-307 और कुफरी सुखयाति शामिल हैं। यह दोनों अधिक पैदावार देने वाली किस्में हैं तथा इनकी भंडारण क्षमता भी अधिक है।

एमएसपी/16-307 किस्म की विशेषता है कि इसके आलू व गुद्दा बैंगनी रंग के हैं और यह 90 दिन में खुदाई के लिए तैयार हो जाती है, जबकि कुफरी सुख्यति किस्म मात्र 75 दिन में खुदाई के लिए तैयार हो जाती है। इन किस्मों को देश के उत्तरी, मध्य और पूर्वी मैदानी इलाकों के लिए जारी करने की सिफारिश की गई है। समापन सत्र की अध्यक्षता भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहायक महानिदेशक (फूल-सब्जी-मसाले और औषधीय पौधे) डॉ. सुधाकर पांडे ने की, जबकि हकृवि के अनुसंधान निदेशक डॉ. जीतराम शर्मा सह-अध्यक्ष के रूप में उपस्थित रहे।

भारत में आलू प्रसंस्करण में भारतीय किस्मों की हिस्सेदारी बढ़ाने पर दिया जोर

सहायक महानिदेशक (फूल-सब्जी-मसाले और औषधीय पौधे) डॉ. सुधाकर पांडे ने वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए भारत में आलू प्रसंस्करण में भारतीय किस्मों की हिस्सेदारी बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आलू अनुसंधान में सटीक कृषि के लिए जैविक व अजैविक दबाव सहिष्णुता, पूवार्नुमान मॉडल और जलवायु परिवर्तन परिदृश्य में उत्पादन और उत्पादकता में सुधार लाना आवश्यक है। उन्होंने कहा नवीन फसल सुधार और उत्पादन प्रौद्योगिकियों को लागू कर व उत्पादकता अंतराल को कम करके उत्पादन में सुधार लाया जा सकता है।

वैज्ञानिकों ने आलू की पैदावार बढ़ाने पर किया मंथन

अनुसंधान निदेशक डॉ. जीतराम शर्मा ने बदलते परिदृश्य में फसल सुधार, फसल सुरक्षा और सत्यापन व रिलीज के लिए फसल उत्पादन के तहत विभिन्न प्रौद्योगिकियों के बहु-स्थान मूल्यांकन में उपरोक्त परियोजना को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने बायो-फोर्टिफाइड व पोषण की दृष्टि से बेहतर आलू की किस्मों का विकास करने पर बल दिया। कार्यशाला के दौरान आयोजित विभिन्न सत्रों में देश के विभिन्न राज्यों के 25 अखिल भारतीय समन्वित आलू अनुसंधान परियोजना केंद्रों से आए वैज्ञानिकों ने आलू की पैदावार बढ़ाने, उन्नत किस्में, भंडारण, खाद्य सुरक्षा सहित नवाचारों से संबंधित विषयों पर मंथन किया।

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