कैसे रूकेगा कोरोना : पूरी सवारी भरकर चल रही रोडवेज बसें, जीएम बोले किसी यात्री से जबरदस्ती नहीं कर सकते

हरिभूमि न्यूज : नारनौल
कोरोना महामारी से बचने का सिर्फ और सिर्फ एक ही उपाय है कि हम घर से बाहर केवल जरूरी काम होने पर ही निकलें। घर के बाहर निकलते समय पूरी सावधानी बरते व सरकार की ओर से जारी की गई गाइडलाइन की पालना करें। परंतु इसके बाद भी लोग इस महामारी को लेकर गंभीर दिखाई नहीं दे रहे। ऐसे में यह लापरवाही लोगों के जीवन पर भारी पड़ सकती है। ऐसी ही भीड़ का नजारा बसों में आम है। जहां बसों में क्षमता से दोगुणा यात्री सफर कर रहे हैं। ऐसी लापरवाही जीवन का अंतिम सफर भी बन सकती है।
बता दे कि प्रदेश में बढ़ते कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार ने 17 अप्रैल को बसों में क्षमता से आधी सवारियां बैठाने के आदेश जारी किए थे। परंतु जिले में सरकार के इन आदेशों की पालना नहीं की जा रही है। प्राइवेट बसों के अलावा कुछ रोडवेज बसों में अभी भी क्षमता से आधी सवारियां बैठाने के आदेश की अवहेलना की जा रही है। सरकार के आदेशानुसार 52 सीटों की क्षमता वाली बस में 25 यात्रियों की बैठने की परमिशन है। परंतु रोडवेज की लोकल रूट की बसों में 52 सीटों पर सवारियां बैठने के अलावा खड़े होकर भी लोग यात्रा कर रहे हैं। इसके अलावा मास्क, फिजिकल डिस्टेंस व सैनिटाइज के इस्तेमाल के सख्त निर्देश दिए थे। परंतु बस स्टैंड पर न तो सैनिटाइज की कोई व्यवस्था दिखाई देती है और न ही बस स्टैंड व बसों के अंदर सवारियों के मुहं पर मास्क दिखाई देते हैं।
न मास्क न सैनिटाइज
लॉकडाउन के बाद बसों का संचालन मास्क, फिजिकल डिस्टेंस व सैनिटाइज का प्रयोग करने के साथ संचालन की गया था। परंतु अब बसों में आधी सी ज्यादा सवारियों के मुंह पर मास्क नहीं होता है। वहीं बस स्टैंड व बसों में सैनिटाइज का भी प्रयोग नहीं किया जा रहा है।
क्या कहते हैं बस स्टैंड इंचार्ज
इस बारे में बस स्टैंड इंचार्ज जयकिशन ने बताया कि बस स्टैंड से बसों को 25 सवारियों यानि आधी सवारियों के साथ ही रवाना किया जा रहा है। अगर किसी बस में अधिक यात्री बैठे जाते है तो उन्हें उतारकर दूसरी बस में बैठा दिया जाता है। यह नियम सरकार के आगामी आदेश तक लागू रहेगा।
नहीं आए किसी प्रकार के कोई नए आदेश
इस बारे में ओमप्रकाश यादव डीआई नारनौल डिपो ने बताया कि सरकार के आदेशों को पूरी सख्ताई से लागू किया जा रहा है। परंतु फिर भी यात्री बस स्टैंड के बाहर बस निकलने पर उसमें बैठ जाते है। ऐसे में उनके साथ जबरदस्ती भी नहीं की जा सकती है। इसलिए सवारियों को स्वयं जागरूक होना होगा कि निर्धारित संख्या से अधिक यात्री बस न बैठे। ऐसा करके यात्री अपनी, अपने परिवार व समाज को इस माहमारी से बचा सकते है।
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