बारिश में पैना हुआ सांप का डंक, काटने पर इन तरीकों से बचाएं मरीज की जान

हरिभूमि न्यूज : रेवाड़ी
बरसात का सिलसिला शुरू होने के बाद विशेषकर सावन माह में सर्पदंश के मामलों में वृद्धि हो जाती है। आलम यह है कि हर तीसरे दिन सामान्य अस्पताल या निजी अस्पतालों में सर्पदंश का एक केस आ रहा है। सुखद पहलू यह है कि समय पर उपचार होने के कारण सर्पदंश के शिकार सभी मरीज ठीक हो रहे हैं।
बरसात के मौसम में बिलों में पानी एकत्रित होने के बाद सांप बाहर आकर सुरक्षित स्थान की तलाश करते हैं। बिलों से बाहर आकर सांप बिटोड़ों, ईंट व पत्थरों के ढेर व पशु बांधने के स्थान और खेतों में खड़ी फसलों में प्रवेश कर जाते हैं। सावन का महीना भगवान शिव के लिए समर्पित माना जाता है। सर्प भगवान शिव के प्रिय होते हैं। आस्था के अनुसार इसी कारण इस माह सांप बिल से बाहर विचरण करते हैं। वास्तविकता यह है कि बिलों में पानी भर जाने के बाद सांपों का बिलों में घुसे रहना मुश्किल बन जाता है, जिस कारण वह बाहर आ जाते हैं। बाहर घूमते समय या किसी स्थान पर छुपे हुए होने के बाद जब आदमी उनके संपर्क में आता है, तो वह डंक मार देते हैं। सांप के दो दांत होते हैं, जिनसे जहर शरीर में प्रवेश कर जाता है।
बढ़ने लगी सर्पदंश के मरीजों की संख्या
जुलाई माह शुरू होने के बाद अस्पतालों में सर्पदंश के केस बढ़ने लगे हैं। नागरिक अस्पतालों में सांप के काटे के इजेक्शन उपलब्ध होने के कारण मरीजों को बाजार से इंजेक्शन खरीदने की जरूरत नहीं होती, जबकि प्राइवेट अस्पतालों में उन्हें मोटा पैसा खर्च करना पड़ता है। कुछ प्राइवेट अस्पतालों में मरीज की जान को खतरा बताते हुए इलाज के नाम पर मोटा पैसा वसूल किया जाता है।
खतरनाक हो सकती है लापरवाही
रेवाड़ी के सीमएओ डा. सुदर्शन पंवार के मुताबिक सर्पदंश के मामलों में मरीज या परिजनों को कोई लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। मरीज को प्राथमिक उपचार के बाद तुरंत नजदीकी अस्पताल में ले जाना चाहिए, ताकि शरीर में जहर फैलने से पहले उपचार हो सके। शरीर में जहर फैलने के बाद सांप के काटे का इंजेक्शन भी प्रभावी तरीके से काम नहीं कर पाता, जिससे मरीज की जान जाने का खतरा बना रहता है। समय पर अस्पताल पहुंचने के बाद एक ही इंजेक्शन मरीज की जान बचा सकता है।
प्रभावी होता है स्नेक एंटी वेमन इंजेक्शन
चिकित्कों के अनुसार सर्पदंश के मामले में चाहे सांप जहरीला हो या नहीं, स्नेक एंटी वेनम नामक इंजेक्शन बहुत प्रभावी होता है। यह दवाई शरीर में पहुंचते ही जहर से मुकाबला कर उसके प्रभाव को खत्म करने लगती है। सर्पदंश के मामलों में मरीज को अस्पताल ले जाते समय यह इंजेक्शन खरीदकर साथ ले जाएं। हो सकता है कि अस्पताल में यह इंजेक्शन उस समय उपलब्ध न हो। ऐसी स्थिति में मरीज की जान को खतरा बढ़ता जाता है। कई बार मरीज को अस्पताल लाने में काफी देरी हो जाती है, उस स्थिति में यह इंजेक्शन अपना प्रभाव नहीं दिखा सकता।
सर्पदंश के बाद सावधानी जरूरी
1. सर्प दंश वाले स्थान को डिटोल व गर्म पानी से साफ करें।
2. जिस स्थान पर सांप ने काटा हो, उसके आसपास कसकर पट्टी बांधें।
3. जहर चूसकर निकालने और झाड़फूक जैसे नुस्खों से बचें।
4. सर्पदंश के मरीजों को हर्बल दवाएं देने का प्रयास नहीं करें।
5. सर्पदंश वाले शरीर के भाग को हिलाएं-डुलाएं नहीं।
6. सूजन के आसपास कसकर कपड़ा बांधने से जहर नहीं फैलेगा।
7. मरीज को दर्द होने पर पेरासिटामोल टेबलेट देने से बचना चाहिए।
8. चिकित्सा मिलने तक मरीज को बाईं ओर करवट से लिटाएं।
9. मरीज की श्वसन क्रिया और बीपी पर निरंतर ध्यान रखें।
10. मरीज को आश्वस्त कराएं की इलाज के बाद वह ठीक हो जाएगा।
यह होते हैं सर्पदंश के लक्षण
सांप के काटने से दांतों के दो छेद बन जाते हैं, जिनके आसपास सूजन आ जाती है। घाव के आसपास का भाग लाल हो जाता है। दंश वाले स्थान पर तेज दर्द उठता है। प्यास लगती है और पीड़ित को सांस लेने में तकलीफ होती है। उल्टी होती है या उल्टी होगी, ऐसा महसूस होता रहता है, मूर्छा आने लगती है। पसीना आता है, लार टपकने लगती है और नजर धुंधली हो जाती है। चेहरा और शरीर सुन्न होने लगता है। पलकें लटक जाती हैं। हाइपर टेंशन के साथ ब्लड प्रेशर लो होने लगता है। जबर्दस्त थकान के साथ मांसपेशियां शिथिल हो जाती हैं। कमर-पीठ दर्द, रक्तस्राव होना इस बात का संकेत होता है कि गुर्दे काम करना बंद कर रहे हैं।
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