आवास योजना : गरीबों के आशियाने पर दस्तावेजों का अड़ंगा

ओ.पी. पाल : रोहतक
प्रदेश में गरीबों और बेघरों को आशियाना देने के लिए चलाए जा रहे 'सबके लिए आवास' मिशन यानी प्रधानमंत्री आवास योजना के अलावा राज्य स्तर की आवास योजनाओं के तहत भले ही मकान बनाने की रफ्तार धीमी हो, लेकिन जो भी आवास बनाए गये हैं, उनके लिए भी सरकार को गरीब नहीं मिल रहे। ऐसा भी नहीं है कि प्रदेश में गरीबों या बेघर परिवारों की कमी हो, लेकिन छत मुहैया कराने के लिए जो पात्रता तय की गई है, उसके लिए दस्तावेजों के अभाव में अधिकांश गरीब परिवार पात्रता के दायरे से बाहर हो जाते हैं।
शायद इसीलिए राज्य सरकार ने घोषणा की है की प्रदेश में गरीबों के लिए बनाए जा रहे आवासों का लाभ सामान्य श्रेणी के लोग भी उठा सकते हैं। दूसरी ओर प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवासों के निर्माण और उनके आंवटन को कछुआ चाल ही कहा जा सकता है, जिसमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में प्रस्तावित आवासों का 18 फीसदी भी निर्माण नहीं हो पाया है। ऐसा भी नहीं है कि इस योजना के तहत प्रदेश के शहरी व ग्रामीण अंचलों में गरीबों को मकानों का आवंटन नहीं हुए, लेकिन ज्यादातर पात्र गरीब लोगों को तीन किस्तों में जारी होने वाली सहायता राशि के विलंब के कारण भी उनके आशियाना मिलने का सपना अभी अधूरा है।
ऐसे टूट रहा सपना
वहीं खासकर शहरी क्षेत्र में आवंटित आवासों को लेकर उन्हें किराए पर देकर मुनाफा कमाने और कुछ गरीबों के आशियानों पर दबंगों ने हथियाकर गरीबों के हकों पर डाका डाल रखा है। हरियाणा में केंद्र सरकार की 'प्रधानमंत्री आवास योजना की रफ्तार इतनी धीमी है कि 2022 तक 'हर सिर पर छत' का लक्ष्य मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकिन है। प्रदेश में अभी तक शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में गरीबों के आशियाने के लिए प्रस्तावित लक्ष्य के विपरीत अभी तक 18 फीसदी भी मकानों का निर्माण नहीं हो सका है, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना में प्रदेश में स्वीकृत मकानों में से शहरी क्षेत्र में 30.56 और ग्रामीण क्षेत्र में 67.3 फीसदी आवासों का निर्माण हुआ है। पीएमएवाई के तहत प्रदेश के सभी नगर निगम, नगर परिषद व नगर पालिकाएं इस योजना के तहत सरकारी कर्मचारियों को छोड़कर गरीबों और जरूरतमंद लोगों को शहरी क्षेत्र में घर बनाने के लिए वित्तीय मदद उपलब्ध करवा रहे हैं। हालांकि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हरियाणा में सरकार का 3.94 लाख आवास का प्रस्ताव है, लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक हरियाणा में 2.78 लाख से ज्यादा आवासों को ही मंजूरी दी है। प्रदेश में पीएमएवाई के तहत स्वीकृत आवासों में करीब 1.58 लाख शहरी और 1.20 लाख से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों के शामिल हैं। लेकिन पिछले सात साल में अभी तक 68,852 आवासों के निर्माण ही पूरा हो सका है, जिसमें शहरी क्षेत्र में 48,130 और ग्रामीण क्षेत्र में 20,722 आवास शामिल हैं। यानी राज्य के शहरी क्षेत्र में 83,597 और ग्रामीण क्षेत्र में 10067 आवासों के निर्माण कार्य अंतिम चरण में हैं। वहीं हाउसिंग बोर्ड हरियाणा भी योजना के तहत आवासों का लगातार निर्माण कर रहा है।
गरीबों के घर पर सरकार गंभीर
