Positive सोच के साथ कोरोना को Negative कर रहे होम आइसोलेट मरीज

Positive सोच के साथ कोरोना को Negative कर रहे होम आइसोलेट मरीज
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90 प्रतिशत से अधिक मरीजों ने घरों में रहकर दोबारा लौटाई अपनों की मुस्कुराहट, 10 प्रतिशत में अधिकत्तर वो लोग शामिल जो पहले से किसी बीमारी से हैं पीड़ित।

कुलदीप शर्मा : भिवानी

किसी भी बीमारी में जब अपने साथ होते हैं तो उस बीमारी से लड़ने की हिम्मत, साहस और बुजुर्गों का तुजुर्बा हमेशा काम आता है। ऐसा ही अब कोरोना संक्रमण की बीमारी में भी देखने को मिल रहा है। इस समय हर तरफ कोरोना की दहशत इस कद्र हावी हो रखी है कि कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर व्यक्ति अस्पताल की तरफ भाग रहा है। लोगों की यह गलती उनकी जान पर भी भारी पड़ रही है।

अकेले अप्रैल माह के साथ साथ अभी तक जितने पॉजिटिव मरीज सामने आए हैं अगर उनके आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो 90 प्रतिशत से अधिक मरीजों ने खुद को होम आइसोलेट कर पॉजिटिव सोच के साथ अपनी नेगेटिव रिपोर्ट प्राप्त की है तथा अपनों के चेहरों पर आई मायूसी व चिंता को मुस्कुराहट में तब्दील किया है। यह मुस्कुराहट इसलिए लौटी क्योंकि कोरोना संक्रमण को परिवार वालों ने दिमाग पर हावी नहीं होने दिया तथा डाइट का खासा ध्यान रखा गया जिसके चलते मात्र दो सप्ताह में ही मरीज स्वस्थ होकर फिर से सामान्य जिंदगी जी रहे हैं तथा पहले से ज्यादा सचेत होकर खुद का ध्यान रख रहे हैं।

पहले से बीमार लोगों के लिए खतरनाक संक्रमण

हरिभूमि की टीम ने जब इस बारे में चिकित्सकों से बात की तो उन्होंने बताया कि अस्पताल में जो सीरियस मरीज आ रहे हैं वो पहले से किसी ने किसी बीमारी से पीड़ित हैं। इनमें मुख्य रूप से श्वांस, बीपी, शुगर के साथ दिल की बीमारी के रोग शामिल हैं। श्वांस के जो रोगी की बॉडी में जब संक्रमण फैलता है तथा फेफड़ों पर असर पड़ता है तो उनके ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है तथा उनकी परेशानी बढ़ जाती है। इसलिए ऐसे मरीजों को बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग अवश्य करना चाहिए तथा भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में जाने से बचना चाहिए।

मास्क नहीं पहनने वाले दे रहे संक्रमण को निमंत्रण

सामान्य अस्पताल के चिकित्सकों ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर काफी खरतनाक है तथा इससे बचने के लिए जितना प्रयास जिला प्रशासन व अस्पताल प्रशासन कर रहा है उतनी ही जागरूकता अब शहर के लोगों को दिखानी होगी। घर से बाहर निकलते ही लोगों को मास्क का प्रयोग जरूर करना होगा तथा जो लोग मास्क का प्रयोग सिर्फ दिखावे के लिए कर रहे हैं वो सही नहीं है। मास्क का प्रयोग करते समय इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि नाक तथा मुहं अच्छी तरह से ढके हो तथा भीड़ भाड़ वाले क्षेत्र में अगर कोई मास्क का प्रयोग नहीं कर रहा है या सोशल डिस्टेंस के नियम की अवहेलना हो रही हे तो एक दूसरे को टोक कर पालन जरूर करवाए ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।

पॉजिटिव सोच के साथ नेगेटिव रिपोर्ट पा रहे लोग

कोरोना संक्रमित पाए जाने पर जो लोग खुद को होम आइसोलेट कर रहे हैं उनके साथ सबसे अच्छी चीज यह है कि उनके आस पास का वातावरण भयावक नहीं है। अस्पताल के अंदर जो मरीज एडमिट है खासकर प्राइवेट अस्पतालों में तथा सोशल मीडिया पर ऑक्सीजन की कमी दवा की कमी के जो मैसेज वायरल हो रहे हैं वो उनके मानसिक लेवल पर आघात पहुंचा रहे हैं। पीपीई कीट पहने हुए स्टॉफ सदस्य जब उपचार के लिए आते हैं तो मरीज एक ही बात पूछ रहे हैं कि वो कब तक ठीक हो जाएंगे। दूसरी तरफ जो मरीज खुद को होम आइसोलेट किए हुए हैं उनकी मानसिक लेवल अस्पताल में भर्ती मरीजों से कहीं अच्छा है। इसके साथ साथ आयुर्वेद के हिसाब से जो नियम बताए जा रहे हैं घर वाले उसी अनुसार कोरोन संक्रमित मरीज को डाइट दे रहे हैं तथा ब्रीथिंग एक्सरसाइज के साथ वो खुद को जल्द रिकवर कर पा रहे हैं।

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