सरकार ने हाल ही में ऐलान किया है गरीबों के लिए बनाए जा रहे मकानों को सामान्य श्रेणी के लोगों को भी आवंटित किया जा सकेगा। इसका प्रमुख कारण यही माना जा रहा है कि मकान के लाभ के लिए ज्यादातर गरीब परिवार दस्तावेजों के अभाव में पात्रता से बाहर हो रहे हैं। यही कारण है कि प्रदेश में लाखों में तादाद के बावजूद गरीब परिवार मकानों के लिए सरकार के आंकड़े मे नहीं आ रहे हैं। हाउसिंग बोर्ड की ओर से आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए प्रदेश के अधिकतर जिलों में हजारों मकान बनाए गए थे। कुछ लोगों ने इन मकानों को छोटा तो कुछ ने महंगा और शहरी आबादी से दूर बताते हुए खरीदने में खास रूचि नहीं दिखाई। सरकार का तर्क है कि काफी लोगों ने तो मामूली कटौती के बाद अपने पैसे भी वापस ले लिए हैं। प्रदेश सरकार को लगता है कि सामान्य श्रेणी में भी लाखों-हजारों लोग ऐसे हैं, जो गरीब हैं और उनके पास अपनी खुद की कोई छत नहीं है। ऐसे लोग बीपीएल श्रेणी के लोगों के लिए बने इन मकानों की खरीद कर सकते हैं। हाउसिंग बोर्ड की ओर से हर माह 15 तारीख और 30 या 31 तारीख को ई-नीलामी करने की व्यवस्था की हुई है।सरकारी आंकड़ों के अनुसार पीएमएवाई के तहत जिस प्रकार से पात्रता के लिए दस्तावेज अनिवार्य किये गये हैं।
उसके मुताबिक को बेघर गरीबों की छत का सपना अधूरा ही रहने की संभावना है। सरकारी आंकड़े के मुताबिक हरियाणा में 51,871 परिवार बेघर हैं, जिनमें 23,789 यानी 45.86 प्रतिशत शहरी और 28,082 यानी 54.14 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में हैं। जनगणना 2011 के मुताबिक हरियाणा में झुग्गियों मे रहने वाले 3,32,697, स्लम परिवारों की आबादी 16,62,305 है। वहीं हरियाणा में सर्वेक्षण के अनुसार बीपीएल परिवारों यानि गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की संख्या 46,30,959 है और आवास या अन्य सरकारी योजनाओं को इसी आंकड़े के तहत मदद मिल रही है। ऐसे बीपीएल परिवारों में 16,61,450 शहरी और 29,69,509 ग्रामीण परिवार हैं। वहीं प्रदेश में गरीब वर्ग के 81900 परिवार किराए के मकानों में जीवन व्यतीत कर रहे हैं, जिनमें 62176 परिवार शहरी और 19724 परिवार ग्रामीण क्षेत्रों में किराएदार हैं। हालांकि राज्य सरकार ने अंत्योदय-सरल योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए मकान मुहैया कराने हेतु हाउसिंग बोर्ड हरियाणा के फ्लैट और प्लाट देने की योजना चलाई है।जिसमें गरीबों के सिर पर छत का इंतजाम करने का लक्ष्य है।
बीपीएल परिवारों को दिए जाएंगे आवास
हरियाणा में वर्ष 2007 के सर्वेक्षण के अनुसार बीपीएल परिवारों यानि गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की संख्या 46,30,959 थी और और केंद्रीय व राज्य स्तर की आवास या अन्य योजनाओं को इसी आंकड़े के तहत मदद दी जा रही है। ऐसे बीपीएल परिवारों में 16,61,450 शहरी और 29,69,509 ग्रामीण परिवार हैं। ग्रामीण बीपीएल वर्ष 2007 के सर्वे के अनुसार ग्रामीण बीपीएल परिवारों में 8,58,389 परिवारों के पास अपने मकान हैं, जबकि हरियाणा में 7,86,862 परिवार ऐसे थे, जिनके पास न तो अपनी जमीन या मकान तक नहीं था। ऐसे बिना किसी संपत्ति वाले बीपीएल परिवारों में सबसे ज्यादा 58,087 भिवानी तथा 56,499 परिवार हिसार के ग्रामीण परिवार सामने आए हैं। मकान व भूमिहीन बीपीएल परिवारों में झज्जर में 50691, करनाल में 50665 परिवार पाए गये थे। हरियाणा सरकार ने बीपीएल व ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लोगों की इस परेशानी को समझते हुए उन्हें फ्लैट हस्तांतरण की सुविधा प्रदान की है। यानी वे उन्हें बेच सकते हैं।
बेघरों के लिए 52 आश्रय गृह चल रहे
शहरी बेघरों समेत लोगों को आश्रय उपलब्ध कराने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। तथापि केंद्र सरकार राज्य सरकारों के माध्यम से शहरी बेघरों के लिए आश्रय उपलब्ध कराने में उनके प्रयास को सफल बनाने के मकस से दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन यानि डीएवाई-एनयूएलएम योजना के अंतर्गत शहरी बेघरों के लिए आश्रय(एसयूएच) योजना को प्रशासित कर रहा है। इस योजना में सर्वेक्षण के मुताबिक हरियाणा के 20 हजार से ज्यादा शहरी बेघरों के लिए आधारभूत सुविधाओं वाले 52 आश्रयगृह सक्रिय हैं।
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